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अरुन्धति जी, आपने इतिहास नहीं पढ़ा!

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                   डॉ.बचन सिंह सिकरवार इंग्लैण्ड के अँग्रेजी साहित्य के ‘ बुकर पुरस्कार ' विजेता तथाकथित सामाजिक कार्यकर्त्ता   और सुर्खियाँ में रहने की आदी अरुन्धति रॉय   ने गत २१ अक्टूबर को   ‘ कोलिशन ऑफ सिविल सोसाइटीज ' ( नागरिक सोसाइटीज के संयुक्त सम्मेलन)द्वारा नयी दिल्ली में आयोजित ‘ मुरझाया कश्मीरः आजादी या गुलामी'( विदर कश्मीरः फ्रीडम ऑर ऐनस्लेवमेण्ट) सेमीनार में अपनी आदत के मुताबिक यह कह कर हलचल मचा कि कश्मीर भारत का कभी अभिन्न अंग नहीं रहा , यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। इसे भारत सरकार ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया है कि ब्रिटिश शासन की समाप्ति के बाद भारत औपनिवेशिक ताकत बन गया है।      इस सेमीनार में कश्मीरी अलगाववादियों के साथ-साथ खालिस्तानी आन्दोलन की बचे-खुचे लोग , पूर्वोत्तर राज्यों के पृथकतावादी , माओवादी , नक्सलवादी आदि शामिल हुए थे , जिन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए भारत के संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की धज...