संदेश

इल्जाम लगाने से पहले फर्क जान लें येचुरी

डॉ.बचन सिंह सिकरवार गत दिनों मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा)के महासचिव सीताराम येचुरी के भोपाल में अपनी ही पार्टी द्वारा ‘संसदीय प्रणाली, चुनाव और जनतंत्र’ विषय पर  आयोजित परिचर्चा में ‘रामायण‘ और ‘महाभारत’ ग्रन्थों समेत हिन्दू शासकों के आपसी युद्धों का उदाहरण देते हुए हिन्दुओं के हिंसक होने की जो बात कही है उसका मकसद सिर्फ सियासी फायदे के लिए हिन्दुओं को एक समुदाय विशेष के समकक्ष ठहराना था,जिससे सम्बन्धित मजहबी दहशतगर्द दुनियाभर के मुल्कों में मजहबी नफरत को लेकर तबाही मचाए हुए हैं। उनकी दहशतगर्दी से गैरमजहबी ही नहीं,खुद हममजहबी भी बेहद खौफजदा हैं। इन्होंने अफगानिस्तान, इराक, सीरिया,यमन आदि कई मुल्कों को बर्बाद कर दिया है। अपने देश में भी ये दहशतगर्द जम्मू-कश्मीर में आए दिन दहशत फैलाते हुए सुरक्षा बलों और आम नागरिकों का खून बहाते रहते हैं। ऐसे में येचुरी की उस मजहब के मानने वालों से हिन्दुओं से तुलना बेमानी ही नहीं, शरारतपूर्ण भी है। वैसे तो उनकी पार्टी द्वारा उस विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई, जिससे उनकी पार्टी के कथित नीति-सिद्धान्तों से कोई नाता नहीं है। साम्यवादी अपने स...

ऐसे हुई हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत

                        डॉ.बचन सिंह सिकरवार  दुनियाभर में अखबार भले ही खबरों के लिए निकाले गए हों,पर  अपने देश में विशेष रूप से हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत और उसका विकास ‘राष्ट्रीयता’  की उद्बोधक, उसकी सम्पोषक तथा उसके दिग्दर्शन के महती उद्देश्य के रूप में हुआ है। अब नए युग के आधुनिक पत्रकार भले ही पत्रकारिता को व्यवसाय/रोजी-रोटी कमाने का जरिया मानते हांे और मानकर चल भी रहे हों, लेकिन देश का जनमानस अब भी हिन्दी पत्रकारिता को राष्ट्र तथा समाज के लिए कार्य करना ही मानता है। यही कारण है कि वह इन उद्देश्यों से तनिक विचलन भी स्वीकार नहीं करता है। आज हम लोग हिन्दी पत्रकारिता के जिस रूप-स्वरूप तथा विस्तार को देख रहे हैं,उसे इस स्तर/मुकाम तक पहुँचाने में अनगिनत त्यागी, तपस्यी पत्रकारों/साहित्यकारों का अथक परिश्रम लगा है, जिन्होंने हर तरह के खतरों का सामना करते  और अभावों को झेलते हुए भी हिन्दी पत्रकारिता के उद्देश्यों पर किसी तरह की आँच नहीं आने दी।इसके लिए उन्होंने ब्रिटिश शासन की यातनाएँ सहीं और जेलों  ...

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के एकतरफा पैरोकार

                      डॉ.बचन सिंह सिकरवार  हाल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आपत्तिजनक पोस्ट करने मामले में  कथित पत्रकार प्रशान्त जगदीश कन्नौजिया की गिरफ्तारी को प्रथम दृष्टया अनुचित मानते हुए उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत पर तत्काल रिहा करने का आदेश अवश्य दिया, किन्तु उसने  सोशल मीडिया पर  उनके पोस्ट या ट्वीट का समर्थन नहीं किया है। इस बारे में उच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट कर किया है कि जो मामला कन्नौजिया के विरुद्ध न्यायालय में चल रहा है, वह चलता रहेगा। हालाँकि प्रशान्त कन्नौजिया जमानत पर रिहा होकर बाहर आ गए हैं,लेकिन उनकी गिरफ्तारी को लेकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तथाकथित पैरोकारों ने बगैर उनकी हकीकत जाने ऐसा हाहाकार/कोहराम मचाया, जैसे देश में अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का गलाघोंट दिया गया हो। लेकिन देश में कोई भी ऐसा संगठन आगे नहीं आया,  जिसने  उनसे यह  प्रश्न किया हो कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी कहने-बोलने पर पाबन्दी क्यों नहीं होनी चाहिए, जिससे जातिगत, धा...

कब तक मजबूरी में करते रहेंगे पलायन ?

            डॉ.बचन सिंह सिकरवार   हाल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ के कई मुहल्लों से हिन्दुओं के पलायन के समाचारों से भले ही इन्कार कर रहे हों,  लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसा केवल मेरठ और शामली के कस्बा कैराना में ही नहीं  और न ही सिर्फ उत्तर प्रदेश और योगी आदित्यनाथ के राज में हो रहा है। हकीकत यह है कि ऐसा देशभर में हो रहा है और होता आया है। इसके लिए केवल एक खास मजहब के मानने वाले ही जिम्मेदार/दोषी नहीं हैं, बल्कि मजहब विशेष के साथ-साथ कुछ दबंग जातियों के लोग भी अपने धन बल, बाहुबल, संख्या बल, राजनीतिक बल से मजबूत अपने से कमजोर  लोगों को अपना घर-द्वार छोड़ने को मजबूर होते आए हैं। इसके लिए केवल राज्य और केन्द्र सरकारें ही उत्तरदायी नहीं हैं,वरन् वहाँ के रहने वाले भी बराबर के जिम्मेदार हैं, जो किसी खास मजहब  और जातियों के ज्यादातियों की शिकायत पुलिस-प्रशासन से शिकायत करने के स्थान पर चुपचाप अपना गाँव, बस्ती, शहर छोड़ कर किसी सुरक्षित जगह और नगर बस जाने में अपनी खैरियत समझते हैं।  वैसे भी हकीकत यह है...

मुखाफलत का यह कौन-सा तरीका?

              डॉ.बचन सिंह सिकरवार  हाल में गुजरात के सूरत और झारखण्ड की राजधानी रांची में इससे पहले मेरठ, अलीगढ़, आगरा समेत कई दूसरी जगहों पर  मुसलमानों द्वारा जून माह में झारखण्ड के सरायकेला- खरसवां जिले में मोटरसाइकिल चोरी के आरोपी तबरेज अंसारी की उन्मादी भीड़ (मॉब लिचिंग)में शामिल लोगों द्वारा बेरहमी से पिटाई तथा उससे जबरदस्ती  ‘जय श्रीराम‘ और ‘ जय हनुमान ‘ बुलवाने, फिर कुछ दिन बाद उसकी जेल में मौत की मुखालफत में  कथित मौन जुलूस निकाले गए जुलूसों में जिस तरह सोशल मीडिया के भड़काऊ संदेशों के जरिये हजारों की भीड़ जुटाई गई। फिर उसके सामने नफरतभरी तकरीरें  कर लोगों को पत्थरबाजी, आगजनी ,तोड़फोड़ और हिंसा के भड़काने की कोशिशें की गईं, उसे किसी भी रूप में अपना विरोध जताने को  उचित और  वैध नहीं माना जा सकता। यह भी तब जब स्वय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झारखण्ड की उन्मादी भीड़ की हिंसा की घटना की खुलकर निन्दा कर चुके हैं।   झारखण्ड की उस उन्मादी भीड़ मेें सम्मिलित तबरेज अंसारी की पिटाई के पाँच दोषियों को गिरफ्तार कर जेल...

फिर भी सीनाजोरी

                     डॉ.बचन ंिसंह सिकरवार  हाल में आयकर विभाग की ओर से बहुजन समाज पार्टी(बसपा) की प्रमुख मायावती के भाई एवं पार्टी उपाध्यक्ष आनन्द कुमार की चार सौ करोड़ रुपए की बेनामी सम्पत्ति जब्त किये जाने  तथा समाजवादी पार्टी (सपा) वरिष्ठ नेता तथा सांसद मोहम्मद आजम खाँ  के खिलाफ जौहर विश्वविद्यालय के नाम पर भूमि कब्जा करने के आरोप में दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज होने के साथ प्रशासन द्वारा उन्हें ‘भूमाफिया‘ घोषित किये जाने को लेकर इन पार्टियों के नेता उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर भले ही राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताते हुए न केवल स्वयं को निर्दोष बता रहे हैं, बल्कि अपने बचाव के लिए जाति और मजहब की दुहाई भी दे रहे हैं।  कुछ विपक्षी दल इस कार्रवाई को राज्य में जल्दी ही होने जा रहे कोई दर्जनभर विधानसभा के चुनावों को देखते हुए उनके खिलाफ पेशबन्दी साबित करने में जुटे हैं। वैसे एक सवाल इन राजनेताओं से है क्या इन्हें देश की उस न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास नहीं है,जिस पर देश के बाकी लोग भरोसा करते हुए न्याय पाने की...

जिनके लिए है देश से बढ़कर सत्ता

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                   डॉ.बचन सिंह सिकरवार   गत दिनों काँग्रेस द्वारा सत्रहवीं लोकसभा का  चुनाव  जीतने के लिए अपने  घोषणा पत्र में   नौजवानों को नौकरी, किसानों को कर्ज से मुक्ति, हर गरीब परिवार को सुनिश्चित आमदनी ,महिलाओं को सुरक्षित वातावरण  और संस्थाओं को आजादी ,युवाओं को 22 लाख सरकारी नौकरियों के साथ 10 लाख रोजगार ,गरीबी परिवार के लिए सालाना 72हजार रुपए, किसानों की बेहतरी के लिए अलग किसान बजट, हर व्यक्ति को स्वास्थ्य की कानूनी गारण्टी जैसे तमाम लोक लुभावन वादे किये हैं,उनमें कुछ भी अनुचित नहीं है। देश में चुनावी कामयाबी के लिए हर सियासी पार्टी ऐसा पहले से भी करती आयी हैं, लेकिन चुनावी सफलता के लिए इससे पहले जम्मू-कश्मीर की तथाकथित मुख्यधारा के राजनीतिक दल ‘नेशनल कान्फ्रेंस(एन.सी.), ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी‘(पी.डी.पी.),‘पीपुल्स कान्फ्रेंस‘ आदि के अलावा अलगाववादियों के संगठन हुर्रियत कान्फ्रेंस और दूसरे आतंकवादी संगठन जो माँगें किया करते थे, उनसे भी आगे बढ़ कर अब काँग्रेस ने जम्मू-कश्मीर की जनत...

सोनिया गाँधी बताएँ अब अपनी देशभक्ति की परिभाषा

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                   डॉ.बचन सिंह सिकरवार  हाल में स्ंायुक्त प्रगतिशील गठबन्धन(यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कहा कि हमें आज ‘देशभक्ति’ की नयी परिभाषा सिखायी जा रही है। विविधता को अस्वीकार करने वालों को ‘देशभक्त ‘कहा बताया जा रहा है। जाति, धर्म और विचारधारा के आधार पर अपने ही नागरिकों के साथ भेदभाव किये जाने को सही ठहराए जाने के  जो अत्यन्त गम्भीर आरोप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा पर लगाए हैं क्या वे वास्तव में सच हैं ? उनके इन आरोपों की पड़ताल करना जरूरी है। सामान्यतः देशभक्त के माने अपने देश/मातृभूमि से प्रेम, श्रद्धा, अनुराग  करना/रखना है जिसे देश के चन्द जनों को छोड़ कर ज्यादातर लोग सदियों से मानते आए हैं, इनमें नरेन्द्र मोदी और भाजपाई भी सम्मिलित हैं। भारत के स्वतंत्र होने से पहले काँग्रेस भी इसी परिभाषा को मानती थी। उस समय वह न तो ‘भारत माता की जय’,‘वन्देमातरम‘् के नारे लगाने से परहेज करने वालों, राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को सम्मान न देने वालों की आज की तरह तरफदारी करती थी और न उसे धार्मिक/ अभिव्यक्ति स्वतंत्रत...

पाकिस्तान में कैसे रुकें हिन्दू युवतियों के अपहरण ?

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 डॉ.बचन सिंह सिकरवार  पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त से  एक 17 वर्षीय युवती का एक दबंग शख्स ने अपहरण कर उसका धर्म परिवर्तन कराके निकाह  किये जाने की फिर से खबर आने पर शायद ही किसी को हैरानी हुई होगी, क्यों कि वहाँ तो एक तरह से ऐसी घटनाएँ आए दिन की होकर कर जो रह गई हैं। ऐसा लगता है कि  इस मुल्क में सरकार से लेकर मजहबी रहनुमाओं, पुलिस, अदालतें भी तो एक ही मकसद लेकर चल रही हैं।इन सभी का एक ही मकसद है कि  किसी भी तरह से गैर मुसलमान को अपने ईमान पर लाना यानी उसे मुसलमान बनाना है,तभी अल्पसंख्यकों की समस्याओं पर पुलिस,प्रशासन,सरकार, नेता कोई भी ध्यान नहीं देता। एक तरह से इस्लामिक कट्टरपन्थियों को इन्हें निशाना बनाने की छूट दे रखी।इसी प्रवृत्ति के चलते पाकिस्तान में आतंकवाद के साथ-साथ अल्पसंख्यकों को सताना,जलील करना,जुल्म ढहना और जरूरत पर मार डालने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। हिन्दू किशोरियों-युवतियों का अपहरण कर उनका जबरदस्ती मजहब बदलवाकर निकाह कर लेना। फिर उन्हें तलाक देकर वेश्यावृत्ति के लिए बेच देना आम हो गया है। इसमें सरकार के सभी अंग मूक दर्शक की भूमिका निभ...

श्रीलंका के आतंकवादी हमले से सबक जरूरी

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              डॉ.बचन सिंह सिकरवार             पिछले दिनों श्रीलंका में ईसाइयों के पवित्र त्योहार ईस्टर पर तीन गिरजाघरों तथा इतने ही पाँच सितारा होटलों पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के जरिए कोई एक दशक से शान्त बने हुए इस द्वीप राष्ट्र को ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया समेत पूरी दुनिया को दहला दिया,जिनमें ढाई सौ से अधिक लोगों के मारे जाने के साथ-साथ कोई 500से ज्यादा घायल हुए हैं। इस वीभत्स नरसंहार को स्थानीय आतंकवादी संगठन ‘नेशनल तौहीद जमात’(एन.टी.जे.)के आत्मघाती हमलावरों ने अंजाम दिया,जो दुनिया के सबसे खंूखार इस्लामिक संगठन‘इस्लामिक स्टेट’से सम्बद्ध है, क्योंकि बाद में इसी आतंकवादी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी कबूल की है। इन आतंकवादियों द्वारा गिरजाघरों में ईसाई समुदाय और होटलों मंे ठहरे पश्चिम यूरोपीय नागरिकों को अपना निशाने बनाने की वजह कुछ समय पहले न्यूजीलैण्ड के क्राइस्ट चर्च  में जुमे को दो मस्जिदों में एक श्वेत चरमपंथी द्वारा अंधाधुंध गोलियों बरसा कर 49 मुस्लिमों की जान से मार डालने का ब...

अमेरिका का चीन को सही जवाब

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  डॉ.बचन सिंह सिकरवार  अन्ततः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर चीन के घोर विरोध के बाद भी तिब्बत से सम्बन्धित विधेयक पर हस्ताक्षर करके उसे जता दिया, वह उसका पड़ोसी देश भारत और दुनिया कोई दूसरा मुल्क नहीं है, जो अपनी कुछ मजबूरियों की वजह से उसकी मनमानी को बर्दाश्त करते-रहते हैं। अमेरिका उसकी मनमानी  का जवाब उसके ही तौर-तरीकों से देने की सामर्थ्य रखता है, भले ही उसका कोई परिणाम निकले। इससे पहले अमेरिका और चीन के बीच कोरोबारी जंग जारी है जिसका इन दोनों देशों के कोरोबारी  ही नहीं, राजनयिक रिश्तों में भी खटास आयी है। अमेरिका चीन बहुत बड़ा आयातक देश है, इससे उसके निर्यात में बहुत कमी आयी है। अब तिब्बत से सम्बन्धित इस कानून के बनने के बाद अमेरिका  चीन के उन अधिकारियों को अपने यहाँ आने के लिए वीजा देने पर रोक लगा सकता है, जो उसके नागरिकों, सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों को बौद्धों के निर्वासित आध्यात्मिक धर्म गुरु दलाई लामा के गृह प्रान्त तिब्बत जाने की अनुमति नहीं देते हैं। तिब्बत से जुड़े इस विधेयक पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हस्ताक्षर किये जा...