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बलूचिस्तान पर बोलने पर परहेज क्यों ?

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हाल में  'विश्व  बलूच महिला मंच' की अध्यक्ष और बलूच स्वतंत्रता आन्दोलन की नेता प्रोफेसर नाएला कादरी ने दिल्ली आगमन पर भारत सरकार से बलूचिस्तान स्वतंत्र आन्दोलन में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि भारत सरकार बलूचियों के साथ साथ उनके स्वतंत्रता आन्दोलन में  कन्धे से कन्धा को मिलाकर खड़ा हो। जहाँ पिछले 2003 से बगावत के हालात बने हुए है, वहाँ सन्‌ 20004 से पाकिस्तान के पाँच सैन्य अभियानों में कोई 19,000 बलूच मारे जा चुके हैं और लोग लापता है इनमें बड़ी तादाद में औरतें भी शमिल हैं, पुलिस और सेना के अत्याचार से बचने के लिए मर्द घरों /मुल्क से बाहर ही रहते हैं। ज्यादातर बलूच नेता दूसरे मुल्कों में निर्वासित होकर रह रहे हैं। वहाँ हैवानियत का नंगा नाच हो रहा है। पाकिस्तानी पुलिस,सेना और खुफिया एजेंसियों के तमाम जुल्मों और बर्बर कार्रवाइयों के सहते हुए भी उनमें अपनी आजादी के लिए जज्बा कम होने के बजाय लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इतना सब कुछ देखते हुए भी भारत बलूचिस्तान में यह कहकर दखल देने से बचता आया है कि यह पाकिस्तान का आन्तरिक मामला है। फिर भी पाकिस्तान बलू...