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बस ख्याली पुलाव है ‘तीसरा मोर्चो'/ ‘फेडरल फ्रण्ट'

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- डॉ.बचन सिंह सिकरवार एक बार फिर देश के कुछ राजनीतिक दलों ने गैर काँग्रेस और गैर भाजपा के   तीसरा मोर्चा/फेडरल फ्रण्ट ( संघीय मोर्चा ) गठित करने का शिगूफा छेड़ दिया है और उसके विस्तार के सिलसिले में विभिन्न दलों के नेताओं   से सम्पर्क भी कर रहे हैं। लेकिन इनकी अगुवाई में जुटे दलों के बगैर किन्हीं ठोस मुद्दों , सिद्धान्तों , नीतियों के कोरे राजनीतिक विरोध से मोर्चे नहीं बनते। अगर बन भी जाते हैं तो छोटे-छोटे मुद्दों और आपसी स्वार्थों के टकराव के कारण उन्हें टूटने में भी देर नहीं लगती। इसके साथ ही इन दलों की   पिछली कारगुजारियों और उनके नेताओं की अवसरवादिता , जातिवादी , क्षेत्रवादी , मजहबी चरित्र को देखते हुए इसकी कामयाबी और इसके टिकाऊ होने की   बहुत ज्यादा उम्मीद करना फिजूल ही होगा। फिर इसके गठन में लगे ये दल अपने ही राज्य में अपने ही घोर विरोधी दलों से कैसे   हाथ मिलाएँगे ? यदि ऐसा नहीं करते , तो वे इस मोर्चे को ...