फिर भी सीनाजोरी

                     डॉ.बचन ंिसंह सिकरवार
 हाल में आयकर विभाग की ओर से बहुजन समाज पार्टी(बसपा) की प्रमुख मायावती के भाई एवं पार्टी उपाध्यक्ष आनन्द कुमार की चार सौ करोड़ रुपए की बेनामी सम्पत्ति जब्त किये जाने  तथा समाजवादी पार्टी (सपा) वरिष्ठ नेता तथा सांसद मोहम्मद आजम खाँ  के खिलाफ जौहर विश्वविद्यालय के नाम पर भूमि कब्जा करने के आरोप में दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज होने के साथ प्रशासन द्वारा उन्हें ‘भूमाफिया‘ घोषित किये जाने को लेकर इन पार्टियों के नेता उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर भले ही राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताते हुए न केवल स्वयं को निर्दोष बता रहे हैं, बल्कि अपने बचाव के लिए जाति और मजहब की दुहाई भी दे रहे हैं।  कुछ विपक्षी दल इस कार्रवाई को राज्य में जल्दी ही होने जा रहे कोई दर्जनभर विधानसभा के चुनावों को देखते हुए उनके खिलाफ पेशबन्दी साबित करने में जुटे हैं। वैसे एक सवाल इन राजनेताओं से है क्या इन्हें देश की उस न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास नहीं है,जिस पर देश के बाकी लोग भरोसा करते हुए न्याय पाने की आस-विश्वास में जीवनभर अदालतों के चक्कर लगाते रहते हैं। यदि भाजपा सरकार ने उनके विरुद्ध राजनीतिक द्वेष से उन पर मिथ्या मुकदमें दर्ज कराये है, तो वे न्यायालय में कैसे टिक पाएँगे?ऐसे में उन्हें व्यर्थ में चिन्तित होने की क्या जरूरत है? वैसे सपा-बसपा की तरह  हम सभी भी यह मान लें कि ये कार्रवाइयाँ राजनीतिक बदले की भावना से हो रही हैं,तो ये दल भी सत्ता में आने पर भाजपा के साथ ऐसा ही कुछ करने  को स्वतंत्र हैं।ऐसे में  इनकी आपसी जंग से सार्वजनिक कोष को लूटने वालों पर कुछ तो लगाम लगेगी।

हालाँकि अभी कार्रवाई आनन्द कुमार और मोहम्मद आजम खाँ के खिलाफ शुरू हुई, किन्तु भय इनके आला नेताओं को भी है, कहीं उ.प्र.के चीनी मिलों की बिक्री  और अवैध खनन के मामलों की चपेट में उनके आने के पूरे आसार भी दिखाई दे रहे हैं। जहाँ केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सी.बी.आई.)गत 9जुलाई को उ.प्र.में चीनी मिलों की बिक्री में घोटाले के आरोप में एक एफ.आइ.आर.तथा छह प्रारम्भिक जाँच के मामले दर्ज किये हैं। इनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के सचिव रहे अब सेवानिवृत आइएएस नेतराम समेत कई दूसरे अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। बसपा सरकार के दौरान 1100करोड़ रुपए का घोटाले हुए थे इनमें तत्कालीन सरकार में गन्ना विकास तथा चीन उद्योग के विभागीय मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत कई अन्य बसपा नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं,वहीं विगत 10जुलाई उत्तर प्रदेश के दो और जिलों देवरिया तथा फतेहपुर  में नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए खनन पट्टों के आवण्टन  में हुए घोटाले में सी.बी.आई.का शिंकजा सपा सरकार के खनन मंत्री गायत्री प्रजापति और इन दोनों जिलों के तत्कालीन जिलाधिकारियों समेत चार आइ.ए.एस.अधिकारियों पर कस गया है।  इन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने के साथ-साथ इनके आवासों पर छापे मार कर 49 लाख रुपए नकद के साथ कई अहम दस्तावेज बरामद होने का दावा किया गया है। स्वयं अखिलेश यादव ने भी मुख्यमंत्री रहते 14 खनन पट्टे आवण्टन स्वीकृत किये थे जिनमें 13 एक दिन में ही दिये गए थे। इन खनन पट्टों में हुए घोटालों की शिकायत एक आम आदमी ने की,पर शासन/प्रशासन स्तर पर सुनवाई ने होने पर उसे इसके लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय  की शरण लेनी पड़ी। इस तरह खनन घोटाले का मुकदमा भाजपा सरकार ने नहीं,एक आम आदमी ने दर्ज कराया है। अब उच्च न्यायालय के आदेश पर ही खनन के पट्टों की जाँच चल रही है। ऐसे में सपा द्वारा अपनी सफाई में बदले की कार्रवाई का आरोप लगाना फिजूल और बेमानी है। फिर हकीकत यह है कि देश के प्राकृतिक संसाधनो और सार्वजानिक कोष को लूटने में दूसरे राजनीतिक दलों की तरह ही भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं,क्यों कि जनसेवा के नाम पर ज्यादातर लोगों ने राजनीति को व्यवसाय जो बनाया हुआ है। 
   क्या इससे यह नहीं लगता कि राजनेताओं और नौकरशाहों का गठजोड़ कितना मजबूत है,जिसके जरिए ये करोड़ों-अरबों के सम्पत्ति कुछ ही समय में आसानी से इकट्ठा कर लेते हैं। वैसे भी अपने देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं ,जिन्होंने अपने रसूख से, तो कुछ ने अपने सगे-सम्बन्धियों के  राजनीतिक प्रभाव से अकूत सम्पदा बनायी है। आनन्द कुमार और उनके सगे-सम्बन्धी  भी इनमें से हैं।
वैसे आनन्द कुमार तथा मोहम्मद आजम खाँ  के खिलाफ हुई कार्रवाई को लेकर इस राज्य के लोगों को कोई हैरानी नहीं हुई, क्यों कि बसपा प्रमुख मायावती के परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति को लेकर बहुत पहले से आयकर विभाग तथा प्रवर्तन निदेशालय  जाँच कर रहा था, जिन्हांेने कुछ ही समय अपार सम्पत्ति जुटाई हुई है। इसी तरह सपा सांसद आजम खाँ के विरुद्ध उनकी पार्टी के शासन के दौरान ही किसानों और दूसरे लोगों को डरा-धमका और मार-पीट कर विश्वविद्यालय के लिए नाजायज तरीके से कृषि- गैर कृषि  सरकारी तथा गैर सरकारी जमीन हथियाने/ छीनने की शिकायतें कई बार  पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर  मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक से की र्गइं,पर आजम खाँ के सत्ता में रहने के चलते सभी ने उसे अनसुना करते हुए उन्हें दबा दिया। अब उन्हीं अखिलेश यादव ने  अपनी पार्टी के 21 सदस्यीय विधायक दल को  इस मामले की जाँच कराने को रामपुर भेजा है,जो इस मामले की पड़ताल का अपनी रिपोर्ट देगा,जिसकी उन्हें बहुत पहले से जानकारी है।
 वैसे भी मायावती जी स्वयं को भले ही  बेहतर शासनकर्ता बताती रहें,पर हकीकत यह है कि  उनके मंत्रिमण्डल के आधा दर्जन से अधिक मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की हवा खा चुके हैं और स्वयं भी ऐसे ही आरोपों से ताज कॉरीडोर, मूर्तियों के निर्माण में हुए घोटालों,जैसे जात आय से अधिक सम्पत्ति समेत दूसरे मामलों में जैसे-तैसे बच पायी हैं। 
अब अपने भाई आनन्द कुमार के बचाव में उतरी बसपा प्रमुख मायावती का कहना है कि भाजपा और आर.एस.एस. दलितों की उन्नति देखना नहीं चाहती है,जबकि स्वयं ने पार्टी कार्यालयों के नाम पर करोड़ों रुपए एकत्र किये हुए हैं। उनके भाई ने तो अपने व्यापार से सम्पदा बनायी है। ऐसे उनसे यह सवाल वाजिब है कि क्या दो सौ रुपए पे ग्रेड पर सन् 1996में  जूनियर असिस्टेण्ट  के पर तैनात आनन्द कुमार का मासिक वेतन सात से आठ सौ रुपए था। फिर महज सात साल की अवधि में नौकरी  में  ही अचानक चर्चा में आ गए और आयकर विभाग ने आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने की जाँच शुरू कर दी।क्या बहन जी उस अनोखे व्यापार का नाम दूसरों को भी बताएगी,जिससे देश के दूसरे विशेष रूप से निर्धन दलित भाइयों को आनन्द कुमार सरीखा अमीर बना सके।अब आनन्द कुमार और उनकी पत्नी विचित्रलता पर 1350करोड़ रुपए से ज्यादा बेनामी सम्पत्तियाँ होने की सम्भावना जतायी जा रही है। वस्तुतः आनन्द कुमार आयकर विभाग के रडार पर 2007से 2012 के दौरान ही आ गए थे,जबकि उनकी सम्पत्तियों में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई थी। लेकिन उनके विरुद्ध कार्रवाई करने का हथियार 2016में मिला,जब नरेन्द्र मोदी सरकार ने 1988के बेनामी सम्पत्ति कानून के का लागू किया। इसमें बेनामी रोधी कानून को  तोड़ने वालों को सात साल की सश्रम कारावास और सम्पत्ति की मूल कीमत 25 प्रतिशत तक जुर्माने की सजा हो सकती है।
अब जहाँ तक खुद को मुसलमानों के रहनुमा बताने-जताने वाले मोहम्मद आजम खाँ का सवाल है,तो वे अपने खिलाफ कार्रवाई को मुसलमानों पर जुल्म बताकर अपने हममजहबियों की हमदर्दी हासिल करने की जुगत लगा रहे हैं,पर असलियत है कि उनके खिलाफ अब तक 27 मुकदमे दर्ज कराए गए है,वे उनके हममजहबी गरीब किसान है,जो उनके  द्वारा ढहाये गए जोर-जुल्मों दस्तान कहते नहीं थक रहे हैं।उन्होंने 21सदस्यीय सपा विधायक दल के सामने विरोध प्रदर्शन भी किया,अब पता नहीं कि उसने इनसे हकीकत जानने की कोशिश की है या नहीं। भारत माता को ‘डायन‘ और प्रधानमंत्री मोदी को ‘बादशाह‘ कह कर तंज कसने वाले आजम खाँ का कहना है कि सन् 1947 में उनके पुरखों ने हिन्दुस्तान में रहने का फैसला कर जो गलती की,उसकी अब वह सजा भुगत रहे हैं।उनसे सवाल यह है कि उन्होंने जिन मुसलमान भाइयों की जबरदस्ती छीनी है,वे किसकी बात सजा झेल रहे हैं?
        अब मायावती और मोहम्मद आजम खाँ या अखिलेश यादव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार पर अपने खिलाफ सियासी बदला लेने का आरोप भले ही लगा रहे हैं,पर हकीकत यह है कि किसी धर्म/मजहब या फिर जाति के ठेकेदार बनकर राजनीति करने वाले शख्स दूसरों की तुलना कहीं ज्यादा दबंगई से गैरकानूनी काले कारनामे करते हैे,उतने दूसरे नहीं हैैं। फिर ये पकड़े जाने पर बेशर्मी से मजहब/जाति की आड़ लेकर  खुद को मजलूम साबित करने लगते हैं। क्या राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, नेशनल लोकदल के नेता ओमप्रकाश चौटाला, गायत्री प्रजापति क्या अपनी जाति के कारण जेल में हैं? देश की जनता की समझदारी पहले से अब बढ़ी है,उसे झूठे कहानी-किस्सों, जाति /धर्म,मजहब,सम्प्रदाय की दुहाई देकर बरगलाया जाना अब आसान नहीं है। अब वह चुनाव में अपना मत सिर्फ जाति/मजहब देकर नहीं देती,ये पिछले कुछ चुनावों से स्पष्ट है। फिर इन राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की समझ मंे नहीं आ रहा है। लेकिन जनता उनकी चोरी और उस सीनाजोरी में अब उनके साथ खड़ी नहीं है। 
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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