अब क्यों खामोश हैं गद्दारों के हिमायती ?
डॉ.बचन
सिंह सिकरवार

इन दलों को थलसेनाध्यक्ष की यह बात बहुत खटक की थी,
जो उन्होंने पाकिस्तानी घुसपैठियों से मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देते
हुए कही थी। उसमें उन्होंने पाकपरस्तों को यह सखत चेतावनी थी कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा
बल इसलिए ज्यादा हताहत हो रहे हैं, क्योंकि स्थानीय लोग उनके अभियान में बाधा डालते
हैं। कई बार तो वे आतंकवादियों को भगाने में भी मदद रहे हैं। हम स्थानीय जनता से आग्रह
करेंगे कि जिन लोगों ने हथियार उठायें हैं, उनका समर्थन न करें। जो लोग आइ.एस. या पाकिस्तान
का झण्डा लहरा कर समर्थन करेंगे, उन्हें हम राष्ट्र विरोधी तत्त्व मानेंगे और उनके
खिलाफ कार्रवाई करेंगे। 'इसमें उन्होंने कुछ भी अनुचित नहीं कहा था, क्योंकि हन्दवाड़ा
सहित पाक आतंकवादियों से सुरक्षाबलों की मुठभेड़ के समय ये अलगाववादी समर्थक उनकी मदद
करने के बजाय उन पर पत्थर फेंक कर आतंकवादियों को बचाने की भरसक कोशिश करते आये हैं।
हन्दवाड़ा में इन अलगाववादियों ने मुठभेड में गम्भीर रूप से जखमी हुए मेजर को उपचार
के लिए ले जारी गाडी को जानबूझकर आगे नहीं बढ़ने दिया, इससे उनका समय पर इलाज नहीं हो
सका। परिणामतः उनकी मौत हो गई। लेकिन तब देश
के किसी भी राजनीतिक दल ने न इन अलगाववादियों की निन्दा-भर्त्सना नहीं की और न उस बहादुर
मेजर की असमय मौत पर अफसोस ही जाहिर किया।
वैसे आज तक काँग्रेस समेत मुल्क के किसी भी सियासी
पार्टी ने कश्मीरी अलगाववादियों के पाकिस्तानी और आइ.एस. के झण्डे लहराने तथा राष्ट्रविरोधी
एवं पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाने पर ऐतराज नहीं जताया है। यही नहीं, देश भर के
किसी भी मुस्लिम धर्मगुरु, मौलाना, मौलवीय ने मस्जिदों को अलगाववादियों की गतिविधियों
का अड्डा बनाये जाने को गलत बताकर उसकी मजम्मत की हैं। किसी ने आज तक यह सवाल भी नहीं
उठाया कि हर शुक्रवार (जुमे) को नमाज के बाद मस्जिद से निकलते ही ये लोग पत्थरबाजी,
पाकिस्तानी और आइ.एस.का झण्डा लहराते हुए पाक के समर्थन तथा देशविरोध के विरोध में
नारे क्यों लगाते हैं? दरअसल, इससे उन्हें मुसलमानों के नाराज होने का डर है। थल सेनाध्यक्ष
का बयान पर काँग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाम नवी आजाद को बेहद बुरा
लगा। तब उन्होंने निर्दोद्गा कश्मीरी बच्चों पर पुलिस और सुरक्षाबलों द्वारा पैलेट
गन चलाये जाने पर दुःख जताया था। काँग्रेस के प्रवक्ता मीम अफजल और रणवीर सिंह सुरजेवाला
ने भी उन्हें कश्मीरी बच्चों के साथ सुरक्षा बलों के जुल्म तो दिखायी, पर उन्हें सुरक्षा
बलों पर पत्थरबाजी और उनका आतंकवादियों का बचाव करना कभी नहीं दिखायी दिया, जो पुलिस
चौकी/ थानों में आग लगाते हैं या सुरक्षा बलों के ठिकानों पर हथगोले फेंक कर या गोलीबारी
कर उनकी जान लेते रहते हैं। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रण्ट (जे़.के.एल.एफ.) के चेयरमैन
यासीन मलिक ने खुलेआम सेनाध्यक्ष के वक्तव्य को कश्मीरियों के लिए धमकी बताया था। कुछ
ऐसा ही हुर्रियत नेता मीर वाइज मौलवीफारूक और सैयद अलीशाह गिलानी को लगा था। गत 8 जुलाई
को हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमाण्डर बुरहान वानी के सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे
जाने के बाद से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी 'आइ.एस.आइ' की शह पर पाक समर्थक अलगाववादी
सड़कों पर भीड़ में आकर सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के साथ पाक आतंकवादी के किसी मकान
में घिरने पर उसे बचाने पहुँच जाते हैं। ये वहाँ नारेबाजी के साथ सुरक्षाबलों पर पथराव
करते हैं, इससे पुलिस, सी.आर.पी.एफ., सेना का ध्यान बँटता है और जवानों को अपनी जान
गंवानी पडती है। इसी लिए थल सेनाध्यक्ष बिपिन रावत को चेतावानी देने को मजबूर होना
पड़ा, जिस पर सियासी नेताओं ने राद्गट्रीय सुरक्षा की अनदेखी करते हुए सियासत करनी शुरू
कर दी।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार
63ब,गाँधी
नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054
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