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कब सीखेंगे जैसे को तैसा जवाब देना ?

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अन्ततः भारत के चीन के 'वर्ल्ड उइगर काँग्रेस' के नेता डोल्कुन ईसा का ई-वीजा रद्‌द किये जाने पर शायद ही किसी को हैरानी हुई होगी, क्यों कि जो देश और उसकी अब तक की सरकारें अपने से बहुत छोटे, कम ताकतवर और हर तरह से कम साधन सम्पन्न मुल्क पाकिस्तान को जैसे को तैसा जवाब देने में नाकाम रहा हो, उससे पूरी दुनिया को आँखें दिखाने वाले चीन को माकूल जवाब देने की उम्मीद करना ही फिजूल है। लेकिन चोट खाने के बाद तो कमजोर से कमजोर व्यक्ति भी थोड़ा-बहुत प्रतिरोध, विरोध और प्रतिकार भी जरूर दिखाता है, किन्तु भारत ने इसमें से  कुछ नहीं किया, जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के 'जैश-ए-मोहम्मद' के सरगना आतंकवादी अजहर मसूद के मामले में भारत के प्रस्ताव पर हाल में ही चीन वीटो लगा चुका है । भारत के लाख समझाये जाने के बाद भी ये बहुत बड़ा आतंकवादी है जिसने उसे बहुत नुकसान पहुँचाया है लेकिन अपने खास दोस्त पाकिस्तान की खातिर चीन कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुआ। उस यह सब कोई वक्त नहीं गुजरा कि जाने-अनजाने में भारत ने भी चीन के उइगर नेता डोल्कुन ईसा को पर्यटक ई-वीजा दे दिया, जो यहाँ धर्मशाला...

चीन अब भारत से परेशान क्यों है ?

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चीन भारत के दक्षिण चीन सागर में वियतनाम के साथ संयुक्त तेल खोज परियोजना सहयोग के बहाने   वियतनाम से प्रगाढ़ सम्बन्ध बनाने तथा इस सागर के अन्तर्राष्ट्रीय जल में अपने कानूनी दावों को सुदृढ़ करने   से बेहद नाराज है। इसके लिए वह वियतनाम के साथ-साथ फिलीपींस को भी कोस रहा है। उसका आरोप है कि ये दोनों देश तेल से समृद्ध विवादित दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को खारिज करने के लिए भारत तथा अमरीका जैसी बाहरी शक्तियों की सहायता ले रहे हैं। ऐसा करके ये दोनों मुल्क इस मसले को चीन के साथ द्विपक्षीय ढंग से सुलझाने के अपने वादे से मुकर रहे हैं। उसका यह भी कहना कि ये देश सौदेबाजी के तहत बाहरी ताकतों को बुला रहे है , किन्तु उनका यह मंसूबा कभी पूरा नहीं होगा। अब अच्छी बात यह है कि भारत उसके विरोध और धमकियों की कतई परवाह नहीं कर रहा है। गत १५ से १७ सितम्बर की विदेशमंत्री एस.एम.कृष्णा की वियतनाम यात्रा को लेकर अपनी नाखुशी जतायी। इस यात्रा के दौरान भारत ने वियतनाम के साथ वैज्ञानिक , तकनीकी , शिक्षा , व्यापार , तेल और गैस अन्वेषण , रक्षा , सेना , नौसेना और वायु सेना के संयुक्त ...

चीन अब भारत से परेशान क्यों है ?

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चीन भारत के दक्षिण चीन सागर में वियतनाम के साथ संयुक्त तेल खोज परियोजना सहयोग के बहाने   वियतनाम से प्रगाढ़ सम्बन्ध बनाने तथा इस सागर के अन्तर्राष्ट्रीय जल में अपने कानूनी दावों को सुदृढ़ करने   से बेहद नाराज है। इसके लिए वह वियतनाम के साथ-साथ फिलीपींस को भी कोस रहा है। उसका आरोप है कि ये दोनों देश तेल से समृद्ध विवादित दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को खारिज करने के लिए भारत तथा अमरीका जैसी बाहरी शक्तियों की सहायता ले रहे हैं। ऐसा करके ये दोनों मुल्क इस मसले को चीन के साथ द्विपक्षीय ढंग से सुलझाने के अपने वादे से मुकर रहे हैं। उसका यह भी कहना कि ये देश सौदेबाजी के तहत बाहरी ताकतों को बुला रहे है , किन्तु उनका यह मंसूबा कभी पूरा नहीं होगा। अब अच्छी बात यह है कि भारत उसके विरोध और धमकियों की कतई परवाह नहीं कर रहा है। गत १५ से १७ सितम्बर की विदेशमंत्री एस.एम.कृष्णा की वियतनाम यात्रा को लेकर अपनी नाखुशी जतायी। इस यात्रा के दौरान भारत ने वियतनाम के साथ वैज्ञानिक , तकनीकी , शिक्षा , व्यापार , तेल और गैस अन्वेषण , रक्षा , सेना , नौसेना और वायु सेना के संयुक्त अभ्यास ,...

अब इस्लामिक आतंकवाद से परेशान है चीन

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डॉ.बचनसिंह सिकरवार ची न के पाकिस्तान अधिकृत गुलाम कश्मीर की सीमा से लगे शिनजियांग प्रान्त में गत जुलार्ई माह में घटी दो हिंसक घटनाओं को लेकर अब वह अपने परम मित्र पाक से बेहद नाराज है। कुछ समय पहले ही चीन ने पाकिस्तान के एबटाबाद में आतंकवादी ‘ अलकायदा ' संगठन के सरगना ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमरीकी सैन्य कार्रवाई के समय इस महाशक्तिशाली देश के खफा होने की परवाह न करते हुए उसे चेतावनी भरे अन्दाज में कहा था कि भविष्य में पाक के विरुद्ध हुई किसी भी सैन्य कार्रवाई को वह अपने खिलाफ हमला समझेगा। इन हिसंक वारदातों में कोई २२ लोग मारे गए हैं। चीनी सेना शिनजियांग प्रान्त के पश्चिमी क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक   प्रदर्शनकारियों को गोली से उड़ा या घायल कर चुकी है। फिर इस इलाके में विद्रोह जारी है। चीन ने इन हमलों के लिए पाकिस्तान प्रशिक्षित ‘ ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेण्ट '-( ई.टी.आइ.एम.) को दोषी ठहराया है जिसका समर्थन यहाँ के प्रमुख समाचार पत्र ‘ चाइना डेली ' ने भी अपने सम्पादकीय में किया है। उसने स्पष्ट लिखा है कि इन आतंकवादियों ने शिनजियांग में हमले से पहले ई.टी.आइ.एम.क...