इल्जाम लगाने से पहले फर्क जान लें येचुरी
डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा)के महासचिव सीताराम येचुरी के भोपाल में अपनी ही पार्टी द्वारा ‘संसदीय प्रणाली, चुनाव और जनतंत्र’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में ‘रामायण‘ और ‘महाभारत’ ग्रन्थों समेत हिन्दू शासकों के आपसी युद्धों का उदाहरण देते हुए हिन्दुओं के हिंसक होने की जो बात कही है उसका मकसद सिर्फ सियासी फायदे के लिए हिन्दुओं को एक समुदाय विशेष के समकक्ष ठहराना था,जिससे सम्बन्धित मजहबी दहशतगर्द दुनियाभर के मुल्कों में मजहबी नफरत को लेकर तबाही मचाए हुए हैं। उनकी दहशतगर्दी से गैरमजहबी ही नहीं,खुद हममजहबी भी बेहद खौफजदा हैं। इन्होंने अफगानिस्तान, इराक, सीरिया,यमन आदि कई मुल्कों को बर्बाद कर दिया है। अपने देश में भी ये दहशतगर्द जम्मू-कश्मीर में आए दिन दहशत फैलाते हुए सुरक्षा बलों और आम नागरिकों का खून बहाते रहते हैं। ऐसे में येचुरी की उस मजहब के मानने वालों से हिन्दुओं से तुलना बेमानी ही नहीं, शरारतपूर्ण भी है। वैसे तो उनकी पार्टी द्वारा उस विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई, जिससे उनकी पार्टी के कथित नीति-सिद्धान्तों से कोई नाता नहीं है। साम्यवादी अपने से असहमत विचारों को बर्दाश्त नहीं करते। उसका जनतंत्र से भी कोई लेना-देना नहीं,क्यों कि वह उस विचारधारा से अनुप्रेरित है, ‘‘ सत्ता बन्दूक की गोली से निकलती है।’’
सच्चाई यह है कि सीताराम येचुरी उक्त परिचर्चा की आड़ में ‘हिन्दू आतंकवाद’ या ‘भगवा आतंकवाद’ के प्रणेता काँग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अब भोपाल से लोकसभा के चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह के पक्ष में एक समुदाय विशेष को लामबद्ध करने के गए थे,जो कार्यक्रम में उपस्थित भी थे। वैसे येचुरी ने हिन्दुओं के हिंसक होने की बात करके दिग्विजय सिंह के भगवा आतंकवाद के फर्जी एजेण्डे को ही आगे बढ़ाया है,जिससे इस चुनावी दौर में हिन्दुओं के वोट कटने के डर से वह बराबर इन्कार करने के साथ-साथ मन्दिर-मन्दिर पूजा-अर्चना कर स्वयं को धार्मिक दिखाते घूम रहे हैं। लेकिन येचुरी और इनकी पार्टी के इस आयोजन ने हिन्दुओं के खिलाफ वामपन्थियों और काँग्रेस की जुगलबन्दी को एक बार फिर साबित कर दिया है। वैसे भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा)ने जे.एन.यू. में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे,इंशा अल्लाह, इंशा अल्लाह, भारत की बर्बादी तक जंग चलेगी,जंग चलेगी सरीखे देशविरोधी नारे लगाने वाले कन्हैया कुमार को बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाकर दिखा दिया कि वामपन्थी किन लोगों के साथ हैं? यह सब देखते हुए सीताराम येचुरी ने अपनी सियासती फायदे के लिए हिन्दुओं को बदनाम करने की जो कोशिश की है, वह निन्दनीय है। इससे हिन्दुओं को गहरा आघात लगा है। वैसे येचुरी की मानसिकता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि उन्हें टुकड़े -टुकड़े गिरोह के सरगना कन्हैया कुमार से कोई तकलीफ नहीं है,पर भाजपा द्वारा फर्जी भगवा आतंकवाद के नाम पर म.प्र. की दिग्विजय सिंह की काँग्रेस सरकार ने जिन साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को कई साल तक प्रताड़ित कर जेलों में रखा था,उनके खिलाफ ही प्रत्याशी बनाये जाने साम्प्रदायिक उन्माद फैलता नजर आ रहा है। हैरत की बात यह है कि येचुरी और उनकी पार्टी माकपा को कभी असुद्दीन औवेसी, मोदी की बोटी,बोटी काटने की बात करने वाले इमरान मसूद, खुले आम दहशतगर्दो की हिमायत करने वाली, कश्मीर को भारत से अलग करने की धमकी देनी वाली महबूबा मुफ्ती, डॉ.फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, भारत माता को डायन कहने वाले, जया प्रदा के अंग वस्त्रों की चर्चा करने ,नचनिया बताने वाले आजम खान जैसे मुस्लिम नेताओं में उन्हें पंथनिरपेक्षता, जम्हूरियत की खुशबू आती है,क्या?
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