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सिर्फ उनका ही नहीं है कश्मीर

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार '' कश्मीर में आतंकवादी बन रहे नौजवान विधायक या सांसद बनने के लिए नहीं , बल्कि इस कौम और वतन की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर रहे हैं , वे आजादी और हक के लिए लड़ रहे हैं। '' यह बयान किसी अलगाववादी या आतंकवादी संगठन के नेता का नहीं हैं , बल्कि गत 24 फरवरी को नेशनल काँन्फ्रेंस  के अध्यक्ष एवं पूर्व मुखयमंत्री डॉ.फारूक अब्दुल्ला का है। ऐसा कह कर उन्होंने कश्मीर के उन दहशतगर्दो और उनकी दहशतगर्दी को जायज ठहराया है , जो एक अर्से से न सिर्फ इस सूबे में खूनखराबा कर दहशत फैलाते हुए भारतीय सैन्य बलों पर लगातार हमला कर इस मुल्क के खिलाफ बकायदा जंग लड़ रहे हैं , बल्कि ये उसकी स्वतंत्रता , एकता , अखण्डता , सम्प्रभुता को दुश्मन मुल्क पाकिस्तान की मदद और उसकी शह पर उसे खण्डित तथा खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने यह सब अनजानें में या भावावेश में भी नहीं कहा है। अपने मुल्क के खिलाफ ऐसा जहर उन्होंने पहली बार नहीं उगला है , बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत उनकी तीन पीढ़ियाँ समय-समय पर ऐसा ही करती आयी हैं। खासकर जब वह सत्ता से बाहर होती हैं। कुछ स...