संघर्ष, उत्सर्ग,वीरता की शौर्यगाथा क्षत्रिय राजवंश बड़गूजर-सिकरवार-मढाड़
पुस्तक समीक्षा
लेखक-कँुवर अमित
सिंह ,डॉ.खेमराज राघव,
पवन बख्शी
समीक्षक- राघेवन्द्र सिंह
सिकरवार पूर्व
प्रधानचार्य

यद्यपि इस
पुस्तक लेखकों में से कोई
भी पेशेवर
इतिहासकार नहीं है, तथापि इन्होंने
इतिहास लेखन
के सभी
मानदण्डों को यथासम्भव अपनाते हुए
इसे लिखा
है। यह
सब देखते-परखते हुए
ही भारतीय
पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व
निदेशक डॉ.धर्मवीर शर्मा
ने इस
पुस्तक के
बारे में
लिखा है,‘‘
यह प्रमाणित
दस्तावेज मध्यकाल
के राजपूत
इतिहास पर
एक शास्त्र
है। इनके
अलावा अलीगढ़
मुस्लिम विश्वविद्यालय
के इतिहास
विभाग के
प्रोफेसर डॉ.मानेवन्द्र सिंह
पुण्डीर ने
भी इस
पुस्तक की
विशेषताओं का उल्लेख करते हुए
लिखा है,‘
यह पुस्तक
बड़गूजर राजपूतों
का वर्तमान
जनसांख्यिकीय स्थिति के साथ एक
व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से
अध्ययन करने
का एक
अग्रणी प्रयास
है जो
निश्चित रूप
से राजपूतों
के इतिहास
की कुछ
रिक्तियों को भरेगी, और आगे
के शोधों
के मार्गदर्शन
के लिए
एक प्रकाश
स्तम्भ सिद्ध
होगी।’ इस
पुस्तक के
माध्यम से बड़गूजर-सिकरवार,मढाड़
राजपूतों की
भारतीय इतिहास
में अभिनीत
अहम भूमिका
ज्ञात होती
है। इस
पुस्तक में
इस वंश
का आदि
से लेकर
आद्य इतिहास
समाहित करने
का अनूठा
प्रयास किया
गया है।
यदि यह
कहा जाए
तो अत्युक्ति
नहीं होगी
कि यह पुस्तक न केवल बड़गूजरों
का सम्पूर्ण इतिहास
है,वरन
इसमें उसके
विभिन्न पक्षों
का भी
विस्तार से
उल्लेख भी
है। इसमें
बड़गूजर, सिकरवार,
मढाड़ के देश के विभिन्न
प्रदेशों और
जिलों में
बसावट का
भी वर्णन
हैं। निश्चय
ही
इससे सजातीय बन्धुओं का एक-दूसरे के
विषय में
जानने-समझने
में सुगमता
होगी। यह
पुस्तक चार
खण्डों यथा-
प्रथम में
क्षत्रिय बड़गूजरः
एक सिंहावलोकन, उत्पत्ति
और आद्य-इतिहास, बड़गूजर
वंशावली, द्वितीय
में बड़गूजर
इतिहास-दौसा,
राजौरगढ़, सीकरगढ़,
कामा, देवती,
माचाड़ी, कोलासार,
तीतरवाड़ा और
कांकवाड़ी, घासेरा, कलायत,,चौंडेरा, अनूपशहर,
मझौला, लेसामढ़-सिहोंडा, सरसैनी,तृतीय- क्षेत्रावार
बसावट, गद्दियाँ
और गाँव,1.
राजस्थान के
बड़गूजर,2. हरियाणा के बड़गूजर, 3.उत्तर
प्रदेश के
बड़गूजर, 4.मध्य प्रदेश के बड़गूजर,
5. मध्य प्रदेश
के सिकरवार,
6. उत्तर प्रदेश
के सिकरवार,
7. बिहार के
सिकरवार 8.राजस्थान के सिकरवार 9.हरियाणा
के मढाड़
10. बिहार के लौतमिया, 11. मुस्लिम बड़गूजर,
12़ बड़गूजर
राजपूतों से
पृथक जातियों,
चतुर्थ-सांस्कृतिक
वैभव-1.बड़गूजर
पहचान चिह्न, 2.रीति-रिवाज
और परम्पराएँ,
3.वेश-भूषा
और खान-पान 4.स्थापत्य
और कला, 5
बड़गूजरों का
आर्थिक आधार
6. वंशावली-लेखनः एक राजपूत परम्परा।
साथ ही
परिशिष्ट-बड़गूजरों
की उत्पत्ति
का विवाद
मूल्य-499 रुपए, पृष्ठ - 320
प्रकाशक- ब्लूस्मबरि
- नई दिल्ली,
लखनऊ, न्यूयार्क,
सिडनी
मिलने का पता - मॉर्डन बुक
डिपो, सदर
बाजार, आगरा - 282001
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