संदेश

जम्मू-कश्मीर लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अब क्यों खामोश हैं गद्‌दारों के हिमायती ?

चित्र
डॉ.बचन सिंह सिकरवार जम्मू-कश्मीर में इसी 17 फरवरी को श्रीनगर के नौहट्‌टा स्थित ऐतिहासिक जामिया मस्जिद , दक्षिण कश्मीर के पुलवामा तथा उत्तरी कश्मीर के सोपोर में ' नमाज -ए-जुमा ' के बाद आतंकवादियों और अलगाववादियों के समर्थकों ने पाकिस्तान तथा इस्लामिक आतंकवादी संगठन ' आइ.एस. ' के झण्डे लहराते  ' जीवे-जीवे पाकिस्तान ', ' हम क्या चाहते आजादी ', ' गिलानी  का एक ही अरमान-कश्मीर बनेगा पाकिस्तान ' नारे लगाते आगे बढ़ने पर सुरक्षा बलों के रोकने जाने पर जिस तरह वे पथराव , हिंसा और आगजनी की , उससे लगता है कि उन पर थल सेनाध्यक्ष बिपिन रावत की उस चेतावनी का कोई असर नहीं हुआ , जिसमें इन अलगावादियों तथा पाक परस्तों को ऐसी बेजा हरकतों से बाज आने का आग्रह किया था। आच्च्चर्य की बात यह है कि अब उनकी इस राष्ट्र विरोधी हरकतों पर काँग्रेस , नेशनल कान्फ्रेंस ंसमेत अलगावादी संगठनों के नेता हमेशा की तरह चुप्पी साधे हुए हैं जबकि इन्हें थल सेनाध्यक्ष की सही , सामयिक और अपरिहार्य चेतावनी अनुचित , अनावश्यक तथा कश्मीरियों के लिए दमनकारी नजर आ रही थी। जिस तरह इन लोगो...

अब इस बेइन्साफी पर चुप क्यों ?

चित्र
डॉ.बचन सिंह सिकरवार                                                    जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों को केन्द्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार द्वारा पश्चिमी पाकिस्तान से आकर यहाँ बसे लोगों को ' अधिवास प्रमाणपत्र ' दिये जाने के फैसले और ' सरफेसी अधिनियम ' को लेकर बेहद नाराजगी है। इनकी मुखालफत में अब ये हर तरह के हथकण्डे अपना रहे हैं । यहाँ तक कि ये लोग इन्हें पाकिस्तान भेजने की बात कर रहे हैं और उनकी तुलना बांग्लादेशियों से करते हैं। इस  मामले में नेशनल कान्फ्रेंस खुलकर उनके साथ है और काँग्रेस दबे स्वर में। लेकिन इस मुद्‌दे पर हमेशा की तरह देश के पंथनिरपेक्ष राजनीतिक दल सपा , जदयू , बसपा , राकांपा , तृणमूल काँग्रेस , वामप न्थी पार्टियाँ , मानवाधिकारों के समर्थक और सहिषुणता के पक्षधर पूर्णतः शान्त बने हुए हैं , क्या इनकी यह उन ...