तभी लगेगी खनन माफियों पर लगाम
डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने अवैध खनन पर सख्ती दिखाते हुए अवैध खनन पर रोक लगाने में नाकाम मऊ तथा गौण्डा के चार थानाध्यक्षांे और दो खनन निरीक्षकों के निलम्बित कर विभिगीय कार्रवाई करने के निर्देश, तीन उप जिलाधिकारियों तथा तीन क्षेत्राधिकारियों (सी.ओ.)के खिलाफ विभागीय जाँच के आदेश दिये जाने समेत इन जिलों के जिलाधिकारियों तथा पुलिस अधीक्षकों को गैरकानूनी खनन पर नियंत्रण न रखने को लेकर जो सख्त चेताचनी दी है, वह अत्यन्त सामयिक,आवश्यक और सर्वथा उचित है। निश्चय ही उनकी इस कार्रवाई से प्रदेश के विभिन्न जिलों में हो रहे बेखौफ खनन माफियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। वैसे सच्चाई यह है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के पश्चात् अवैध खनन के खिलाफ सख्त आदेशों के बाद भी हर तरह के खनिजों का अवैध खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है जिसे बेखौफ होकर किया जा रहा है,क्यों कि जिस खनन विभाग, पुलिस -प्रशासनिक अधिकारियों पर अवैध खनन को रोकने की जिम्मेदारी दी हुई है ,वे कहीं न कहीं इस लूट में हिस्सेदार बने हुए हैं। अवैध खनन का यह खेल उस आदेश के बाद भी बदस्तूर जारी है जिसमें अब अवैध खनन पर 20गुना जुर्माने का नया नियम लागू हो चुका है। इसकी सजा भी छह माह के स्थान पर पाँच साल कर दी गई है। नई व्यवस्था के तहत प्रति हेक्टेयर अवैध खनन पर जुर्माने की राशि बढ़ा कर पाँच लाख रुपए कर दी गई है,पर इससे खनन माफिया की गतिविधियों में कोई अन्तर नहीं आया है। योगी सरकार ने खनन क्षेत्र में सालों से जमे माफिया को हटाने के लिए ई-टेडरिंग लागू की है। हालाँकि ठेके उठाने में हो रही देरी के कारण राज्य में बालू, मौरंग, पत्थर की गिट्टी, मिट्टी के दाम आसमान छू रहे हैं जिनके बगैर किसी भी तरह के निर्माण की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस कमी का खनन माफिया भरपूर फायदा उठा रहा है।
सत्ता सम्हालने के बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने समय-समय पर सरकारी कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि उनकी सरकार भष्टचार तथा भ्रष्टाचारियों को बर्दाश्त नहीं करेगी। दुर्भाग्य की बात यह है कि फिर भी वे उनकी इस चेतावनी की बराबर अनदेखी और उपेक्षा करते आ रहे हैं। सच यह है कि पुलिस और स्थानीय विधायक/नेता की शह के बगैर अवैध खनन सम्भव नहीं है। इनकी मिलीभगत से ही यह धतकरम उ.प्र.में ही नहीं, पूरे देश में चल रहा है। जब तक अवैध खनन पर पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ खनन माफिया और उसका साथ देने वाले जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक इस पर रोक लग पाना सम्भव नहीं है। इन्हीं कारणों से पहले तो अवैध खनन पर कोई रोकता-टोकता नहीं है। पकड़ै जाने पर ऐसे लोग सरकारी कर्मचारियों की जान लेने में भी संकोच नहीं दिखाते। अगर पकड़ भी लिया जाए ,तो उन्हें थाने से ही सुविधा शुल्क लेकर छोड़ दिया जाता है।
ऐसा केवल वर्तमान सरकार के समय हो रहा है,ऐसा भी नहीं है। सच्चाई यह है कि देश के स्वतंत्र होने के बाद से राजेनता, नौकरशाह तथा कुछ चतुर और धूर्त लोगों का गठजोड़ सार्वजनिक प्राकृतिक और दूसरे संसाधनों को खुलेआम लूट कर अपनी जेबें भरता आया है।जब भी किसी ईमानदार, और कर्त्तव्यनिष्ठ पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारी ने इस लूट को रोकने की कोशिश की है,उसे अपमानित या फिर अपनी जान ही गंवानी पड़ी। सपा सरकार में तो खनन माफियों को बकायद सरकारी संरक्षण प्राप्त था, तभी तो आइ.ए.एस.अधिकारी दुर्गा नागपाल को खनन माफिया पर कार्रवाई करने पर उन्हें पुरस्कृत करने के बजाय निलम्बित कर दण्डित किया गया। यहाँ तक कि सपा शासन में खनन माफियों ने कई नदियों की धारा मोड़ या बन्द तक कर दी,तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक याचिका में हस्तक्षेप कर उसे हटाने का आदेश पारित किया था। सपा सरकार में खनन मंत्री गायत्री प्रजापति इस विभाग के बूते ही फर्श से अर्स पर पहुँच कर आकूत सम्पत्ति का स्वामी बन गए। फिर भी तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा उनके पिता श्री मुलायम सिंह यादव के आँखों के तारे बने रहे। इस पर भी आखिलेश यादव को अपने शासन की तारीफ करते नहीं थकते। बसपा शासन में नसीमुद्दीन सिद्दिकी और दूसरे मंत्रियों ने खनन से कमाई की । मौजूदा सरकार उनका कुछ कर नहीं पा रही है। कुछ साल पहले म.प्र.के मुरैना में एक आइ.पी.एस. को खनन माफिया के हाथों अपनी जान ही गंवानी पड़ी थी। उ.प्र.की वर्तमान? भाजपा सरकार में भी सोनभद्र जिले में अपनी पार्टी के सांसद और विधायकों की लगातार शिकायतों के बाद भी बड़े पैमान पर अवैध खनन जारी है जिससे एक टी.वी. चैनल द्वारा दिखाया गया है।कुछ ऐसा ही बुन्देलखण्ड समेत अन्य जनपदों में हो रहा है।इसकी स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी न हो ,ऐसा सम्भव ही नहीं है। आगरा जनपद में कई जगहों पर विशेष रूप से बाह,फतेहाबाद,किरावली तहसीलों में वन विभाग के कर्मचारियों और दूसरे अधिकारियों पर खनन माफियों के लोगों द्वारा जानलेवा हमले हो चुके हैं और उनके खिलाफ अब तक नमूने की कार्रवाई नहीं हुई है।
अपने देश में राजनेताओं,नौकरशाहों, ठेकेदारों की दुरभि सन्धि सालों से अटूट बनी हुई है,क्यों कि एक अर्से से राजनीति अब समाज सेवा का नहीं, आसान कमाई का जरिया बन गयी है, इससे कम अवधि में लखपति,करोड़पति,अरबपति बना जा सकता है। चतुर लोग राजनीतिक पार्टियों से जुड़ कर विभिन्न प्रकार के खनन, शराब ,सड़क-भवन निर्माण , वाहन की पार्किगों, टोलों के ठेके हाथियाने , पेट्रोल पम्प/ गैस एजेंसी या फिर थाने-चौकियों पर पुलिस या प्रशासनिक कार्यालयों में लोगों के काम कराने की दलाली के लिए आते हैं। इसकी एवज में ये लोग पार्टी के नेताओं, विधायकों/सांसदों को उनका हिस्सा पहुँचाते हैं जिससे ये सभी सब कुछ जानकार भी अनजान बनाने का ढोंग करते रहते हैं। वैसे भी इन ठेकों में सांसद/विधायकों/पार्टी पदाधिकारियों के ज्यादातर रिश्तेदार या कर्मचारी ही होते हैं। इन्हीं से कमाए अपार धन के बदौलत ये सियासी पार्टियों को मुँह माँगा चन्दा देते हैं और बदले में उनवे उच्च पद या सांसद/विधायक आदि का टिकट हासिल करते हैं। यही कारण है कि पोण्टी चड्ढा जैसे लोग पूरे प्रदेश के हर तरह की शराब ठेके हथिया लेते थेष् तो कुछ सार्वजनिक मार्गों के ,तो कुछ सरकारी अस्पतालों में दवा और दूसरे साज-सामान आपूर्ति के। वस्तुतः इस लूट में कमोवबेश सभी राजनीतिक दल शामिल हैं इसलिए वे एक-दूसरे के खिलाफ दिखाने को चाहे जितनी आग उगले,लेकिन करते कुछ भी नहीं हैं। इस कारण केन्द्र या राज्यों में विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकार बदलने पर लूट की व्यवस्था में कतई बदलाव नहीं आता। सुशासन की चादत रखने वाली जनता हर बार छली जाती है। आम जन इससे निराश और दुःखी होकर अगले पाँच साल तक चुनाव आने का इन्तजार में लगा रहता है।
राज्य की जनता ने सपा-बसपा की जातिवादी/परिवारवादी भ्रष्ट सरकार से त्रस्त /परेशान होकर भाजपा को जिताया कर उसे सत्ता सौंपी है और उससे बहुत उम्मीदें भी हैं लेकिन कोई आधा साल गुजरने के बाद भी उसे पुलिस-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के रवैये में कुछ भी परिवर्तन दिखायी नहीं दे रहा है।वह भी तब जब वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुरुआत से ही अपने पूर्वर्तियों से अलग जनहित में कुछ कर दिखाना चाहते हैं और भ्रष्टचार को जड़ से मिटाने को संकल्पित हैं। लेकिन उनके तमाम प्रयासों के बाद भी अपेक्षित परिणाम न आने के लिए निरंकुश पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ कहीं न कहीं उनकी पार्टी के लोग भी शामिल हैं जो बाकी राजनीतिक दलों की भाँति ही सत्ता के सहारे लूट में लगे हुए हैं। वर्तमान में राज्य में सक्रिय खनन माफियों की पीठ पर कहीं न कहीं जनप्रतिनिधियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों का हाथ जरूर है,जिसके कारण वे बेखौफ होकर पिछली सपा-बसपा राज्य सरकारों की तरह प्राकृतिक संसाधनों की लूट में जुटे हुए हैं और उन्हें कानून का कतई भय नहीं है। ऐसे पार्टी समर्थकों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जानी जरूरी है ताकि ये लोग सत्ता का दुरुपयोग करने का दुस्साहस न करें। वैसे देखना यह है कि मुख्यमंत्री योगी द्वारा अवैध खनन के खिलाफ पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध की गई इस सख्त कार्रवाई का क्या प्रभाव पड़ता है?
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054
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