संदेश

डॉ.बचन सिंह सिकरवार लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फिर भी हैं ईमानदार, पाक-साफ और काबिल

चित्र
डॉ.बचन सिंह सिकरवार उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। इस समय सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को अपनी ओर आक र्षि त करने को तरह - तरह के यतन-जतन कर रहे हैं इसके लिए ये अपने-अपने नेताओं और अपने दलों की कथित नीति - सि़द्धान्तों को बेहतर बताने में जुटे हैं। इसके साथ ही अपने-अपने दल की सरकारों के समय किये विभिन्न कामों का बखान करते हुए अपने को  उनका सबसे बड़ा हितैषी साबित कर रहे हैं। ऐसा करते हुए ये अपने प्रतिद्वन्द्वी दलों की खा मियाँ बताते हुए अपनी खूबियों का ढिंढोरा भी पीट रहे हैं। हालाँकि अब मतदाता जागरूक और काफी समझदार हो गए हैं, वे अपने जनप्रतिनिधियों और सत्तारूढ़ दल की सरकार के कामों को अपनी कसौटी पर मूल्यांकन करते हैं फिर उसे वोट देते हैं।  लोकतंत्र में मतदान करने की यही सही कसौटी है, इसके बावजूद ऐसे लोगों की भी कमी नहीं, जो अपने मजहबी, जातिवादी, क्षेत्रवादी आग्रहों के कारण तो कुछ दल विशेष और नेता के प्रति अन्ध श्रद्धा, भक्ति, वि श्वा स के चलते उन्हें वोट देते आए हैं। इस कारण ही उन्हें न उस राजनीतिक दल की नीतियों - सिद्धान्तों में खोट दिखायी देते हैं और नेता की...

कोई तो हद होगी, अभिव्यक्ति की

चित्र
 डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली और उनके दल के सदस्यों के साथ जयपुर के जयगढ़ दुर्ग में  फिल्म 'पद्मावती' को लेकर करणी सेना के लोगों द्वारा की अभद्रता, मारपीट और फिल्म के सेट को तोड़े तथा फिल्मांकन रोके जाने की घटना सर्वथा अनुचित और अत्यन्त निंदनीय है, उसके लिए दोषी लोगों को विधि सम्मत जो भी दण्ड हो, उससे दण्डित भी किया जाना चाहिए। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को लेकर फिल्मी दुनिया समेत देश के कथित बुद्धिजीवियों ने जिस तरह विरोध जताया वह तो स्वीकार्य है, लेकिन इस बात पर क्षोभ और आश्चर्य भी है कि इनमें से किसी ने भी संजय लीला भंसाली से यह जानने का प्रयास नहीं किया कि आखिर देश के लोग विशेष रूप से राजपूत समाज उनकी इस फिल्म की कथा को लेकर इतना उग्र विरोध, असन्तोष, आक्रोश क्यों जता रहा है ? क्या संजय लीला भंसाली  ने उन लोगों की शं का समाधान करने का प्रयास किया, जो उनकी इस फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़मरोड़ कर,या उसे विकृत रूप में प्रस्तुत किये जाने की आशंका जता रहा है ? यहाँ एक प्रश्न अपने  देश के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधरों से...