जिनके लिए है देश से बढ़कर सत्ता

                   डॉ.बचन सिंह सिकरवार 
 गत दिनों काँग्रेस द्वारा सत्रहवीं लोकसभा का  चुनाव  जीतने के लिए अपने  घोषणा पत्र में   नौजवानों को नौकरी, किसानों को कर्ज से मुक्ति, हर गरीब परिवार को सुनिश्चित आमदनी ,महिलाओं को सुरक्षित वातावरण  और संस्थाओं को आजादी ,युवाओं को 22 लाख सरकारी नौकरियों के साथ 10 लाख रोजगार ,गरीबी परिवार के लिए सालाना 72हजार रुपए, किसानों की बेहतरी के लिए अलग किसान बजट, हर व्यक्ति को स्वास्थ्य की कानूनी गारण्टी जैसे तमाम लोक लुभावन वादे किये हैं,उनमें कुछ भी अनुचित नहीं है। देश में चुनावी कामयाबी के लिए हर सियासी पार्टी ऐसा पहले से भी करती आयी हैं, लेकिन चुनावी सफलता के लिए इससे पहले जम्मू-कश्मीर की तथाकथित मुख्यधारा के राजनीतिक दल ‘नेशनल कान्फ्रेंस(एन.सी.), ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी‘(पी.डी.पी.),‘पीपुल्स कान्फ्रेंस‘ आदि के अलावा अलगाववादियों के संगठन हुर्रियत कान्फ्रेंस और दूसरे आतंकवादी संगठन जो माँगें किया करते थे, उनसे भी आगे बढ़ कर अब काँग्रेस ने जम्मू-कश्मीर की जनता के बहाने देशभर के एक  समुदाय विशेष की सबसे बड़ी पैरोकार दिखाने  को देश की सुरक्षा, स्वतंत्रता, सम्प्रभुता एकता,  अखण्डता पर ही दांव लगाते हुए जम्मू-कश्मीर से सम्बन्धित संविधान के अनुच्छेद 35ए, 370 को अक्षुण्ण या बनाये रखने , इसी राज्य से अफस्पा  (सशस्त्र बल विशेषााधिकार पावर अधिनियम )की समीक्षा कर उसमें संशोधान या हटाने, सुरक्षा बलांे, सेना को कश्मीर से हटाकर उनकी जगह जम्मू-कश्मीर पुलिस की तैनाती, इस सूबे के जिला कलेक्टर के सोशल मीडिया ँ(इण्टरनेट सेवा)पर प्रतिबन्ध लगाने के अधिकार में कटौती करना,जिसके माध्यम से वे सुरक्षाबलों तथा आतंकवादियों के बीच हो री मुठभेड़ के दौरान पत्थरबाजों को आने और अफवाह फैलाने पर रोक लगाते हैं, देशद्रोह से सम्बन्धित भारतीय दण्ड संहिता 124ए का खत्म करना, कश्मीर समस्या के समाधान हेतु तीन सदस्यीय वार्कारों की नियुक्ति, घाटी में शान्ति बहाली हुर्रियत समेत सभी अलगाववादियों से बातीचीत करना,पाकिस्तान से फिर से वार्Ÿाा का सिलासिला शुरू करने जैसे वादे अपने घोषणापत्र में शामिल किये हैं।
यह सब देखकर जहाँ पाकिस्तानपरस्त अलगाववादियों की बांछे खिल गई होंगी,  वहीं इनकी सबसे बड़ी तरफदार पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी हैरान-परेशान जरूर हुई होंगी, क्यों कि उनके मुद्दों को काँग्रेस ने जो छिन लिया है, जो उनकी प्रतिद्वन्द्वी पार्टी ‘नेशनल कान्फ्रेंस‘ के साथ गठबन्धन कर अब लोकसभा का चुनाव भी लड़ रही है। काँग्रेस ने अपने घोषणापत्र में उक्त वादे सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लोगों की तथाकथित समस्या को दृष्टिगत रखकर सम्मिलित नहीं किया, बल्कि शर्मनाक स्थिति यह है कि उसने इस देश के समुदाय विशेष को एक तरह से पाकिस्तान समर्थक, अलगाववादी समझ कर किया,जो निश्चय देशभक्त मुसलमानों के लिए अपमानजनक है। इस घोषणापत्र से देश के लोगों को काँग्रेस की फर्जी पंथनिरपेक्षता के नकाब के पीछे असली साम्प्रदायिक चेहरा सामने आ गया है,वह जो कुछ कहती है,वह उसके ठीक उलट है,उसके लिए सत्ता ही सबकुछ देशहित के कोई माने नहीं है,जैसे बाकी दूसरी सियासी पार्टियों के लिए है।ऐसे में देश के लोगों को इस राष्ट्र की सुरक्षा से खिलवाड़ करने के इरादों पर गहन विचार कर उसका उन्हें मुखर विरोध करना अब जरूरी ही नहीं, अपरिहार्य हो गया है।
 जब भी कोई देशभक्त/राष्ट्रवादी या फिर भाजपा अनुच्छेद 35ए और 370 को हटाने की बात करता है,तो नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष,पूर्व मुख्यमंत्री/पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ.फारूक अब्दुल्ला,उनके पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ ही उनके धुर विरोधी पार्टी पी.डी.पी की नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती एक-दूसरे को मात देते हुए भारत के  विरोध में वह सब कुछ बोलने पर उतर आते हैं,जिसे आम भारतीय  उसे देशद्रोह समझता है। नेका के अध्यक्ष डॉ.फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि मेरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कोई जाति(निजी)दुश्मनी नहीं है,लेकिन मैं उनके खिलाफ हूँ,क्योंकि  मोदी और उनकी पार्टी अनुच्छेद 370 समाप्त करना चाहती है,ताकि कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय हो जाए,पर यह नेका रहने तक यह सम्भव नहीं है।.कुछ समय पहले नेका के ही विधायक अकबर लोन ने खुले आम कहा था कि अगर कोई ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद‘ कहेगा,तो वे उसके बदले में दस बार हिन्दुस्तान मुर्दाबाद कहूँगा। डॉ.फारुक अब्दुल्ला भी गुलाम कश्मीर के बारे में कह चुके हैं कि ये क्या तुम्हार बाप का है? जो उसे ले लोगे।हिन्दुस्तान की फौज में भाी इतनी ताकत नहीं ,जो उसे पाकिस्तान से उसे ले सके। हैरानी की बात यह है कि इसके बाद भी इस देश के ज्यादातर राजनीतिक दल चुप्पी साधे रहते थे, बल्कि काँग्रेस तो उसकी सत्ता में साझीदार रही है। इसके बाद भी ये ही सियासी पार्टियाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पाबन्दी या सेंसरशिप होने का लगातार आरोप लगाती आयी हैं। ऐसे में आप सोचते होंगे,कि आखिर अनुच्छेद 370 और 35ए ऐसा क्या है,जिसके हटाने की चर्चा मात्र से ये कश्मीरी नेता भड़क जाते हैं।वस्तुतः ये अनुच्छेद ही जम्मू-कश्मीर को शेष भारत से अलग करने का  इस्लामिक कट्टरपन्थियों की साजिश का हिस्सा हैं,इनके कारण देश का कोई नागरिक यहाँ आकर जमीन,जायदाद खरीद कर बस नहीं सकता। यह इसलिए ताकि इस सूबे को ‘आजाद इस्लामिक मुल्क‘ या फिर इसे पाकिस्तान को सौंपा जा सके। सम्भवतः इस षड्यंत्र को देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी ठीक से नहीं समझ पाए थे,जो इस असंवैधानिक कृत्य के भागीदार बन गए। दुर्भाग्य यह है कि उनकी इस गलती को सुधारने के बजाय उनकी पार्टी सत्ता की खातिर देश की सुरक्षा पर ही घात करने पर उतर आयी है। सच यह है कि काँग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र पाकिस्तान समर्थक अलगाववादियों ,इस्लामिक कट्टरपन्थियों की एक साथ सभी मुरादें पूरी करने का वादा कर दिया है जिससे निश्चय पाकिस्तान को बेहद खुशी हुई होगी,जो मोदी की सत्ता से विदाई की रात-दिन अपने खुदा से दुआएँ माँग रहा है।
देश के लोग जानते हैं कि इस समय जम्मू-कश्मीर दोहरे संकट से गुजर रहा है। इस राज्य में जहाँ एक ओर पाकिस्तान के पाले-पोसे आतंकवादी सुरक्षा बलों, सेना, आम नागरिकों की गोली और बमों से हमले कर उनकी जान ले रहे हैं,जिससे यह पूरा सूबा दहशत में है, वहीं दूसरी ओर विशेष रूप से जम्मू में पाकिस्तानी सेना निरन्तर युद्धविराम का उल्लंघन कर सरहदी गाँवों पर गोलीबारी ही नहीं,मोर्टार गोले दाग रही है, ताकि कश्मीर घाटी को हिन्दू विहीन करने के बाद इस हिन्दू बहुल इलाके से इन्हें भयभीत कर पलायन करने को विवश करना है। पाकिस्तानी सेना इसी मकसद को पूरा करने में जुटी है और यहाँ मुल्कभर के सियासतदां सब कुछ जानकर भी अनजान होने का ढोंग कर रहे हैं। काँग्रेस सत्ता के लिए देश के साथ छल करने में सबसे आगे हैं, तभी तो उसने अपने घोषणपत्र में पूरे जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को एक बार फिर से दांव पर लगा दिया, जब उसकी ही लापरवाही/अनदेखी के कारण यहाँ पाक समर्थक इस्लामिक कट्टरपन्थियों ने इसे पूरी तरह से अपनी गिरफ्त लिया हुआ है। जिस अफस्पा(सशस्त्र सुरक्षाबल विशेषाधिकार पावर अधिनियम)से प्राप्त शक्तियों के कारण ही सेना और सुरक्षाबल  किसी भी संदिग्ध व्यक्ति और घर की तलाशी लेने तथा उसके गिरफ्तर कर सकते हैं,उस अधिनियम की समीक्षा कर उसमें संशोधन या हटाने का वादा कर रही है,जबकि इस सूबे की विषम स्थिति देखते हुए केन्द्र सरकार ने अब सेना और सुरक्षा बलों को आतंकवादियों से निपटने की पूरी छूट दी हुई है,उसके कारण ही इस राज्य में बड़ी तादाद में उन्हें मौत के घाट उतारने में  उसे सफलता मिल रही है और पत्थरबाजों के हौसलेपस्त हुए हैं। इसके बाद भी सावधानी में थोड़ी- सी चूके से जैश-ए-मुहम्मद के दहशतगर्द पुलवामा में सीआरपीएफ के जवान के वाहन को बम विस्फोट करने में कामयाब हो जाते हैं,जिसमें 40जवान शहीद हुए थे,इसके लिए भी महबूबा मुफ्ती जिम्मेदार हैं,जिन्होंने सुरक्षाबलों के वाहनों जाते समय निजी वाहन चलने देने की छूट दी थी। लेकिन काँग्रेस और उसकी नेका इससे क्या?उन्हें इस सूबे के मुसलमानों के ही नहीं,पूरे देश में इस समुदाय के थोक वोट जो चाहिए। इस मुद्दे पर केन्द्रीय रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सही ही कहा है कि काँग्रेस ने अपने घोषणापत्र में अफस्पा हटाने या संशोधना का जो वादा किया है। उससे वह एक  तरह से  देशद्रोहियों और अलगाववादियों का समर्थन कर रही है।वह सुरक्षा बलों को मिली छूट कम करने का प्रयास कर रही है। वह इस अधिनियम को लेकर जो तर्क दे रही है उन्हें सुनकर कोई कहेंगा कि यह अच्छी बात नहीं है।लेकिन इसका फायदा कश्मीर के उन लोगों को होगा,जो देश की सुरक्षा को निशाना बनाते हैं। 
जम्मू-कश्मीर के लोग सन् 1990 से ही  आतंकवाद का सामना कर रहे है। नब्बे दशक में पाक के इशारे पर इस्लामिक कट्टरपन्थियों ने हिंसा के बल पर कोई पाँच लाख कश्मीरी पण्डितों को अपने घर द्वार छोड़ने को मजबूर कर दिया।वैसे ज्यादातर समय बाकी देश की तरह ही इस सूबे में भी  काँग्रेस की ही सरकारें रही हैं, पर उसके रहते दहशतगर्दो,पाक परस्त अलगाववादियों को किसी का खौफ नहीं था। लेकिन सन् 2014में केन्द्र में राजग सरकार बनने के बाद आतंकवादियों और उनके आकाओं के साथ बेहद सख्ती से निपटा जा रहा है जिससे अलगावादियों,आतंकवादियों और उनके सरपरस्त सियासदां की सियासत पर बन आयी है,क्यों कि उन्हें विदेशों से मिलने वाले धन और दूसरी मददों पर रोक लगा दी गई। अब उन्हें दी गई सुरक्षा वापस ले ली गई है। उनकी अवैध धन से बनायी सम्पत्ति भी जब्त की जा रही है।
   अभी भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन की ओर से अपना घोषणापत्र भी जारी नहीं किया।लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में अनुच्छेद 35ए पर सुनवायी जरूर चल रही है। विपक्ष में रहते जनसंघ से  भाजपा बनने तक अनुच्छेद 370हटाने की बात करती आयी, लेकिन उसी भाजपा ने जब जम्मू-कश्मीर में पी.डी.पी.के साथ साझा सरकार बनायी,तो उसने इस पर चर्चा तक करने तक जोखिम नहीं उठाया।इसके बाद भी हाल में पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का कहना है कि यह अनुच्छेद ही जम्मू-कश्मीर को हिन्दुस्तान से जोड़ने का पुल है जब यही नहीं रहेगा,तो जम्मू-कश्मीर से हिन्दुस्तान से कोई रिश्ता ही नहीं बचेगा।  उस दशा में भारत का झण्डा जो हम उठाये हुए हैं, उसे उठाना तो दूर कोई कन्धे पर भी नहीं रखेगा। हाल में एक चुनावी सभा को सम्बोन्धित करते हुए महबूबा ने  केन्द्र सरकार की चुनौती देते हुए कहा है कि आप धारा 370 को हटाने की तारीख बताइए, उसी दिन हमारा हिन्दुस्तान से रिश्ता खत्म हो जाएगा। अगरा 2020में अनुच्छेद 370हटाने की डेडलाइन है तो वही भारत और जम्मू-कश्मीर के रिश्ते की डेड लाइन होगी। महबूबा मुफ्ती ने यह सब पहली बार नहीं कहा है,पर इस देश के सभी सत्ताप्रेमी सियासी पार्टियों को इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता।उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने उनके खिलाफ अपना मुँह खोला,तो समुदाय विशेष के वोट से वंचित रह जाएँगे। उनके लिए के लिए देश जाए भाड में़,सत्ता के सुख बने रहें। इधर महबूबा मुफ्ती की इस पाक परस्ती और अलगाववादियों की भाषा बोलते देख भला नेका के उमर अब्दुल्ला कैसे पीछे रहते? तो जनाब ने महबूबा को पछाड़ते हुए फरमाया कि  अनुच्छेद 370 को मत छूओ, नही ंतो जम्मू-कश्मीर का अलग नक्शा, अलग आईन(संविधान),अलग झण्डा, सदर-ए-रियासत(राष्ट्रपति) , अलग वजीर-ए-रियासत(प्रधानमंत्री)होगा। वैसे नेका के अध्यक्ष डॉ.फारुक अब्दुल्ला,उनके बेटे उमर अब्दुल्ला,उन्हीं तरह महबूबा मुफ्ती जिस अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय की शर्त बता रहे हैं,वह सच नहीं है। सच्चाई यह है कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय इस सूबे के राजा हरि सिह ने सन्1948में किया था। इसके बाद 1950 में अनुच्छेद 370, तथा सन् 1954 में अंनुच्छेद 35ए को संविधान में राष्ट्रपति के अध्यादेश के जरिए जोड़ा गया है।इन दोनों अनुच्छेदों को न तो संविधानसभा ने बनाया था और न ही इन पर संसद में ंिवचारविमर्श ही हुआ है। ऐसे में ये अनुच्छेद संवैधानिक कैसे हो गए? इसी कारण सर्वाच्च न्यायालय में इनकी संवैधानिकता को लेकर चुनौती दी गई है। वैसे भी महबूबा मुफ्ती का यह कहना सही नहीं है कि अनुच्छेद 370 की नींव जम्मू-कश्मीर के पहले सदर-ए-रियासत रह चुके डॉ.कर्ण सिंह के पिता महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय के साथ रखी थी। इस पर बारे में हाल में डॉ.कर्ण सिंह कहा है कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर ने नहीं माँगा था, यह केन्द्र ने ही दी थी।
भारतीय दण्ड संहिता में देशद्रोह के लिए धारा 124ए है,जो उन लोगों पर लागू होती है जो अपने देश के विरुद्ध ऐसे कार्य करते हैं जिनसे उसकी स्वतंत्रता, सुरक्षा, एकता,अखण्डता पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो।इसमें पाकिस्तानी या इस्लामिक खूंखार दहशतगर्द संगठन आई.एस. का झण्डा लहराते हुए पाकिस्तान जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद, देश के दुश्मनों का साथ देना, लोगों को अपने मुल्क के खिलाफ भड़काना, भारत तेरे टुकड़े होंगे,इंशा अल्लाह,इंशा अल्लाह जैसे नारे  लगाना जैसे अपराध आते हैं।  वैसे भी काँग्रेस के अध्यक्ष राहुल गाँधी जे.एन.यू.में भारत के टुकड़े-टुकड़े के नारे लगाने वाले कन्हैया कुमार जैसों का समर्थन करते आए,तो आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार उस पर मुकद्दमा शुरू करने की इज्जत नहीं दे रही है।उसी कन्हैयाकुमार को भाारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने बिहार के बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया हुआ है,इससे भारतीय राजनीति के चाल-चरित्र का समझा जा सकता है।
देश की ज्यादातर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सियासी पार्टियाँ विशेष रूप से काँग्रेस, सपा, बसपा, राजद,तृणमूल काँग्रेस, वामपंथी पार्टियाँ, मुस्लिम लीग,असद्दीन अवैसी की एआइएमआइएम आदि प्रमुख है,जो समुदाय विशेष के वोट पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने पर आमादा रहती हैं,यहाँ तक की उनके लिए देश की सुरक्षा और अखण्डता के भी कोई माने नहीं है। इसके बाद भी इन पार्टियों को अपने को पंथनिरपेक्ष कहते शर्म नहीं आती। ऐसे मेें देश के लोगों का यह कर्Ÿाव्य है कि वे इनकी असलियत को सामने लाकर इन्हें  सबक सिखायें। 
सम्पर्क- डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब, गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054 

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