कैराना पर खामोश क्यों?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार पद्गिचमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के जनपद के कैराना कस्बे से एक समुदाय के कुछ दंबगों / अराजक तत्त्वों की आये दिन बदसूलकी, दहशतगर्दी, डराने-धमकाने, रंगदारी या हजारों-लाखों रुपए की चौथ वसूली, घर की बहू-बेटियों अस्मत लूटने वारदातें और उस पर सियासती दबाव में पुलिस-प्रशासन की अपराधियों के खिलाफ खामोशी से घबरा और आजिज आकर तीन सौ से अधिक हिन्दू परिवारों का अपना घर-द्वार, कारोबार छोड़ कर दूसरे जगहों पर बसने की खबर हैरान-परेशान करने वाली है। इसके साथ ही सेक्यूलरिज्म और समाजवाद के नाम पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की सियासत करने वालों को चेहरे पर बदनुमा धब्बा है जिसे धो पाना उनके लिए आसान नहीं होगा। सेक्यूलरिज्म के सबसे बड़े ठेकेदारों की सरकार के चलते यहाँ बड़े-बड़े तुर्रम खाँ डीएम.,एस.पी. तक अपना काम ईमानदारी से नहीं कर पा रहे हैं। इस डरावनी खबर के बाद भी जहाँ सूबे की सपा सरकार और उसी जैसी सियासी राह पर चलने वाले दूसरे कथित सेक्यूलर सियासी दलों के साथ-साथ वे खबरिया माध्यमों से जुड़े संस्थानों भी इस पर खोमाश बने हुए हैं या फ...