कौन वापस करेगा अब यमुना की पावनता को ?

डॉ.बचनसिंह सिकरवार हिमालय के अंचल में स्थित यमुनोत्री से निकली भगवान सूर्य ( रवि) की बेटी और यम(काल) की बहन यमुना आदि काल से इस धरा के लोगों को हर तरह से तारती आयी है। अब उन्हीं के वंशजों के स्वार्थपूर्ण कार्यकलापों ने इस मोक्षदायनी की न केवल पावनता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है , बल्कि इतना विषाक्त कर दिया है कि वे लाख चाहने पर इसके जल का आचमन तो दूर , इसमें नहाने का साहस भी नहीं कर पा रहे हैं। वस्तुतः हिमालय की चोटियों से निकल कर रवि सुता यमुना देश के कई राज्यों की सीमाओं में बहती हुई अन्ततः इलाहाबाद(प्रयाग) में संगम पर गंगा में विलीन हो जाती है। अब यमुना के प्रदूषण का खतरा अपने उद्गम स्थल यमुनोत्री पर भी उत्पन्न हो गया है जहाँ मानवीय गतिविधियों के बढ़ने तथा उनके हस्तक्षेप से यमुना की पवित्राता और अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगने प्रारम्भ हो गये हैं। अमरीका की ‘ नेशनल एयरोनोटिक स्पेस एजेन्सी ' ( नासा) की एक रपट के अनुसार वैश्विक उष्णता ( ग्लोबल वार्मिंग) के कारण गढ़वाल हिमालय के समस्त ‘ हिमखण्ड ' या ‘ हिम नदी ' ( ...