अफगानिस्तान की नयी दुविधा

डॉ.बचन सिंह सिकरवार अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हमीद करजाई ने हाल में अपनी द्विदिवसीय भारत यात्रा के दौरान अपने देश के हित में जिस तरह भारत के साथ सामरिक और दूसरे करार करना जरूरी समझा था , कुछ वैसे ही इन करारों को लेकर पाकिस्तान की चिन्ता दूर करना भी आवश्यक लगा। यही कारण है कि उन्होंने जहाँ पाकिस्तान को ‘ जुड़वा भाई ' कहा , वहीं ‘ भारत को महान मित्रा ' । अफगानिस्तान की नयी दुविधा यह है कि अपने इन दो पड़ोसी मुल्कों में से किस पर भरोसा करें ? उसकी मजबूरी यह है कि वह हकीकत बयान करने की हालत में नहीं हैं। पाकिस्तान उसका कैसा ‘ जुड़वा भाई ' है , अफगानिस्तान भली भाँति जानता है। भारत की उसके लिए कितनी अहमियत है , उसका ज्यादा बखान करना उसके लिए हितकर नहीं हैं। वैसे भी उनकी यह भारत यात्रा अनायास नहीं हुई है , बल्कि वह अमरीकी और नाटो सेना की वापसी के बाद अपने देश की सुरक्षा-व्यवस्था समेत दूसरी जरूरतों को दृष्टिगत रखते हुए खूब सोच - विचार कर ही भारत आये थे। इसकी तात्कालिक वजह यह है कि शान्ति प्रक्रिया से जुड़े पूर्व राष्ट्रपति प्रो. रब्बानी की आत्मघाती पा...