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नीतिश की राह पर क्यों नहीं चलते ?

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''हमें वह राजस्व नहीं चाहिए, जिससे लोगों के जीवन प्रभावित होता हो। अगर मैं शराब बन्दी कर एक  भी महिला की आँखों से आँसू पोंछने में सफल हुआ, तो मेरा यह राजस्व खोना सार्थक है। ये उशर' बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हैं जो उन्होंने अपने राज्य में पूर्ण शराब बन्दी लागू करते हुए व्यक्त किये। ऐसा करके उन्होंने चुनावी सभाओं में राज्य की उन महिलाओं  से किया अपना पहला वादा पूरा करके दिखा दिया है, जिन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें अपनी पीड़ा बताते हुए उसकी वजह शराब बताया था। अब मुख्यमंत्री पद सम्हालने के बाद नीतीश कुमार को यह निर्णय ले पाना बहुत आसान नहीं था, इसका कारण अब शराब से न केवल सरकार को आबकारी कर/ राजस्व के रूप में बहुत अधिक  धन का मिलता है, बल्कि बहुतों की तो राजनीति ही इससे चलती है। अब शराब के धन्धे से बड़ी संख्या मंें नेता, मंत्री, उनके परिजन और उनकी पार्टियों के कार्यकर्ता भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। इन सभी को नाराज कर सत्ता में बने रहना कोई आसान काम नहीं है, किन्तु नीतीश कुमार ने इन सब की परवाह न कर बहुत जोखिम लिया है। उनके इस साहसिक कदम...