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मुलायम सिंह यादव ने यह क्या कह दिया?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार    हाल में सोलहवीं लोकसभा के अन्तिम सत्र में संसद में समाजवादी पार्टी(सपा) के संस्थापक/संरक्षक और उ.प्र.के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ में कसीदे काढ़ते हुए जिस तरह विपक्ष के आगामी लोकसभा चुनाव के बाद  अल्पमत होने के चलते फिर से प्रधानमंत्री बनने की कामना की , उसकी उम्मीद सपने मंे भी खुद नरेन्द्र मोदी और भाजपा को तो बहुत दूर, उनकी अपनी पार्टी सपा समेत किसी भी विपक्षी दल को नहीं होगी। श्री यादव के इस कथन से उनके बगल में बैठीं काँग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी तो एकदम हतप्रभ और अवाक् रह गईं। फिर एकटक मुलायम को देखने लगीं। तब उनके हावभाव देखने लायक थे। उसके बाद सोनिया गाँधी पीछे मुड़कर अपने और विपक्ष के सांसदों के चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश करने लगी। शायद वह उनकी भी प्रतिक्रिया जानना चाहती थीं। लेकिन उनकी तरह दूसरे दलों के सांसदों को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था, ऐसी हालत में वे क्या करें या न करें? इन सबके विपरीत सत्ता पक्ष के सांसद मेजें थपथपा कर प्रसन्नता व्यक्त कर रहे थे। अब विपक्षी नेता और राजनीति व...

सिर्फ उनकी नहीं है यह कामयाबी ?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में देश के पाँच राज्यों में हुए विधानसभाओं चुनावों में उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में मिली अपार और अप्रत्याशित सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को देने की होड़ लगी है , लेकिन विचार करें , तो यह कामयाबी सिर्फ इन दोनों की ही नहीं है इनमें समाजवादी पार्टी की सरकार के मुखयमंत्री अखिलेश यादव और उनकी पूर्ववर्ती बहुजन समाज पार्टी की मुखयमंत्री मायावती , उत्तरखण्ड में काँग्रेस के मुखयमंत्री हरीश रावत का अत्याधिक योगदान रहा है , जिसकी सारे भाजपाई ही नहीं , स्वयं सपाई , बसपाई , काँग्रेसी पूरी तरह अनदेखी कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि इन सभी के बगैर ऐसी जीत की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अफसोस की बात यह है कि अपनी जीत-हार के असल कारणों पर विचार करने बजाय मायावती समेत सपाई और काँग्रेसी इसका सारा ठीकरा ' इलैक्ट्रिक वोटिंग मशीन '( इवीएम) पर फोड़ रहे हैं। वैसे भी अपने देश में अधिकांश मामलों में विकल्पहीनता की  जीत होती आयी है। लोग जब एक राजनीतिक दल की सरकार की अनुचित नीतियों-आचरण से ऊब जाते हैं , तब न चाहते हुए नए विकल्प...

फिर इस देश में कौन सुरक्षित है?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के  पाँच सौ और हजार रुपए के नोटबन्दी के निर्णय को लेकर पूरे देश में इसके समर्थन और विरोध में जुलूस- प्रदर्शन , बहस-मुबाहिसों का दौर अब तक जारी है लेकिन इसी मामले में  तृणमूल काँग्रेस के बेहद करीबी तथा पश्चिम बंगाल  की मुखयमंत्री ममता बनर्जी के घोर समर्थक कोलकाता की टीपू सुल्तान के शाही इमाम मौलाना नूरूर रहमान बरकती द्वारा गत 7 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ फतवा दिया है कि कि जो शखस प्रधानमंत्री के सिर के बाल और दाड़ी का मुण्डन करेगा , उसे ' ऑल इण्डिया माइनोरिटी फोरम ' तथा ' ऑल इण्डिया मजलिस -ए-शूरा ' की ओर से 25 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा।  उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबन्दी का ऐलान का पाप किया है , यह फतवा उसका दण्ड है। निःसन्देह उनका फतवा यह अत्यन्त अलोकतांत्रिक ही नहीं , बेहद भद्‌दा , खतरनाक धमकीभरा , दुस्साहसपूर्ण और मुल्क की कानून-व्यवस्था को खुली चुनौती देने वाला है।  इस पर हैरानी की बात यह है कि इतने पर भी उस मौलाना के इस विवादित फतवे की ममता बनर्जी समेत देश के किसी भी राजनी...

क्या इस हकीकत से वाकिफ नहीं हैं मोदी जी?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार देशभर में हर रोज बड़ी संख्या में हजारों , लाखों , करोड़ों के नये  नोटों की गडि्‌डयों के साथ लोगों के पकड़े जा रहे हैं , जिनमें कुछ जगहों पर दो हजार रुपए के नकली नोट भी मिले हैं , यहाँ तक कि आतंकवादियों के पास भी कई हजार के नये नोट मिले हैं । इससे देश की केन्द्रीय बैंक ( रिजर्व बैंक) तथा बैंकिंग व्यवस्था की पोल खोल दी है। इनके अधिकारियों और कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटी बन्दी के फैसले के नतीजों को ही पलीता लगा दिया है। अब तक बड़ी संख्या में नये नोटों के साथ पकड़े गए लोगों में से नौकरशाह , राजनीतिक दलों से जुड़े लोग , व्यापारी , ज्वैलर्स , ठेकेदार आदि शामिल हैं। अभी तक नोट बदलने के आरोप में एक्सिस बैंक और रिजर्व बैंक के कई अधिकारी गिरफ्तार किये जा चुके हैं। देशभर में बड़ी संख्या में बैंक अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गईं और उनकी जाँच की जा रही हैं। आश्र्चर्य की बात यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह जानकारी नहीं थी कि देश की नौकरशाही और सरकारी कर्मचारी कितने ईमानदार हैं ? क्यों एक आम आदमी सरकारी तंत्र से यथा सम्भव बचना चाहत...

फिर भी हैं ईमानदार, पाक-साफ और काबिल

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। इस समय सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को अपनी ओर आक र्षि त करने को तरह - तरह के यतन-जतन कर रहे हैं इसके लिए ये अपने-अपने नेताओं और अपने दलों की कथित नीति - सि़द्धान्तों को बेहतर बताने में जुटे हैं। इसके साथ ही अपने-अपने दल की सरकारों के समय किये विभिन्न कामों का बखान करते हुए अपने को  उनका सबसे बड़ा हितैषी साबित कर रहे हैं। ऐसा करते हुए ये अपने प्रतिद्वन्द्वी दलों की खा मियाँ बताते हुए अपनी खूबियों का ढिंढोरा भी पीट रहे हैं। हालाँकि अब मतदाता जागरूक और काफी समझदार हो गए हैं, वे अपने जनप्रतिनिधियों और सत्तारूढ़ दल की सरकार के कामों को अपनी कसौटी पर मूल्यांकन करते हैं फिर उसे वोट देते हैं।  लोकतंत्र में मतदान करने की यही सही कसौटी है, इसके बावजूद ऐसे लोगों की भी कमी नहीं, जो अपने मजहबी, जातिवादी, क्षेत्रवादी आग्रहों के कारण तो कुछ दल विशेष और नेता के प्रति अन्ध श्रद्धा, भक्ति, वि श्वा स के चलते उन्हें वोट देते आए हैं। इस कारण ही उन्हें न उस राजनीतिक दल की नीतियों - सिद्धान्तों में खोट दिखायी देते हैं और नेता की...