भ्रष्टाचार की भयावहता को कब समझेंगे?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में ‘केन्द्रीय वस्तु तथा सेवा कर‘(सी.जी.एस.टी.)एवं उत्पाद शुल्क (एक्साइज) आयुक्त संसार चन्द, दूसरे अधिकरियों तथा इनके  संगी-साथियों को ‘केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो‘(सी.बी.आई.)की भ्रष्टाचार विरोधी दल(ए.सी.टी.)द्वारा रिश्वत माँगने तथा हवाला से रुपए लेने के आरोप में गिरफ्तारी से स्पष्ट है कि भ्रष्ट नौकरशाह व्यापारियों और उद्यमियों को तथाकथित कानूनों का डर दिखाकर लूट मचाये हुए हैं। सी.बी.आई.के अनुसार संसार चन्द इन अधिकारियों के साथ मिलकर रिश्वतखोरी का संगठित गिरोह ही संचालित नहीं कर रहा था, वरन् हवाला कारोबार के जरिये वारा-न्यारा यानी उसे ठिकाने लगा रहा था। वैसे भी अपने देश में नौकरशाहों ने व्यापारियों तथा उद्यमियों से रिश्वत लेकर उन्हें गैर कानूनी तरीकों से तमाम तरह की अनुचित रियायतें देकर अथवा उन्हें कर (टैक्स)अपवंचन (चोरी) का मार्ग बताने को एक धन्धे में बदल दिया गया है। किस तरह ये बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान  कर अपनी जेबें भर रहे थे।यहाँ तक कि अवैध कमाई के बल पर संसार चन्द ने अपनी पत्नी को राजनीति में उतारा हुआ है, ताकि राजनीतिक रुतबा भी हासिल किया जा सके। 
 इनमें से किसी को अपने विरुद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई होने का कोई भय नहीं है। इसका कारण है कि देश के स्वतंत्र होने के बाद से जनसाधारण के कल्याण के बहाने सरकारों ने अब तक जितने भी कानून बनाये हैं, वे सभी सरकारी अधिकारियों के लिए आम आदमी को सताने-डराने और उन्हें लूटने के हथियार साबित हुए हैं। फिर भी सरकारें हर रोज कानून पर कानून बनाने से बाज नहीं आ रहीे हैं, लेकिन उन्होंने  भ्रष्ट राजनेताओं, नौकरशाहों को नमूने की सजा दिलाने वाला एक भी एक भी कानून नहीं बनाया है। इसलिए संसार चन्द ,यादव सिंह जैसे इंजीनियर, अखण्ड प्रताप सिंह जैसे आइ.ए.एस. सरीखे हजारों-लाखों अधिकारी, कर्मचारी,नेता, इंजीनियर, चिकित्सक, ठेकेदार आदि बेखौफ होकर लूट मचाए हुए हैं। इनके द्वारा बनायी गईं सड़कें, पुल, इमारतें आदि घटिया और जान लेवा साबित हो रही है। भ्रष्ट और निकम्मे कुलपतियों तथा शिक्षकों ने शिक्षा को बर्बाद करके रख दिया है जिन्होंने अपने राजनीतिक रसूख या धनबल से ये पद हथियाये हुए हैं। यह भ्रष्टाचार का घुन देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहा है। यह अर्थव्यवस्था के लिए अत्यन्त घातक होने के साथ-साथ तमाम अन्यायों, अत्याचारों तथा अपराधों का सबसे कारण और आर्थिक विषमता का जनक है जिसकी भयावहता का समझना और उसका शीघ्र समूल उन्मूलन अपरिहार्य है।
           प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केन्द्र और उ.प्र.के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राज्य सरकार रिश्वतखोरों के रिश्वत लेने पर रोक लगाने में विफल साबित रही हैं। इनके तमाम दावों के बावजूद केन्द्र और राज्य सरकारों के सभी विभागों(न्याय विभाग  भी)में आम आदमी का कोई भी काम बगैर रिश्वत दिये नहीं हो रहा है। राज्य सरकार के समय-समय पर दिये जा रहे निर्देशों के बाद भी दाम और दबाव के बिना छोटे-बड़े अधिकारी से निर्णय कराना असम्भव है। आम आदमी हर पाँच साल बाद होने वाले चुनाव में इस आस-विश्वास से दल विशेष के पक्ष में अपना मतदान करता है कि उसके मत से बनने वाली सरकार उसकी समस्याओं को हल करेगी। उसके कार्य बगैर सिफारिश और रिश्वत के होने लगेंगे, पर आजादी के बाद से उसे हर बार निराशा ही मिली है। 
    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कालेधन पर लगाम लगाने को पाँच सौ और एक हजार रुपए के नोट बन्द  किये थे। उससे यह लगा कि इसके बाद  भ्रष्टचारी भ्रष्टचार के माध्यम से अवैध धन अर्जित करने से डरेंगे, लेकिन इसके विपरीत बैंक अधिकारियों समेत पेट्रोल पम्प स्वामियों, रोडवेजकर्मियों, चिकित्सकों  समेत लोगों ने भ्रष्टाचारियों के कालेधन को सफेद करने में जमकर रिश्वत लेकर अवैध धन कमाया तथा बनाया, किन्तु अभी तक उन सबके खिलाफ सरकार ने कोई कठोर कार्रवाई की हो, ऐसा सुनने-देखने को नहीं मिला है।  वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था को कुछ लोगों ने भ्रष्टाचार को मजबूरी में जीवन का अभिन्न हिस्सा और उसे अपनी नियति मान लिया है। हकीकत यह है कि जिसने भी  इस भ्रष्ट व्यवस्था से सफलतापूर्वक सामजंस्य स्थापित कर लिया है, वही सबसे कामयाब, समृद्धशाली नेता, नौकरशाह,  व्यापारी, उद्यमी, इंजीनियर, चिकित्सक, ठेकदार बने हुए हैं। इनका एक ही गुरु मंत्र है कि जीभर कर दोनों हाथों से  हर काम की हर किसी से रिश्वत लो, पकड़े जाने पर रिश्वत देकर छूट जाओ। अपने देश में जहाँ  कुछ लोग रक्षा सौदों में दलाली लेते रहे  हैं, वहीं कुछ धन के लालच में मुल्क की सुरक्षा से जुड़ी सूचनाएँ दुश्मन देश को हवाले करते रहते हैं। इस भ्रष्टाचार  के कारण देश का युवा पथ भ्रष्ट हो रहा है।
  देश के ऐसे माहौल के कारण जहाँ  कुछ लोग राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में सजा भुगत रहे दूसरे राजनेताओं के प्रति दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं और उनकी बिरादरी के लोगों की सहानुभूति तो कम से यही दर्शा रही है। इसके विपरीत ईमानदार नेताओं और नौकरशाहों को कोई पसन्द नहीं करता। केन्द्र और राज्य सरकारें भी ऐसे ईमानदार नौकरशाहों को महŸवपूर्ण पद देने से बचती हैं।
                   आमतौर पर कुछ लोगों का कहना होता है कि हम रिश्वत देते हैं इसलिए पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी/कर्मचारी रिश्वत लेते हैं, लेकिन उनका यह कथन आंशिक रूप से ही सच है। कुछ भ्रष्ट व्यापरियों तथा उद्यमियों आदि को छोड़कर शायद ही कोई अपनी मर्जी से अपनी मेहनत की कमाई रिश्वत में देना चाहेगा। सच्चाई यह है कि आज भी बगैर रिश्वत के थानों में रिपोर्ट दर्ज नहीं होती। उसके बाद मेडिकल कराने, विवेचक(जाँचकर्ता)को बिना चढ़ावा चढ़े सही तरह से काम नहीं करा सकते। कमोबेश यही हालत न्याय मन्दिर की है। भूमि विवाद,जाति/आय प्रमाण पत्र के मामले लेखपाल को बगैर समझे सही रिपोर्ट नहीं मिल सकती। नगर पालिका/नगर निगम में जन्म/मृत्यु प्रमाण पत्र पाने , गृहकर, जलकर आदि का सही आकलन कराने को हर हाल में मुट्ठी ढीली करनी होगी। उपनिबन्धक फर्म्स, चिट्स, सोसाइटी कार्यालय में हर काम की रिश्वत देनी पड़ती है ,अन्यथा आपकी संस्था किसी को भी दे दी जाएगी। किसी भी व्यक्ति को रिश्वत देने का शौक नहीं है। लोग अपनी जान-माल , इज्जत बचाने, ,बिना अपराध के जेल जाने के डर से रिश्वत देने, यहाँ तक अपना वेतन/पेंशन/भविष्य निधि/अपनी भूमि का मुआवजा पाने, मकान-जमीन की रजिस्ट्री, नक्शा पास कराने, नल-बिजली का कनैक्शन लेने को अधिकारियों/कर्मचारियों, अदालती समन पाने को चौथ देने को विवश हैं। देश में सड़क पर फेरी लगाने से लेकर कोई भी छोटा-बड़ा काम-धन्धा करने, कल-कारखाना  चलाने पर सम्बन्धित सरकारी कर्मचारियों और स्थानीय  नेताओं, पुलिस तथा गुण्डों को रिश्वत दिये बिना काम करना असम्भव है। भ्रष्टाचार से बने देश और प्रदेश के इस विषाक्त वातावरण प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी जी बतायें कि ऐसे में कोई ईमानदार युवा उद्यमी उद्योग लगाने और दूसरे कारोबार करने का दुस्साहस करेगा ?
    सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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