कौन बर्बाद नहीं कर रहा है हिन्दी को
डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में मॉरिशस में ग्यारहवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन सम्पन्न होकर चुका है, जिसमें हिन्दी को तकनीकी रूप से समृद्ध करने का संकल्प लिया गया है। विश्व के कई देशों में हिन्दी सीखने के प्रति तेजी से बढ़ती दिलचस्पी, उससे लगाव और आकर्षण को लेकर अच्छा लगता है तथा उस पर गर्व का भी अनुभव होना चाहिए। आज देश में उत्तरी कोने में स्थ्ति जम्मू-कश्मीर के दूर-दराज के इलाकों से लेकर घुर दक्षिण-पश्चिम में स्थित केरल या फिर पश्चिम गुजरात से लेकर पूर्वाेत्तर में असम, अरुणाचल, नगालैण्ड, मणिपुर तक हिन्दी समझने -बोलने वाले मिल जाएॅगे। यह देश के आम से लेकर खास लोगों को एक-दूसरों को मिलाती और जोड़ती है। जो हिन्दी अपनी सरलता, सहजता, मधुरता, बोधगम्यता, भाषा विज्ञान की कसौटी पर सौ प्रतिशत खरी उतरने, बोलने-लिखने में समानता जैसी विभिन्न प्रकार की विशेषताओं के साथ विश्व में बोलने वालों की संख्या( 70 करोड़ से अधिक) के रूप में दूसरे-तीसरे स्थान पर होने और दुनिया...