जानलेवा होता ‘स्मॉग‘
हाल मंे दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र (एन.सी.आर.) में वायु प्रदूषण से पैदा हुए ‘स्मॉग‘ ने इस पूरे इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया है जिसकी वजह से सरकार ने स्कूलों को कई दिनों के लिए बन्द करने को विवश होना पड़ा, ताकि इससे उत्पन्न होने वाले तमाम सम्भावित रोगों से छात्रों को बचाया जा सके। वायु प्रदूषण की यह स्थिति अत्यन्त भयावह और जानलेवा है। इस हालत को जहाँ ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान‘(एम्स),नयी दिल्ली ने ‘शान्त हत्यारा‘(साइलैण्ट किलर)बताया है, वहीं ‘केन्द्रीय प्रदेश नियंत्रण बोर्ड‘(सी.पी.सी.बी.)ने इस शहर को फिर से ‘स्मॉग चैम्बर‘ बनने पर गहरी चिन्ता जतायी है। वैसे यह समस्या केवल दिल्ली और उसके आसपास के इलाके की नहीं, बल्कि अपने देश और दुनिया के सभी देशों के महानगरों की है जो मनुष्यों की भौतिक विकास और भोग-विलास की असीम चाहत से उत्पन्न हुई है जिसने प्राकृतिक संसाधनों के अन्धाधुन्ध दोहन और उनके विनाश से जल, वायु, मृदा को इस कदर दूषित कर दिया कि ये सब अब उसके जीवन के लिए प्राण घातक बन गए हैं। ‘स्मॉग‘ के कारण सबसे अधिक तकलीफ अस्थमा के मरीजों, ऑब्सटेªक्टिव मलमोनरी डिजीज,दम घुटना, खाँसी-जुकाम ,बुखार, हृदयाघात, फेफड़ों का कैंसर, गले की खिच-खिच, आँखों में जलन, गर्भस्थ शिशु में जन्मजात विकृति आदि हैं। वैसे दिल्ली की यह हालत यकायक नहीं हो गई, बल्कि कमोबेश यह स्थिति सालों से है। फिर भी केन्द्र या राज्य सरकारों ने इससे निपटने की अभी तक कोई ठोस नीति नहीं बनायी है।इस समय दिल्ली में अति सूक्ष्म प्रदूषक पी.एम.2.25से पी.एम.10मानक से कई गुना अधिक व्याप्त है। इस भयावह स्थिति को जहाँ इसे अधिक सर्दी, कम तापमान, नमी, हवा का ठहराव बढ़ता है, वहीं तेज हवाएँ, सूर्य की तेजी,अधिक तापमान तथा वर्षा कम करने में सहायक होती है।
अब जहाँ तक ‘स्मॉग‘शब्द की व्युत्पत्ति का प्रश्न है तो यह शब्द ‘स्मोक(धुआँ) और ‘फॉग‘(कोहरा)के मिलने से बना है। इसकी उत्पत्ति बीसवीं सदी के पहल दशक में इंग्लैण्ड में जुलाई, सन् 1905 में तब हुई, जब लन्दन में छाए धुएँ तथा कोहरे की चादर के अध्ययन हेतु डॉ.हेनरी एण्टोनी ने अपने शोध में ‘स्मॉग‘ शब्द का पहली बार उल्लेख किया था। यह मुख्यतः वाहनों ,विभिन्न प्रकार के ऊर्जा संयंत्रो, कचरा जलाने, जनरेटरों से निकलने वाले तथा आतिशबाजी से उत्सर्जित धुएँ, बड़ी मात्रा में कोयला तथा कृषि के अवशेषों /पराली जलाने, सड़क एवं भवन निर्माण से पैदा धूल कणों आदि पैदा होता है जिससे वायु प्रदूषक तत्त्व उत्पन्न होते हैं। धूल, कोहरे ,हवा उपस्थित सल्फर डाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड तथा पी.एम.2.25से पी.एम. 10 (अति सूक्ष्म कण )सरीखे हानिकारक प्रदूषक तत्त्व सूर्य की किरणों से मिलते हैं तो निचले वातावरण में ओजोन जैसी पर्त बना लेते हैं, इसे ही ‘स्मॉग‘ कहते हैं। ऊपरी वातारण में उपस्थित ओजोन पर्त अल्ट्रावायलट किरणों से रक्षा करती है, किन्तु निचली वातावरण में इसके बनने से यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन जाती है। स्मॉग अपने स्रोत स्थान से दूर के स्थान पर अधिक हानिकारक होता है, लेकिन हवा के साथ दूसरे जगह जाने के समय वातावरण में उपस्थित हानिकारक रसायन से प्रतिक्रिया करता है। इसकी एक अन्य किस्म ‘फोटोकेमीकमिकल स्मॉग ‘ है, जो ओजोन, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बनडाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि से बनता है यह स्मॉग से भी अधिक खतरनाक है। मानव जीवन के लिए ‘स्मॉग‘ की भयावहता का पता चलने के बाद दुनिया के विभिन्न देशों ने इस कारणों पर प्रतिबन्ध लगाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
स्मॉग की भयावहता का पहले पहल पता तब चला ,जब अमरीका के पेंसिलवेनिया में सन् 1942 में वायु प्रदूषण से 20 लोगों की मृत्यु हुई तथा छह हजार से अधिक लोग बीमार हो गए। फिर सन्1952 को लन्दन में पाँच दिनों तक विषाक्त हवाएँ चल रही थीं। इस कारण कोई चार हजार लोग मारे गए। इसके पश्चात् 1956 में ‘क्लीन एयर एक्ट‘(स्वच्छ वायु अधिनियम) लागू किया गया।इसके तहत वाहनों एवं उद्योगों से उत्सर्जित काले धुएँ पर प्रतिबन्ध लगाया गया। सन् 1970में पेंसिलवेनिया में ‘एनवायरमेण्टल बिल ऑफ राइट्स‘ लागू किया, जिसके तहत प्रदूषण फैलाने वाले कारकों पर नियंत्रण लगाया गया और आमजन को प्रदूषण से लड़ने के अधिकार दिये गए। मार्च, 2015 में फ्रान्स की राजधानी पेरिस में प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया। तब पेरिस और उसके आसपास के 22 क्षेत्रों के वाहनों के लिए सम-विषम नियम लागू किया गया। इससे प्रदूषण में कमी आयी। साइकिल चलाने वालों को प्रोत्साहित किया गया। फिर नवम्बर, 2015में चीन की राजधानी बीजिंग में हवा सामान्य 30 गुना विषाक्त हो गयी। वायु प्रदूषण अंक 200तो कुछ क्षेत्रांे में 900से ऊपर पहुँच गया। दिसम्बर,2015में चीन ने पहली बार रेड अलर्ट जारी कर स्कूल बन्द करा दिया।इसके साथ उद्योग, निर्माण कार्यों ,वाहनों पर प्रतिबन्ध लगाया। दिसम्बर, 2015 को इटली के मिलान बहुत प्रदूषण था। इटली की सरकार ने हफ्ते के चार दिन सुबह 10बजे से शाम 4बजे तक निजी गाड़ियाँ प्रतिबन्धित कर दी गयीं। इटली के दूसरे शहर रोम में वाहनों के लिए सम-विषम फॉर्मूला लागू किया गया। साइकिल चलाने को प्रोत्साहित किया गया । एक जनवरी, 2015 को चीन में पर्यावरण सुरक्षा कानून अमल में आया। इसके तहत प्रदूषण फैलाने वालों पर कई गुना जुर्माना राशि बढ़ा दी गई।लेकिन अपने देश में अभी तक ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया है।
इण्डियन मेडिकल एसोसियेशन के अनुसार दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति तक पहुँच गया ,जहाँ साँस लेने में 50 सिगरेट पीने जितना धुआँ शरीर के अन्दर चला जाता है। यह स्थिति शरीर के लिए बेहद घातक है। दिल्ली में ‘स्मॉग‘ की बढ़ती समस्या जरूरत से ज्यादा बढ़़ता आबादी का बोझ, अतिक्रमण ग्रस्त सड़कें, अन्धाधुन्ध वाहन तथा उनके कारण सड़कों पर जाम का झाम। इसकी वजह से रेंगते बढ़ते वाहन और उससे पैदा वायु प्रदूषण। साथ बड़े पैमाने पर हो रहे सड़क, भवन आदि निर्माण से उठने वाले धूल कण। अगर दिल्ली और दूसरे महानगरों में हर तरह के प्रदूषण से स्थायी छुटकारा पाना है तो इसके लिए स्थायी उपायों पर विचार का उन्हें कठोरता से लागू करना होगा। इसके लिए विभिन्न प्रकार की विकासात्मक तथा रोजगारपरक गतिविधियों से महानगरों में जनसंख्या के बढ़ते दबाव को कम करे। यहाँ अतिक्रमण विहीन सड़कें, सार्वजनिक वाहन व्यवस्था को बढ़ावा देकर सड़कों से वाहनों की निजी वाहनों की संख्या कम करना, अधिक प्रदूषण उत्पन्न करने वाले वाहनों पर प्रतिबन्ध, तापीय विद्युतघरों , अधिक धुआँ उगलने वाले संयंत्रों, कृषि अवशेषों और कचरे को जलाने पर सख्ती से रोक, निर्माण स्थलों पर धूल उठाने से रोकने की व्यवस्था, यातायात व्यवस्था को अधिक सुस्त-दुरुस्त करना आदि। आम जन को विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों से उत्पन्न खतरों के प्रति जागरूक करना होगा, ताकि वे स्वयं इस बढ़ते जानलेवा प्रदूषण के गम्भीर खतरों को समझते हुए उसे नियंत्रित करने को आगे आएँ।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-09411684054
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