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सिर्फ सलमान ही कसूरवार नहीं

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बचन सिंह सिकरवारMkW-cpu flag fldjokj हाल में अभिनेता सलमान खान ने पहलवानी पर आधारित फिल्म 'सुल्तान' के फिल्मांकन के लिए सेट पर अभ्यास के समय  कठोर मेहनत की चर्चा करते-करते अपने थक कर चूर होने पर अपनी हालत की तुलना जिस तरह बलात्कार की शिकार महिला से की, वह अत्यन्त अशोभनीय, अमर्यादित, लज्जाजनक ही नहीं, उनकी महिलाओं के प्रति असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा को प्रकट करती है। उसे कोई भी संवेदनशील और सभ्य व्यक्ति उचित नहीं  कहेगा, बल्कि उनकी ऐसी ओछी और गन्दी मानसिकता की निन्दा ही करेगा। उनकी इस बेजा हरकत की राष्ट्रीय महिला आयोग समेत कई राजनीतिक दलों और महिला सामाजिक संगठनों ने बहुत भर्त्सना की है। यहाँ तक कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने उन्हें सम्मन भेज कर उनसे जवाब माँगा। इस मामले को तूल पकड़ते देख सलमान खान के विद्वान लेखक पिता सलीम खान ने तत्काल अपने बेटे की तरफ से माफी माँग ली, जो पहले भी सलमान के मुम्बई बमकाण्ड के अभियुक्त याकूब मेमन की फाँसी को लेकर टि्‌वटर पर उल्टी-सीधी बातें लिखने पर ऐसा कर चुके हैं। उनका कहना था कि उदाहरण 'बेहूदा' था और 'शब्दावली भी गलत' थी,पर सल...

फिर गर्व है उत्तर प्रदेश को प्रधानमंत्रियों पर

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार उत्तर प्रदेश अपने पर इस बात के लिए गर्व कर सकता है कि उसने देश को अब तक आधा दर्जन से अधिक प्रधानमंत्री दिये हैं, लेकिन उनके कारण उसे कितना फायदा हुआ, यह बताना पाना उसके लिए हमेशा एक मुश्किल  सवाल रहा है। इन प्रधानमंत्रियों ने अपने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए भले ही विशेष ध्यान न दिया हो, पर इनमें से कुछ ने देश के लिए जो कुछ किया है, वह अतुलनीय है। अगर यह कहा जाए कि देश के स्वतंत्र होने के बाद की उसकी जितनी भी उपलब्धियाँ दिखायी देती हैं उनमें इसी राज्य के बने प्रधानमंत्रियों का ही योगदान रहा है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह उनके सोच की कमी नहीं, बल्कि उनका दृष्टिकोण व्यापक यानी अखिल भारतीय स्तर का होना रहा है। उनकी सोच का कारण इस क्षेत्र का भारत के इतिहास में समाहित है जो प्रारम्भ से अखिल भारतीय रहा है।   वैसे भी भगवान राम और कृ ष्ण की जन्म भूमि अयोध्या, मथुरा, भगवान शिव की नगरी काशी, गंगा-यमुना, सरयू सरीखी पवित्र नदियों, देवभूमि केदारनाथ, बद्रीनाथ का यह इलाका देश के धार्मिक तथा सांस्कृतिक रूप से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण रहा है। रा...

अब उन्हें आम आदमी की फिक्र क्यों ?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार देश में काली कमाई पर रोक लगाने को पाँच सौ और हजार रुपए के नोटों को रद्‌द करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्णय सर्वथा उचित होते हुए भी गलत समय और अधूरी तैयारी के साथ लिया गया है, जिससे आम आदमी को तमाम तकलीफें झेलने के सा - साथ कारोबार से लेकर खेतीबाड़ी तक को भी भारी नुकसान हो रहा है। भाजपाई इसे 'सर्जीकल स्ट्राइक' (लक्षित तक सीमित) बताते हुए खुद ही अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, जबकि यह बमबारी / युद्ध सरीखा है जिससे हर कोई प्रभावित है । क्या उन्हें नहीं मालूम है कि महँगाई के इस दौर में ये नोट ही मुख्य रूप से चलन में हैं। इससे अवैध कमाई से इनके अम्बार लगाने वाले ही नहीं, आम आदमी की जिन्दगी भी बुरी तरह प्रभावित होगी। ऐसे में केन्द्र सरकार के इस फैसले की आलोचना भी गलत नहीं है । लेकिन इस मामले में विपक्षी दल जनता के लिए जैसी हमदर्दी दिखावा कर रहे हैं, वह हैरान करने वाला है । वैसे केन्द्र सरकार ने यह कदम उठाते वक्त सहलाग और रबी के बुआई के के समय का ध्यान नहीं रखा गया। अब उसके इस निर्णय की वजह से आम आदमी को रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर शादी-विवाह...