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अपने दम पर फैलाया ‘अमर उजाला’

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डोरीलाल अग्रवाल जन्म तिथि- 8 अक्टूबर सन् 1927 देहावसान- 10 सितम्बर, 1988। देष के स्वतंत्र होने के बाद हिन्दी और प्रादेषिक/आंचलिक पत्रकारिता में ऐसे अनेक लोगों का पदापर्ण हुआ, जिनका न तो  अपने पूर्ववर्तियों की भाँति देष के स्वाधीनता संघर्श से सीधा सम्बन्ध था और न ही वे समाज सुधारक या पत्रकार, कवि, लेखक, साहित्यकार ही थे। यहाँँ तक कि वे उनकी तरह किसी विषेश ध्येय/लक्ष्य के साथ इस पेषे में नहीं आये थे, किन्तु उन्होंने एकलव्य की तरह अपनी प्रतिभा, लगन, लक्ष्य के प्रति असीम समर्पण से पत्रकारिता के सभी गुर सीखे और इसके लिए अपनी व्यावसायिक कुषलता से आवष्यक आर्थिक संसाधन जुटाने में भी सफलता प्राप्त की।  इसी दक्षता के माध्यम से उन्होंने पत्रकारिता की मषाल को न केवल जलाये रखा, बल्कि उसे अँग्रेजी पत्रकारिता के समकक्ष खड़ा करके दिखाया। हिन्दी दैनिक अमर उजाला के संस्थापक/सम्पादक डोरीलाल अग्रवाल भी इसी श्रेणी के पत्रकारों में आते हैं। जिन्होंने पत्रकारिता में प्रवेष करते समय इस क्षेत्र में पहले से सक्रिय लोगों की  षिक्षा-दीक्षा,  उनके विपुल संसाधन  और  उनके  आभ...

चिकित्सकों के अवैध कृत्यों पर अंकुश

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 डॉ.बचन सिंह सिकरवार उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी चिकित्सकों के निजी स्तर पर चिकित्सा करने पर उनका पंजीकरण ‘मेडिकल कौंसिल ऑफ इण्डिया‘(एम.सी.आई) से निरस्त कराने तथा उस सम्बन्धित नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसका लाइसेन्स रद्द किये जाने का जो सख्त आदेश पारित किया है, वह सर्वथा उचित, अत्यन्त सामयिक और स्वागतयोग्य है, क्यों कि ऐसे चिकित्सक समाज और राष्ट्र  के प्रति घोर कृतघ्नता प्रदर्शित कर रहे है। इन्हें ये स्मरण नहीं कि वे समाज और राष्ट्र के धन से ही शिक्षित-प्रशिक्षित  हुए हैं। उसी के अंशदान से उन्हें अब वेतन-भत्ता मिलता है, किन्तु वे उनकी चिकित्सा करने के दायित्व से विमुख होकर उसी समाज को पीड़ा पहुँचाने और लूटने में लगे हैं। राज्य के लोग एक लम्बे अर्से से सरकार से इन चिकित्सकों के खिलाफ ऐसे ही कठोर कदम की अपेक्षा किये हुए थे। इस साहसिक निर्णय के लिए राज्य सरकार की जितनी सराहना की जाए,वह कम ही होगी,क्यों कि चिकित्सकों और निजी अस्पतालों के संगठन ऐसे निर्णय लेने में सदैव से बाधक रहे हैं। वे अब तक अपने धन बल से सरकारों को अपने इशारों पर चलाते आए हैं।  राज्...

तभी लगेगी खनन माफियों पर लगाम

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ  ने अवैध खनन पर सख्ती  दिखाते हुए  अवैध खनन पर रोक लगाने में नाकाम मऊ तथा गौण्डा के चार  थानाध्यक्षांे और  दो खनन निरीक्षकों के निलम्बित कर विभिगीय कार्रवाई करने के निर्देश, तीन उप जिलाधिकारियों तथा तीन क्षेत्राधिकारियों (सी.ओ.)के खिलाफ विभागीय जाँच के आदेश  दिये जाने समेत इन जिलों  के जिलाधिकारियों तथा पुलिस अधीक्षकों को गैरकानूनी खनन पर नियंत्रण न रखने को लेकर जो सख्त चेताचनी दी है, वह अत्यन्त सामयिक,आवश्यक और सर्वथा उचित है। निश्चय ही उनकी इस कार्रवाई  से प्रदेश के विभिन्न जिलों में हो रहे बेखौफ खनन माफियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। वैसे सच्चाई यह है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने  के पश्चात्   अवैध खनन के खिलाफ सख्त आदेशों के बाद भी हर तरह के खनिजों का अवैध खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है जिसे बेखौफ होकर  किया जा रहा है,क्यों कि जिस खनन विभाग, पुलिस -प्रशासनिक अधिकारियों पर अवैध खनन को रोकने की जिम्मेदारी दी हुई है ,वे कहीं न कहीं इस लूट में हिस्...

जानलेवा होता ‘स्मॉग‘

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल मंे दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र (एन.सी.आर.) में वायु प्रदूषण से पैदा हुए ‘स्मॉग‘ ने इस पूरे इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया है जिसकी वजह से सरकार ने स्कूलों को कई दिनों के लिए बन्द करने को विवश होना पड़ा, ताकि इससे उत्पन्न होने वाले  तमाम सम्भावित रोगों से छात्रों को बचाया जा सके। वायु प्रदूषण की यह स्थिति अत्यन्त भयावह और जानलेवा है। इस हालत को जहाँ ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान‘(एम्स),नयी दिल्ली ने ‘शान्त हत्यारा‘(साइलैण्ट किलर)बताया है, वहीं ‘केन्द्रीय प्रदेश नियंत्रण बोर्ड‘(सी.पी.सी.बी.)ने इस शहर को फिर से ‘स्मॉग चैम्बर‘ बनने पर गहरी चिन्ता जतायी है। वैसे यह समस्या केवल दिल्ली और उसके आसपास के इलाके की नहीं, बल्कि अपने देश  और दुनिया के सभी देशों के महानगरों की है जो मनुष्यों  की भौतिक विकास और भोग-विलास  की असीम चाहत से उत्पन्न हुई है जिसने प्राकृतिक संसाधनों के अन्धाधुन्ध दोहन और उनके विनाश से जल, वायु, मृदा को इस कदर दूषित कर दिया कि ये सब अब उसके जीवन के लिए प्राण घातक बन गए हैं। ‘स्मॉग‘ के कारण सबसे अधिक तकलीफ अस्...

क्या सिर्फ हिन्दुओं के खिलाफ है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा ‘एस.दुर्गा‘ तथा ‘न्यूड‘ नामक दो फिल्मों को गोवा में होने जा रहे भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आइएफएफआइ)में प्रदर्शन की अनुमति न देने को अभिव्यक्त का हनन का मामला बताते हुए उसे जिस तरह तूल दिया और उसका  विरोध किया जा रहा है उससे तो यही लगता है कि इस फैसले की मुखालफत करने वालों को इस देश की बहुसंख्यक समुदाय की न तो धार्मिक आस्था -श्रद्धा, विश्वास और भावनाओं से कोई सरोकार है तथा न ही उनको इससे ठेस लगने की परवाह ही है।  अगर ऐसा होता तो क्या इस फिल्म का नाम ‘सेक्सी दुर्गा‘ रखा जाता, जो हिन्दुओं की आराध्य देवी दुर्गा हैं। इन्हें हिन्दू शक्ति  रूपा मानते हुए उनकी पूजा-उपासना करते हैं। देशभर में वर्ष में दो बार यानी कुवार और चैत्र मास में नवरात्र में नौ दिनों तक दुर्गा के नौ रूपों की बढ़े स्तर पर पूजा-अर्चना की जाती है।  इस फिल्म को बनाने वालों को यह पता नहीं हो, ऐसा सम्भव नहीं है। अभी तक देश के किसी भी  रचनाकार ने न तो इस फिल्म निर्माता से देवी दुर्गा के नाम पर उससे अपनी फिल्म का ना...

अपने बँटवारे को लेकर परेशान है स्पेन

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राजोय ने गत 27अक्टूबर को कैटलोनिया की स्वायत्ता रद्द करते हुए वहाँ की सरकार को बर्खास्त कर दिया है। उन्होंने कैटलोनिया के  क्षेत्रीय पुलिस प्रमुख  जोसेप लुईस ट्रेपरो को बर्खास्त कर इस प्रान्त की प्रशासनिक जिम्मेदारी भी सम्हाली हैं, जिन्होंने  स्पेन की सरकार के आदेश के बाद भी यहाँ के लोगों द्वारा इसकी स्वतंत्रता को लेकर विगत 1 अक्टूबर को जनमत संग्रह हुए मतदान को रोकने में विफल रहे थे। उन पर आरोप पर था कि पृथकतावादियों के प्रति नरम रवैया रखते हैं। उस दौरान हिंसा और वर्षा के बावजूद भी उस जनमत संग्रह में 42 प्रतिशत कैटलोनिया के लोगों ने भाग लिया तथा इनमें से 90प्रतिशत ने अपना मत स्वतंत्र कैटलोनिया के पक्ष में मत  व्यक्त किया। उस दिन सरकार ने जिन 2,300 स्कूलों को जनमत संग्रह के  लिए मतदान केन्द्र बनाया गया था उनमें ज्यादातर को सील कर दिया गया। लेकिन जनमत संग्रह के समर्थकों ने अपनी इस योजना को टालने मना कर दिया और हजारों की संख्या में स्वतंत्रता समर्थक सड़कों पर आ गए। यहाँ तक बार्सिलोना के आसपास के कस्...

निरर्थक नहीं है ‘पद्मावती‘ पर विवाद

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार अब फिल्म ‘पद्मावती‘ को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का प्रमाणपत्र न मिलने के कारण इसके प्रदर्शित करने की तिथि आगे बढ़ा दी गई है, लेकिन इसे लेकर देश के कई राज्यों में उठा विवाद थमता दिखाई नहीं दे रहा है। अपने इतिहास से छेड़छाड़ को लेकर उद्वेलित हिन्दुओं विशेष रूप से राजपूतों के उग्र  विरोध को देखते हुए कुछ राज्य सरकारों ने इस फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबन्ध तक लगा दिया है। अब जहाँ इस फिल्म की नायिका दीपिका पादुकोण द्वारा हर हाल में फिल्म प्रदर्शित करने की बात कहने के साथ कुछ अन्य अभिनेत्रियों-अभिनेताओं ने इस फिल्म का समर्थन किया है, वहीं कुछ लोगों ने निर्देशक संजयलीला भंसाली,  दीपिका पादुकोण के सर कलाम करने पर इनाम घोषित किया है जिनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो गया है। निस्सन्देह यह स्थिति दुखद है। अब इस फिल्म के बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहना है कि इस फिल्म को लेकर हो रहे विवाद के लिए  जितने विरोध-प्रदर्शन करने वाले जिम्मेदार हैं, उतना ही इस फिल्म के निर्माता संजय लीला भंसाली हैं। उन्हें भी जनभावनाओं से खिलवाड़ करने का कोई अधिक...

इस नाजायज तिजारत पर चुप्पी कैसी?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवा हाल में हैदराबाद में एक फिर तीन अरब शेखों तथा काजी समेत पाँच और लोगों को  नाबालिग युवतियों को खरीद कर उनसे निकाह करने के आरोप में गिरफ्तार किये जाने की घटना हम सभी भारतीयों के लिए बेहद शर्मनाक है, जहाँ माँ-बाप अपनी मुफलिसी (गरीबी) के चलते उम्रदराज अय्याश शेखों को बहुत ही मामूली रकम में अपनी बेटियों को बेचने को मजबूर हैं। सालों से साल से चले आ रहे इस गैरकानूनी और अमानवीय कृत्य की अब भी  किसी सियासी पार्टी ने अल्पसंख्यक वोट बैंक के फेर में  खुलकर आलोचना नहीं की है, धिक्कार ऐसी सियासत को। हैदराबाद में  पकड़े गए इन लोगों में एक 75 वर्षीय  ओमानी नागरिक अब्दुल्ला मुबारक भी शामिल है, जो इससे पहले वह दस निकाह कर चुका है।  इससे कुछ दिनों ही पहले इसी शहर से खाड़ी मुल्कों के 70साल से ज्यादा के उम्रदराज 8 नागरिकों को पकड़ा गया, इनमें 5 ओमानी तथा 3 कतर के थे। ये बुजर्ग अपने को चुस्त-दुरुस्त रखने को शक्तिवर्द्धक इंजेक्शन लगवाया करते थे। पुलिस ने इन नाबालिग लड़कियों की खरीद -फरोख्त   कर  निकाह करने वाले मुम्बई के मुख्य काजी समेत तीन का...

शिक्षा मन्दिरों में बढ़ती अराजकता और संवेदनहीनता

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MkW-cpu flag fldjokj डॉ.बचन सिंह सिकरवार गत दिनों देश के प्रख्यात बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में लगातार छात्राओं के साथ छेड़छाड/हर तरक की बदसलूकी़, उनकी शिकायत की सुनवायी न होना, आक्रोशित छात्रों द्वारा नारेबाजी, धरना-प्रदर्शन, आगजनी, मारपीट, लाठीचार्ज, उग्र आन्दोलन, छात्रावासों को खाली कराये जाने और विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े  छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा जैसी ओछी राजनीति के माध्यम से अशान्ति भड़काने की कोशिशें की र्गइं, वह अत्यन्त क्षोभ और चिन्ताजनक हैं।  वैसे इन तमाम घटनाओं के लिए कहीं न कहीं इस विश्वविद्यालय के कुलपति समेत प्रशासन से जुड़े लोग जिम्मेदार रहे हैं जो अब वहाँ के आयुक्त और जिला प्रशासन की प्रारम्भिक रपट से भी स्पष्ट है। इन्होंने छात्राओं की छेड़छाड़ की शिकायत पर  आवश्यक कदम समय से  नहीं उठाये। यहाँ तक कि उनके धरने पर जाकर शिकायत सुनना भी जरूरी नहीं समझा। इस कारण छात्र-छात्राओं का आक्रोशित होना स्वाभाविक है। ऐसे में बाहरी तŸवों को उन्हें भड़काने को जिम्मेदारी ठहराना कहाँ तक उचित है? आखिर यह मौका तो इन लोगों ने ही तो दिया। क्षोभ की बात यह है...

रोहिंग्याओं को लेकर क्यों संशकित है भारत?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार पिछले कई सालों से देश में म्यांमार से निष्कासित रोहिंग्या मुसलमानों की देश में लगातार बढ़ती संख्या से राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जो गम्भीर खतरा उत्पन्न होने की आशंका व्यक्त की जा रही है, वह अकारण नहीं, बल्कि अनुभवजन्य है। देश के कई शहरों विशेष रूप से कश्मीर घाटी में पाकिस्तान समर्थक हुर्रियत कान्फेस समेत यहाँ के विभिन्न अलगाववादी और इस्लामिक संगठनों के साझा मंच ‘मुत्ताहिदा मजलिस-उलेमा‘ के झण्डे तले गत 8 अगस्त, को ‘नमाज-ए- जुम्मा‘ के बाद रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में कश्मीर में सॉलिडेरिटी डे‘ मनाते हुए देशविरोधी नारेबाजी के साथ हिंसक प्रदर्शन किया, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक समेत कई और सिपाहियों की पिटाई के साथ-साथ वाहनों को जला दिया।वैसे ये उनके समर्थन पहले से ही धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। पहले भी रोहिंग्याओं को लेकर देश के कुछ हिस्सों में उग्र प्रदर्शन होते रहे हैं। इस्लाम के नाम पर आतंकवादी संगठन इनमें अपनी पैठ आसानी से बना सकते हैं,इसे लेकर गृहमंत्रालय ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है कि वे अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या की पहचान कर उन्हें वापस भेजंे, क्य...

महबूबा जी! इतना कमजोर नहीं है,हिन्दुस्तान

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             डॉ.बचन सिंह सिकरवार यूँ तो जम्मू-कष्मीर के लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेता समेत अलगावादी भारत सरकार को कुछ न कुछ चेतावनी/धमकी देते ही रहते हैं,पर अब कुछ दिनों से मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी उन्हीं राह पर चलने को बेताव नजर आ रही हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार को चेतावनी भरे  लहजे में  उसे यह अगाह किया है कि अगर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35ए और 370 से छेड़छाड़ की गयी, तो उनके राज्य में उसके झण्डे (तिरंगे) को उठाने वाले नहीं रहेंग,े जिसे उनके दल पी.डी.पी.और डॉ.फारुक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोग कश्मीर के अपने झण्डे के साथ उठाते आए हैं। उसका जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करना गलत होगा।  हालाँकि भाजपा समेत देश की किसी भी सियासी पार्टी ने हमेशा की तरह अपने वोट बैंक को खतरे को देखते हुए जुबान बन्द रखी है, किन्तु क्या महबूबा मुफ्ती इस सच्चाई से अनभिज्ञ हैं कि इस  राज्य के सभी लोग उन जैसी विचारधारा के नहीं हैं। क्या उन्होंने यह बयान जम्मू, लद्दाख या फिर कश्मीर घाटी के कुछ खास जिलों के मुस्लिमों के एक खा...

अब बेहद जरूरी है चीन से सतर्क रहना

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डॉ बचन सिंह सिकरवार   अन्ततः कोई पौने तीन माह के बाद भारत के रुख में परिवर्तन न देख चीन को भूटान के डोकलाम इलाके पर सड़क बनाने की जिद छोड़कर विभिन्न कारणों से अपनी सैनिक वापस बुलाने पर मजबूर होना पड़ा है। निश्चय ही यह भारत की बहुत बड़ी कूटनीति जीत है। इस घटना से भारत ने अपना खोया हुआ आत्मसम्मान फिर से पाया है, जिसे उसने सन् 1962में चीन के अचानक हमले में मिली पराजय में गंवाया था। अब भारत ने चीन को जताता दिया कि वह उससे हर तरह के मुकाबले को तैयार है। इस विवाद की सबसे बड़ी बात यह रही है कि अपने को महाबली बताने वाला चीन ने भारत पर अपनी सीमा का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए स्वयं को पीड़ित बताने की कोशिश की।  डोकलाम विवाद से जहाँ चीन को अपने को एशिया का एकमात्र दादा दर्शाने की कोशिश को गहरा आघात लगा है, वहीं उसे महाशक्तिशाली समझ का उससे भयभीत पड़ोसियों का हौसला बढ़ेगा।उनका यह भ्रम भी टूट गया कि भारत चीन के हमले की दशा में उनकी रक्षा नहीं कर पाएगा। इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए न चाहते हुए चीन से बेहतर रिश्ता रखना उनकी मजबूरी है। वैसे  इस घटना से उसके परम सहयोगी पाकिस्तान को सबस...

कब छोड़ेंगे ऐसी अन्ध श्रद्धा?

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा गुरुमीत राम रहीम को पंजकूल स्थित सी.बी.आई. न्यायालय द्वारा दो साध्वियों के साथ  बलात्कार में 20साल की साल कैद से दण्डित किये जाने पर उनके श्रद्धालुओं ने जिस तरह तोड़फोड़,आगजनी और  हिंसक  वारदातों को अंजाम दिया, वह बेहद शर्मनाक है। उनकी इस हिंसा में 41लोगों की जानें गई हैं और 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इसके साथ ही करोड़ों रुपयों की सम्पति नष्ट होने के साथ-साथ कई राज्यों में स्कूल, कॉलेजों, बसों, रेलों के परिचलन को बन्द करना पड़ा। यह कुकृत्य भी उन लोगों द्वारा किया गया ,जो मानवता, अहिंसा, समता, समाज सेवा का पाठ पढ़ाते आए हैं। इससे पहले उनके कथित भक्तों द्वारा बाबा को सजा सुनाने पर हिन्दुस्तान को दुनिया के नक्शे से  मिटाने की धमकियाँ भी दी गईं। यहाँ प्रश्न यह है कि क्या कोई सन्त,महन्त या राजनेता देश या समाज और कानून से बढ़ कर है ?  क्या धर्म और राजनीति का चोला ओढ़ लेने से किसी को जघन्य से जघन्य अपराध करने की छूट मिल जानी चाहिए?क्या ऐसे लोगों के बड़ी संख्या में अनुयायी या समर्थक होने या चुनावी सफलता पाने ...