अब कहाँ हैं असहिष्णुता के ढिंढोरची?
डॉ.बचनसिंह सिकरवार
हाल में बिहार के
पूर्णिया जिले बायसी थाने में 'ऑल इण्डिया इस्लामिक
कौंसिल' के बैनर तले हिन्दू महासभा के
नेता कमलेश तिवारी के पैगम्बर मोहम्मद साहब बारे में विवादित टिप्पणी के विरोध में केन्द्र सरकार से उसके लिए फाँसी की सजा की
माँग करते हुए गत 8 जनवरी कोई 30 से 40 हजार मुसलमानों की
उग्रभीड़ ने थाने को तहस-नहस कर हिंसा का नंग नाच किया। पुलिकर्मियों ने थाने से
भाग कर अपनी जान बचायी। इससे पहले पश्चिम बंगाल के मालदा जिले स्थित कोलियाचक थाने
इलाके में गत 4जनवरी को कोई ढाई लाख मुसलमानों
द्वारा निकाले गए जुलूस के दौरान कालियाचक थाने पर हमला, सरकारी बस, जिप्सी समेत 25 गाड़ियों, अल्पसंख्यक हिन्दुओं के
घरों-दुकानें को फूँक डालने और उन्हें लूटने की वारदात की केन्द्र ने राज्य सरकार
से अब रपट माँगी है। लेकिन इस इतनी बड़ी घटना के समाचार को न समाचार पत्रों ने
प्रकाशित और न प्रादेशिक / राष्ट्रीय चैनलों ने प्रसारित करने योग्य समझा। इतना ही
नहीं, कमलेश तिवारी का सिर काट कर लाने
वाले को बिजनौर के मौलाना अनवारूल हक ने 51 लाख तथा नजीबाबाद के
मौलाना नईम ने एक करोड़ रुपये का इनाम देने का मुल्क के कानून को ठेंगा दिखाते हुए
खुले आम ऐलान किया है, पर अब तक कानून के
रखवाले उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय हाथ पर हाथ रखे बैठें हैं। इस मुद्दे
पर देश के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने
अपनी खोलने की जरूरत समझी। ऐसे में मुल्क में असहिष्णुता बढ़ने का ढिंढोरा पीटने
वाले ढिंढोरचियों का खामोश रहना लाजिमी है। इस पर आपको भी हैरान होने की कतई जरूरत
नहीं है,क्यों कि इन वारदातों को अन्जाम
देने वाले कोई हिन्दू नहीं थे।
इसी मामले में पहले भी
मुसलमान देश के विभिन्न राज्यों के कई नगरों देहरादून, भोपाल, बिजनौर, देवबन्द, जयपुर, लखनऊ, मुजफ्फरनगर, आगरा, गोरखपुर, मेरठ आदि में हजारों की संख्या में उग्र प्रदर्शन कर चुके हैं। यहाँ तक कि
राजस्थान के ही टौंक शहर में उनके जुलूस में पाकिस्तान के झण्डे फहराने से लेकर
पाकिस्तान जिन्दाबाद, आई.एस. जिन्दाबाद के
नारे भी लगाये गए। कुछ नगरों में मुसलमानों की हिंसा पर उतारू भीड़ से साम्प्रदायिक
दंगा भड़के नौबत आ गयी, जबकि कमलेश तिवारी के
खिलाफ सहारनपुर के देवबन्द थाने में मुकदमा दर्ज होने के तुरन्त बाद उन्हें
गिरफ्तार किये जाने के साथ उत्तर प्रदेश सरकार ने 9 अगस्त
को उन पर 'राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम
(एन.एस.ए.) भी लगा दिया है। हिन्दू महासभा भी कमलेश तिवारी से नाता तोड़ कर उनके
बयान की निन्दा कर चुकी है। कमलेश तिवारी ने भी पैगम्बर मोहम्मद साहब की शान में
निन्दनीय बोल उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मोहम्मद आजम खाँ द्वारा
आर.एस.एस.को समलैंगिकों का संगठन बताये जाने के जवाब में गुस्से की हालत में बोले
थे, किन्तु आजम खाँ के खिलाफ आर.एस.एस. समेत किसी भी
हिन्दू संगठन ने कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं दिखायी। इसके विपरीत कमलेश तिवारी की
किसी ने तरफदारी तो दूर उनकी निन्दा ही की है। फिर भी मुसलमान हर जगह खुले आम यह
ऐलान करते फिर रहे हैं कि उनके पैगम्बर के विरुद्ध कोई कुछ भी अनुचित बोलेगा, वे उसकी जान ले भी सकते हैं और जान दे भी सकते हैं। लेकिन
अभी तक कहीं भी पुलिस-प्रशासन उनके विधि विरुद्ध इन बोलों पर संज्ञान तक नहीं
लिया। उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात सोचना ही फिजूल है। इनके साथ-साथ किसी भी
राजनीतिक और मजहबी नेता, सेक्यूलर साहित्यकारों
ने इन आन्दोलनरत मुसलमान भाइयों से यह नहीं पूछना जरूरी नहीं समझा कि क्या उन्हें देश के कानून और अदालतों पर
यकीन नहीं है ?
देशभर में सियासी
पार्टियों के इस रवैये के कारण कट्टरपन्थियों के हौसले बढ़े हुए हैं जब उनकी
देखादेखी कुछ हिन्दू कर देते या बोलते हैं तो ये तथाकथित सेक्यूलर नेता और साहित्यकार
मुल्क में असहिष्णुता बढ़ने का सामूहिक गान शुरू करते हैं। उस पर कुछ तो इसके खिलाफ
यू.एन.ओ. को चिट्ठी लिख कर मुल्क को बदनाम करने से संकोच नहीं दिखाते।
अब अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के मामले में पश्चिम
बंगाल की तृणमूल काँग्रेस अपनी पूर्ववर्ती वाम मोर्चा को भी पीछे छोड़ने में लगी
है। तभी तो राज्य सरकार कोलकाता के तालपुकुर के उसी से मान्यता प्राप्त मदरसे के
हेड मास्टर काजी मासूम अखतर को कट्टरपन्थी मौलवियों के जुल्मों से बचा नहीं पा
रही है, जबकि वह सरकार द्वारा ही चयनित
हेड मास्टर हैं। अपने छात्रों को राष्ट्रगान जन गण मन गवाने, दाढ़ी न रखने और पेण्ट-कमीज पहने पर मौलवियों ने उनकी जमकर
पिटाई की, जिसके कारण उन्हें अस्पताल में
रहना पड़ा। मौलवी राष्ट्रगान को गैरइस्लामिक मानते हैं। गत मार्च में उनके खिलाफ
फतवा जारी कर दिया कि जब तक वह बढ़ी हुई दाढ़ी और कुर्ता-पजामा पहनना कर मदरसा नहीं
आएँगे, तब तक उन्हें मदरसे में घुसने
नहीं दिया जा रहा है। अपने साथ हो रहे इस जुल्म के खिलाफ काजी मासूम अख्तर मुख्यमंत्री
ममता बनर्जी को कई पत्र लिखने के साथ-साथ राज्यपाल, पुलिस, अल्पसंख्यक आयोग से फरियाद कर
चुके हैं, लेकिन अब कहीं भी उनकी सुनवाई
नहीं हुई है।
कुछ जनसंचार माध्यमों
में इस खबर आने के बाद माकपा के नेता और पूर्व सांसद हन्नान मोल्ला ने कहा कि
तृणमूल काँग्रेस कट्टरपन्थियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। अख्तर के साथ जो
हो रहा है वह असहिष्णुता है। लखनऊ के मौलाना खालिद राशिद ने भी कहा है कि
राष्ट्रगान गाना हर भारतीय का कर्त्तव्य है। पश्चिम बंगाल सरकार को इस मामले में
कड़ी कार्रवाई करना चाहिए।
वैसे तृणमूल कांग्रेस सरकार की अल्पसंख्यकों के
तुष्टिकरण की नीति पर चलते ही मालदा में महिला फुटबाल मैच को नहीं होने दिया, क्यों कि एक मौलवी ने महिलाओं के फुटबाल खेलने को मजहब के खिलाफ
बताते हुए फतवा जारी किया था। इसके अलावा राज्य सरकार ने इस साल दुर्गा पूजा के पश्चात
मूर्ति विसर्जन और ईद एक ही दिन पड़ने पर हिन्दुओं के उसी दिन मूर्ति विसर्जन पर
रोक लगा दी। यहाँ तक कि पठानकोट हवाई अड्डे पर आतंकवादी हमले में शहीद
लेफ्टिनेण्ट कर्नल निरंजन को लेकर केरल के मल्लपुरम के रहने वाले अनवर सादिक ने सोशल
मीडिया पर मलयालम में बेजा टिप्पणी की। उसने लिखा, ''अच्छा हुआ। एक और बला टली। अब सरकार पैसा देगी। उनकी पत्नी को नौकरी देगी और
हम जैसे सामान्य आदमी को कुछ नहीं मिलेगा। भारतीय लोकतंत्र है ही बेकार।'लोगों के विरोध के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया, पर विचारणीय विषय यह है कि अल्पसंख्यक वर्ग युवा किस दिशा
में जा रहे हैं?
यहाँ कि तृणमूल काँग्रेस के सांसद इदरिश का
दुःसाहस भी देखिए कि हाल में उसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पाकिस्तानी
आतंकवादियों से सम्बन्ध होने का आरोप लगा दिया। उसका कहना है कि इसी कारण उनके
पाकिस्तान से दौरे के फौरन बाद पठानकोट हवाई अड्डे पर आतंकवादियों ने हमला किया
है। इसी सांसद माकपा नेता गौतम देव को धमकाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
को जेल में बन्द करने की बात करते हैं लेकिन इससे पहले मैं उनका हाथ, पैर और कमर तोड़ दूँगा,
उनकी जीभ
खींच लूँगा।
यह सही है कि अपने देश में विरोध
प्रदर्शन और अपनी बात कहने की आजादी है लेकिन इसकी आड़ में किसी समुदाय विशेष को
साम्प्रदायिक शक्ति दिखाते हुए थानों पर पुलिसकर्मियों और दूसरे समुदायों के लोगों
पर हमले कर उन्हें खौफजदा कर कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत मुल्क का कोई कानून
नहीं देता। लेकिन वोट के लालची कुर्सी की खातिर भाजपा समेत सभी सियासी पार्टियों
के नेता इस असहिष्णुता की बराबर अनदेखी करते आ रहे हैं, जो देश के साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए ही नहीं, उसकी स्वतंत्रता, एकता,अखण्डता के लिए भी घातक साबित हो सकती है। डॉ.बचन सिंह
सिकरवार 63ब,गाँधी
नगर, आगरा-282003 मोबाइल नम्बर-9411684054
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें