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अमरीका के भरोसे खुशफहमी पालना फिजूल

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 डॉ.बचन सिंह सिकरवार  इस बार नये वर्ष के पहले दिन ही अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पाकिस्तान को धोखेबाज बताते हुए आतंकवाद को खत्म करने को दी जाने वाली जिस सैन्य सहायता को बन्द करने की घोषणा की, उससे भारत को बहुत अधिक उत्साहित होने और इसे अपनी जीत जताने की आवश्यकता नहीं है। कारण यह है कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह निर्णय पाकिस्तान के भारत के विरुद्ध उसके आतंकवादी अभियान चलाने की वजह से नहीं, वरन् पड़ोसी अफगानिस्तान में सक्रिय कई दहशतगर्द गिरोहों को अपने यहाँ पालने-पोसने और पनाह देने को लेकर दी गई, जहाँ वह उनके सफाये को लेकर बड़ी संख्या में सैनिक रखे हुए हैं। फिर अमरीका बगैर स्वार्थ के कभी किसी मुल्क की न आर्थिक मदद करता और न ही सैनिक सहायता ही देता है। अपने हितों को देखते हुए उसे  निर्णय बदलने में देर भी नहीं लगती। पाकिस्तान अब तक अमरीका की बदौलत भारत को हर तरह से हैरान-परेशान करता आया है। अमरीका ने सन् 1965 और सन् 1971 के युद्धों में न केवल पाकिस्तान की खुलकर मदद की, बल्कि उसके रुख के कारण भारत अपनी इन जीतों के बाद भी पाकिस्तान के चुंगल से गुलाम कश्मीर ...

किसके हित में है ये जाति विद्वेष की राजनीति ?

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 डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में पुणे के पास स्थित भीमा-कोरेगाँव युद्ध की 200वीं बरसी की पूर्व सन्ध्या पर शनिवारवाड़ा में गत 31दिसम्बर को आयोजित ‘यलगार परिषद्‘ में गुजरात के दलित नेता तथा नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवाणी और जे.एन.यू. के छात्र उमर खालिद के उत्तेजिक भाषणों और उनकी प्रतिक्रिया मंे  स्थानीय लोगों से झ़ड़पों के पश्चात् महाराष्ट्र तथा गुजरात के कई नगरों में भड़की जाति विद्वेष की हिंसा में दो लोगों की जानें जाने के साथ सैकड़ों वाहन जलाने, उनमें तोड़फोड़ की गई, रेलें रोकी गई, सड़कों पर जाम लगाये  और उसके बाद मुम्बई बन्द के कारण , जो करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति और सामाजिक समरसता में बिगाड़ हुआ है, उससे देश के अन्दुरूनी हालात की भयावहता का पता चलता है। इस घटना ने उन विघटनकारी शक्तियों ने अपनी विनाशक शक्ति का भान (अहसास) करा दिया, वे जाति विद्वेष और मजहबी जज्बातों को भड़का क्या नहीं कर सकते ? दुर्भाग्य की बात यह कि सत्ता के भूखे भेड़ियों को ऐसी राष्ट्र घातक शक्तियों की इन विघटनकारी दुष्कृत्यों में कुछ भी गलत दिखायी नहीं देता, बल्कि वे बेशर्मी से उनका ही पक्ष लेते आये हैं और इ...

‘तंत्र‘ के आगे अब भी बेबस और लाचार है ‘गण‘

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गणतंत्र दिवस पर विशेष   डॉ. बचन सिंह सिकरवार यूँ तो अपने देश में हजारों साल पहले से  ‘गणतंत्र‘ रहा था, जो यहाँ जन्मा और खूब फला-फूला भी। यह दो शब्दों ‘गण‘(जन/आम आदमी) तथा ‘तंत्र‘(व्यवस्था)से मिलकर बना है। पराधीनता काल में यह भले ही अपने रूप में पूर्व न रहा हो, पर अपने यहाँ किसी न किसी रूप में कहीं न कहीं बना रहा। वैसे  हम यहाँ चर्चा कर रहे हैं देश के वर्तमान ‘गणतंत्र‘/गणतांत्रिक व्यवस्था की, जो अब सरसठ साल का हो गया, इसका हर साल बड़े जोर-शोर से उत्सव( जश्न) भी मनाया जाता रहा है जिसमें ‘गण‘ को उसका अभिन्न हिस्सा  और उसका स्वामी होने का गर्व होता है। इसी अहसास के सहारे ‘गण‘ हर बार उसके उत्सव में अपने  को  सम्मिलित कर लेता है कि कभी तो वह दिन आएगा, जिस दिन यथार्थ में यह ‘गणतंत्र‘ उसका तंत्र बनेगा। यह तंत्र उसके  दुःख-दर्द, कष्ट-कठिनाइयों, छोटी-बड़ी समस्याओं से .त्राण(मुक्ति/छुटकारा) दिलाने के साथ-साथ उसी के हित में कार्य करेगा। उस दिन ‘गण‘  को अपने अधिकार और न्याय पाने को  दर-दर भटकने को विवश नहीं होना पड़ेगा। वह उसकी इच्छा तथा उसके कष्...

ऐसे नहीं आएँगे अच्छे दिन?

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 डॉ.बचन सिंह सिकरवार   गत दिनों स्विट्जरलैण्ड के खूबसूरत शहर दावोस में आयोजित ‘विश्व आर्थिक मंच‘(डब्ल्यूइएफ) में  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन में अपने आर्थिक सिद्धान्त तथा नीतियों  का जमकर गुणगान करते हुए  विश्व में भारत को एक उभरती अर्थव्यवस्था सिद्ध करते हुए निवेश का एक बेहतरीन   स्थान होने का विपणन(मार्केटिंग)की। साथ ही सरंक्षणवाद को आतंकवाद की तरह घातक साबित करने की कोशिश की, जिसमें दुनियाभर के देशों के बड़े नेता, कारोबारी, उद्योगपति और अर्थशास्त्री आये हुए थे। निश्चय ही उनकी  अपनी इस कथित सफलता पर सिंहगर्जना से देश के उन चन्द उद्योगपति, कारोबारी, मोटी तनख्वाह पाने वाले  नौकरशाहों को खुशी हुई होगी, जिनके सत्ता में आने पर सचमुच में ‘अच्छे दिन आ गए है‘, लेकिन बाकी आम भारतीय नागरिक तो मोदी की राजग सरकार के कोई चार साल पूरे  होने पर अब भी ‘अच्छे दिन आने ‘ और ‘सुशासन‘ की बाट ही जोह रहे हैं, जिन्हें अब तक उनसे केवल नाउम्मीदी ही मिली है। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व आर्थिक मंच पर अपनी आर्थिक नीतियों की सफलता की ढी...

भ्रष्टाचार की भयावहता को कब समझेंगे?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में ‘केन्द्रीय वस्तु तथा सेवा कर‘(सी.जी.एस.टी.)एवं उत्पाद शुल्क (एक्साइज) आयुक्त संसार चन्द, दूसरे अधिकरियों तथा इनके  संगी-साथियों को ‘केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो‘(सी.बी.आई.)की भ्रष्टाचार विरोधी दल(ए.सी.टी.)द्वारा रिश्वत माँगने तथा हवाला से रुपए लेने के आरोप में गिरफ्तारी से स्पष्ट है कि भ्रष्ट नौकरशाह व्यापारियों और उद्यमियों को तथाकथित कानूनों का डर दिखाकर लूट मचाये हुए हैं। सी.बी.आई.के अनुसार संसार चन्द इन अधिकारियों के साथ मिलकर रिश्वतखोरी का संगठित गिरोह ही संचालित नहीं कर रहा था, वरन् हवाला कारोबार के जरिये वारा-न्यारा यानी उसे ठिकाने लगा रहा था। वैसे भी अपने देश में नौकरशाहों ने व्यापारियों तथा उद्यमियों से रिश्वत लेकर उन्हें गैर कानूनी तरीकों से तमाम तरह की अनुचित रियायतें देकर अथवा उन्हें कर (टैक्स)अपवंचन (चोरी) का मार्ग बताने को एक धन्धे में बदल दिया गया है। किस तरह ये बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान  कर अपनी जेबें भर रहे थे।यहाँ तक कि अवैध कमाई के बल पर संसार चन्द ने अपनी पत्नी को राजनीति में उतारा हुआ है, ताकि राजनीतिक रुतबा भी हासिल किया जा...

अपने दम पर फैलाया ‘अमर उजाला’

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डोरीलाल अग्रवाल जन्म तिथि- 8 अक्टूबर सन् 1927 देहावसान- 10 सितम्बर, 1988। देष के स्वतंत्र होने के बाद हिन्दी और प्रादेषिक/आंचलिक पत्रकारिता में ऐसे अनेक लोगों का पदापर्ण हुआ, जिनका न तो  अपने पूर्ववर्तियों की भाँति देष के स्वाधीनता संघर्श से सीधा सम्बन्ध था और न ही वे समाज सुधारक या पत्रकार, कवि, लेखक, साहित्यकार ही थे। यहाँँ तक कि वे उनकी तरह किसी विषेश ध्येय/लक्ष्य के साथ इस पेषे में नहीं आये थे, किन्तु उन्होंने एकलव्य की तरह अपनी प्रतिभा, लगन, लक्ष्य के प्रति असीम समर्पण से पत्रकारिता के सभी गुर सीखे और इसके लिए अपनी व्यावसायिक कुषलता से आवष्यक आर्थिक संसाधन जुटाने में भी सफलता प्राप्त की।  इसी दक्षता के माध्यम से उन्होंने पत्रकारिता की मषाल को न केवल जलाये रखा, बल्कि उसे अँग्रेजी पत्रकारिता के समकक्ष खड़ा करके दिखाया। हिन्दी दैनिक अमर उजाला के संस्थापक/सम्पादक डोरीलाल अग्रवाल भी इसी श्रेणी के पत्रकारों में आते हैं। जिन्होंने पत्रकारिता में प्रवेष करते समय इस क्षेत्र में पहले से सक्रिय लोगों की  षिक्षा-दीक्षा,  उनके विपुल संसाधन  और  उनके  आभ...

चिकित्सकों के अवैध कृत्यों पर अंकुश

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 डॉ.बचन सिंह सिकरवार उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी चिकित्सकों के निजी स्तर पर चिकित्सा करने पर उनका पंजीकरण ‘मेडिकल कौंसिल ऑफ इण्डिया‘(एम.सी.आई) से निरस्त कराने तथा उस सम्बन्धित नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसका लाइसेन्स रद्द किये जाने का जो सख्त आदेश पारित किया है, वह सर्वथा उचित, अत्यन्त सामयिक और स्वागतयोग्य है, क्यों कि ऐसे चिकित्सक समाज और राष्ट्र  के प्रति घोर कृतघ्नता प्रदर्शित कर रहे है। इन्हें ये स्मरण नहीं कि वे समाज और राष्ट्र के धन से ही शिक्षित-प्रशिक्षित  हुए हैं। उसी के अंशदान से उन्हें अब वेतन-भत्ता मिलता है, किन्तु वे उनकी चिकित्सा करने के दायित्व से विमुख होकर उसी समाज को पीड़ा पहुँचाने और लूटने में लगे हैं। राज्य के लोग एक लम्बे अर्से से सरकार से इन चिकित्सकों के खिलाफ ऐसे ही कठोर कदम की अपेक्षा किये हुए थे। इस साहसिक निर्णय के लिए राज्य सरकार की जितनी सराहना की जाए,वह कम ही होगी,क्यों कि चिकित्सकों और निजी अस्पतालों के संगठन ऐसे निर्णय लेने में सदैव से बाधक रहे हैं। वे अब तक अपने धन बल से सरकारों को अपने इशारों पर चलाते आए हैं।  राज्...

तभी लगेगी खनन माफियों पर लगाम

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ  ने अवैध खनन पर सख्ती  दिखाते हुए  अवैध खनन पर रोक लगाने में नाकाम मऊ तथा गौण्डा के चार  थानाध्यक्षांे और  दो खनन निरीक्षकों के निलम्बित कर विभिगीय कार्रवाई करने के निर्देश, तीन उप जिलाधिकारियों तथा तीन क्षेत्राधिकारियों (सी.ओ.)के खिलाफ विभागीय जाँच के आदेश  दिये जाने समेत इन जिलों  के जिलाधिकारियों तथा पुलिस अधीक्षकों को गैरकानूनी खनन पर नियंत्रण न रखने को लेकर जो सख्त चेताचनी दी है, वह अत्यन्त सामयिक,आवश्यक और सर्वथा उचित है। निश्चय ही उनकी इस कार्रवाई  से प्रदेश के विभिन्न जिलों में हो रहे बेखौफ खनन माफियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। वैसे सच्चाई यह है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने  के पश्चात्   अवैध खनन के खिलाफ सख्त आदेशों के बाद भी हर तरह के खनिजों का अवैध खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है जिसे बेखौफ होकर  किया जा रहा है,क्यों कि जिस खनन विभाग, पुलिस -प्रशासनिक अधिकारियों पर अवैध खनन को रोकने की जिम्मेदारी दी हुई है ,वे कहीं न कहीं इस लूट में हिस्...

जानलेवा होता ‘स्मॉग‘

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल मंे दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र (एन.सी.आर.) में वायु प्रदूषण से पैदा हुए ‘स्मॉग‘ ने इस पूरे इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया है जिसकी वजह से सरकार ने स्कूलों को कई दिनों के लिए बन्द करने को विवश होना पड़ा, ताकि इससे उत्पन्न होने वाले  तमाम सम्भावित रोगों से छात्रों को बचाया जा सके। वायु प्रदूषण की यह स्थिति अत्यन्त भयावह और जानलेवा है। इस हालत को जहाँ ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान‘(एम्स),नयी दिल्ली ने ‘शान्त हत्यारा‘(साइलैण्ट किलर)बताया है, वहीं ‘केन्द्रीय प्रदेश नियंत्रण बोर्ड‘(सी.पी.सी.बी.)ने इस शहर को फिर से ‘स्मॉग चैम्बर‘ बनने पर गहरी चिन्ता जतायी है। वैसे यह समस्या केवल दिल्ली और उसके आसपास के इलाके की नहीं, बल्कि अपने देश  और दुनिया के सभी देशों के महानगरों की है जो मनुष्यों  की भौतिक विकास और भोग-विलास  की असीम चाहत से उत्पन्न हुई है जिसने प्राकृतिक संसाधनों के अन्धाधुन्ध दोहन और उनके विनाश से जल, वायु, मृदा को इस कदर दूषित कर दिया कि ये सब अब उसके जीवन के लिए प्राण घातक बन गए हैं। ‘स्मॉग‘ के कारण सबसे अधिक तकलीफ अस्...

क्या सिर्फ हिन्दुओं के खिलाफ है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा ‘एस.दुर्गा‘ तथा ‘न्यूड‘ नामक दो फिल्मों को गोवा में होने जा रहे भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आइएफएफआइ)में प्रदर्शन की अनुमति न देने को अभिव्यक्त का हनन का मामला बताते हुए उसे जिस तरह तूल दिया और उसका  विरोध किया जा रहा है उससे तो यही लगता है कि इस फैसले की मुखालफत करने वालों को इस देश की बहुसंख्यक समुदाय की न तो धार्मिक आस्था -श्रद्धा, विश्वास और भावनाओं से कोई सरोकार है तथा न ही उनको इससे ठेस लगने की परवाह ही है।  अगर ऐसा होता तो क्या इस फिल्म का नाम ‘सेक्सी दुर्गा‘ रखा जाता, जो हिन्दुओं की आराध्य देवी दुर्गा हैं। इन्हें हिन्दू शक्ति  रूपा मानते हुए उनकी पूजा-उपासना करते हैं। देशभर में वर्ष में दो बार यानी कुवार और चैत्र मास में नवरात्र में नौ दिनों तक दुर्गा के नौ रूपों की बढ़े स्तर पर पूजा-अर्चना की जाती है।  इस फिल्म को बनाने वालों को यह पता नहीं हो, ऐसा सम्भव नहीं है। अभी तक देश के किसी भी  रचनाकार ने न तो इस फिल्म निर्माता से देवी दुर्गा के नाम पर उससे अपनी फिल्म का ना...

अपने बँटवारे को लेकर परेशान है स्पेन

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राजोय ने गत 27अक्टूबर को कैटलोनिया की स्वायत्ता रद्द करते हुए वहाँ की सरकार को बर्खास्त कर दिया है। उन्होंने कैटलोनिया के  क्षेत्रीय पुलिस प्रमुख  जोसेप लुईस ट्रेपरो को बर्खास्त कर इस प्रान्त की प्रशासनिक जिम्मेदारी भी सम्हाली हैं, जिन्होंने  स्पेन की सरकार के आदेश के बाद भी यहाँ के लोगों द्वारा इसकी स्वतंत्रता को लेकर विगत 1 अक्टूबर को जनमत संग्रह हुए मतदान को रोकने में विफल रहे थे। उन पर आरोप पर था कि पृथकतावादियों के प्रति नरम रवैया रखते हैं। उस दौरान हिंसा और वर्षा के बावजूद भी उस जनमत संग्रह में 42 प्रतिशत कैटलोनिया के लोगों ने भाग लिया तथा इनमें से 90प्रतिशत ने अपना मत स्वतंत्र कैटलोनिया के पक्ष में मत  व्यक्त किया। उस दिन सरकार ने जिन 2,300 स्कूलों को जनमत संग्रह के  लिए मतदान केन्द्र बनाया गया था उनमें ज्यादातर को सील कर दिया गया। लेकिन जनमत संग्रह के समर्थकों ने अपनी इस योजना को टालने मना कर दिया और हजारों की संख्या में स्वतंत्रता समर्थक सड़कों पर आ गए। यहाँ तक बार्सिलोना के आसपास के कस्...

निरर्थक नहीं है ‘पद्मावती‘ पर विवाद

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार अब फिल्म ‘पद्मावती‘ को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का प्रमाणपत्र न मिलने के कारण इसके प्रदर्शित करने की तिथि आगे बढ़ा दी गई है, लेकिन इसे लेकर देश के कई राज्यों में उठा विवाद थमता दिखाई नहीं दे रहा है। अपने इतिहास से छेड़छाड़ को लेकर उद्वेलित हिन्दुओं विशेष रूप से राजपूतों के उग्र  विरोध को देखते हुए कुछ राज्य सरकारों ने इस फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबन्ध तक लगा दिया है। अब जहाँ इस फिल्म की नायिका दीपिका पादुकोण द्वारा हर हाल में फिल्म प्रदर्शित करने की बात कहने के साथ कुछ अन्य अभिनेत्रियों-अभिनेताओं ने इस फिल्म का समर्थन किया है, वहीं कुछ लोगों ने निर्देशक संजयलीला भंसाली,  दीपिका पादुकोण के सर कलाम करने पर इनाम घोषित किया है जिनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो गया है। निस्सन्देह यह स्थिति दुखद है। अब इस फिल्म के बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहना है कि इस फिल्म को लेकर हो रहे विवाद के लिए  जितने विरोध-प्रदर्शन करने वाले जिम्मेदार हैं, उतना ही इस फिल्म के निर्माता संजय लीला भंसाली हैं। उन्हें भी जनभावनाओं से खिलवाड़ करने का कोई अधिक...

इस नाजायज तिजारत पर चुप्पी कैसी?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवा हाल में हैदराबाद में एक फिर तीन अरब शेखों तथा काजी समेत पाँच और लोगों को  नाबालिग युवतियों को खरीद कर उनसे निकाह करने के आरोप में गिरफ्तार किये जाने की घटना हम सभी भारतीयों के लिए बेहद शर्मनाक है, जहाँ माँ-बाप अपनी मुफलिसी (गरीबी) के चलते उम्रदराज अय्याश शेखों को बहुत ही मामूली रकम में अपनी बेटियों को बेचने को मजबूर हैं। सालों से साल से चले आ रहे इस गैरकानूनी और अमानवीय कृत्य की अब भी  किसी सियासी पार्टी ने अल्पसंख्यक वोट बैंक के फेर में  खुलकर आलोचना नहीं की है, धिक्कार ऐसी सियासत को। हैदराबाद में  पकड़े गए इन लोगों में एक 75 वर्षीय  ओमानी नागरिक अब्दुल्ला मुबारक भी शामिल है, जो इससे पहले वह दस निकाह कर चुका है।  इससे कुछ दिनों ही पहले इसी शहर से खाड़ी मुल्कों के 70साल से ज्यादा के उम्रदराज 8 नागरिकों को पकड़ा गया, इनमें 5 ओमानी तथा 3 कतर के थे। ये बुजर्ग अपने को चुस्त-दुरुस्त रखने को शक्तिवर्द्धक इंजेक्शन लगवाया करते थे। पुलिस ने इन नाबालिग लड़कियों की खरीद -फरोख्त   कर  निकाह करने वाले मुम्बई के मुख्य काजी समेत तीन का...