भारत कभी नहीं बनेगा, हिन्दू पाकिस्तान

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

हाल में काँग्रेस ने अपने सांसद शशि थरूर के उस बयान से भले ही स्वयं का अलग कर लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा सन् 2019 के आम चुनाव में फिर से जीत कर केन्द्र की सत्ता में आती है तो यह देश ‘हिन्दू पाकिस्तान‘ बन जाएगा। लेखक,चिन्तक और विचारक के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले शशि थरूर का यह बयान क्षोभजनक और उनकी बौद्धिक दिवालियेपन का परिचायक भी है,क्यों कि लेखक का पहला कर्Ÿाव्य अपने पाठकों को सन्मार्ग दिखाना है न कि अपने किसी स्वार्थ और राजनीति के लिए भ्रमित या असत्य कथन करना। उन्होंने यह कैसे मान लिया कि यह देश भाजपा या किसी दूसरे कथित कट्टरपन्थी संगठन/राजनीतिक दल के कारण  ‘हिन्दू पाकिस्तान‘ बन जाएगा यानी इस देश के सारे  हिन्दू अपने मूल स्वभाव, प्रकृति, संस्कार, चरित्र, परम्परा का परित्याग कर अपने धर्म से अलग मजहब मानने वालों के प्रति असहिष्णु हो जाएँगे, जैसा कि पाकिस्तान हैं। उस मुल्क से उनकी तुलना बेमानी है जहाँ अल्पसंख्यकों के साथ जैसा सलूक बहुसंख्यक मुसलमानों और वहाँ की सरकार द्वारा किया जाता है उसकी अपने देश में कल्पना भी नहीं की जा सकती, क्योंकि पाकिस्तान का जन्म ही 14 अगस्त, सन् 1947 में मजहबी नफरत की बुनियाद पर हुआ है,जहाँ गैर मजहब वालों की कोई जगह ही नहीं है। यहाँ तक सुन्नी मुसलमानों के अलावा  उनके ही दूसरे फिरके अहमदियों, कादियानियों,बोहरा आदि को मुसलमान ही नहीं माना जाता है और शिया मुसललमानों के साथ भी दोयम दर्जे के नागरिकों सरीखा बर्ताव किया जाता है। इतना ही नहीं, अल्पसंख्यक हिन्दू, ईसाई ही नहीं, सुन्नी फिरके के मुसलमानों के सिवाय दूसरे फिरके के मुसलमानों का जीना मुहाल किया हुआ  है। जहाँ ये लोग आये दिन गोलियाँ बरसा कर और बम फोड़कर  एक- दूसरे का खून बहाते रहते हैं। इसके सर्वथा उल्ट हिन्दू स्वभाव से सहिष्णु हैं जो सभी धर्म/मजहब/सम्प्रदायों और उनके आचार-विचार आदि का आदर करता है।  फिर अपने देश का पंथनिरपेक्ष संविधान काँग्रेस या वामपन्थी दलों के कारण नहीं,वरन् बहुसंख्यक हिन्दुओं की सर्व भवन्तु सुखिनाः की भावना में निहित है ,जो बिना धार्मिक भेदभाव के सभी प्राणियों के कल्याण की कामना करता है। दुनिया की सबसे प्राचीन दूसरी मस्जिद केरल में हैं।  भारत के हिन्दू राजाओं ने जब ईसाइयों को गिरजाघर के निर्माण के लिए,यहूदियों, पारसियों, यजीदियों आदि दूसरे मतालम्बियों को आश्रय दिया था,तब काँग्रेस नहीं थी। सन् 711 से अब तक देश पर एक मजहब विशेष के आक्रान्ताओं के हमले जारी जारी हैं,फिर भी अधिकांश हिन्दुओं की उस मजहब के प्रति अनुचित धारणा नहीं है। ऐसे ही भारत में ईसाई शासकों ने भी जुल्म ढहाने और शोषण करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। उसके बाद ईसाई मिशनरियों का देश में निर्धन/वनवासी/आदिवासियों का गलत तरीके से उनका मतान्तरण कराने का अभियान जारी है इसके बाद भी हिन्दू सबकुछ जानकर अनजान बना हुआ है,क्यों?क्या सब पाकिस्तान,सऊदी अरब, तुर्की आदि मुस्लिम मुल्कों या इंग्लैण्ड, इटली,फ्रान्स इत्यादि ईसाई देशांें में सम्भव है? इस पर भी शशि थरूर को विचार करना चाहिए।  
        फिर शशि थरूर जिस अर्थ में  भाजपा को भारत को ‘हिन्दू पाकिस्तान‘ बनाये जाने की आशंका प्रकट कर रहे हैं,उसे ‘हिन्दुस्तान‘ नाम भी फारसियों ने दिया है,ये फारसी कौन हैं? यह भी शशि थरूर और किसी और को बताने की जरूरत नहीं है। फिर हिन्दुस्तान कोई मजहबी नाम न होकर, भौगोलिक नाम है।यही कारण है कि मुस्लिम जगत् में सभी भारतीयों को ‘हिन्दी‘ कहा जाता है। इसलिए हिन्दुओं को अपने धर्म के नाम पर इस देश का फिर से नामकरण की कोई आवश्यकता नहीं है।  
                वैसे राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता के चलते काँग्रेसी सांसद शशि थरूर ने मुसलमानों को रिझाने/भरमाने को भाजपा पर ऐसा आरोप जरूर लगाया है, किन्तु हकीकत इसके सर्वथा विपरीत हैं। सत्ता पाने की लालसा और उसमें बने रहने के लिए भाजपा देश के दूसरे राजनीतिक दलों से बहुत अधिक अलग नहीं। इसलिए भाजपा आगामी आम चुनाव जीते ही नहीं सन् 2014से भी अधिक बहुमत से जीते, किन्तु भारत कभी  ‘हिन्दू पाकिस्तान‘ नहीं बनने वाला। हाँ, भाजपा वोटों के लालच में अब से ज्यादा काँग्रेसी, बसपाई, सपाई जैसी जरूर बन सकती है। जहाँ तक काँग्रेस, वामपन्थी दल, सपा, बसपा,तृणमूल काँग्रेस, जनतादल यू, जनता एस, डीएमके, एडीएमके, बीजू जनता दल आदि का प्रश्न है तो ये सभी  हिन्दूवादी संगठनों का मिथ्या हौव्वा खड़ा कर मुसलमानों के तुष्टीकरण की नीति पर चलते आए हैं और इन्हें दूसरे मजहबों के कट्टरपन्थी, उनकी समाज और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों भी दिखायी नहीं देतीं,या फिर ये अपने राजनीतिक फायदे के लिए आँखें बन्द किये रहते हैं।। जहाँ तक जम्मू-कश्मीर की सियासी पार्टियों जैसे पी.डी.पी.,नेशनल कॉन्फ्रंेस,पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ,काँग्रेस,कम्यूनिस्ट पार्टी का सवाल है, तो उनका मकसद इस सूबे को दारुल इस्लाम बनाना है,पर शशि थरूर सरीखे काँग्रेसी,वामपन्थियों और उन जैसी दूसरी फर्जी सेक्युलर पार्टियों को यह सच्चाई दिखायी नहीं देती।
  वैसे भी ‘व्हाई आई एम हिन्दू‘(मैं हिन्दू क्यों हूँ?) के लेखक शशि थरूर किसी आम हिन्दू या भाजपाई से कहीं अधिक हिन्दू/वैदिक/सनातन धर्म के विषय में जानते और मानते हैं,जैसा कि उन्होंने स्वयं ही अपनी उक्त पुस्तक में हिन्दू धर्म के विषय में लिखा है। इस पुस्तक में उनके अनुभवजन्य तथ्य भी हैं। शशि थरूर ने ही अपनी इस पुस्तक में 21वीं सदी के विश्व के लिए हिन्दुत्व का आदर्श आस्था माना है। ऐसे में उन्होंने भारत के हिन्दू पाकिस्तान बनाये जाने की बात कोई अनजाने में नहीं,बल्कि अपनी राजनीति को चमकाने और भाजपा के विरुद्ध दुष्प्रचार की नीयत की है,जो क्षम्य नहीं है। उन्होंने भारत को हिन्दू पाकिस्तान बन जाने का बयान देकर सभी हिन्दुओं को अपमानित करने का कार्य किया है। क्या इस देश के सभी हिन्दू भाजपा और उसके विचार से सहमत तथा उसके समर्थक हैं? यदि हैं तो वे भाजपा के कारण पाकिस्तानियों जैसे हो जाएँगे?हिन्दुओं ने हिंसा/ रक्तपात से कभी अपने धर्म का प्रसार नहीं किया और न ही दूसरे धर्मालम्बियों का धर्मान्तरण हीं कराया। उसने मुसलमानों और अँग्रेजों की पराधीनता तथा उनके तमाम जुल्मों के बाद भी अपने धर्म का दामन नहीं छोड़ा। फिर भी शशि थरूर ने कैसे यह सोच लिया कि जो कार्य हिन्दुओं ने विषम से विषम स्थितियों में नहीं किया,उसे भाजपा उनसे आसानी से करा लेगी?
शशि थरूर केवल हिन्दू धर्म के विशेषज्ञ ही नहीं,वे देश और शेष विश्व के देशों के इतिहास/भूगोल,समाज,धर्मों के विषय में भी सामान्य भाजपाई या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों से कहीं अधिक जानकारी रखते हैं। ऐसे में उन्हें यह बताने/जताने की जरूरत नहीं कि भारत ही वह देश है, जहाँ कई धर्म/मजहब/सम्प्रदाय/फिरकों के साथ 130भाषाएँ, सवा दो सौ से अधिक बोलियाँ,कई नस्लों, रंगों आदि के लोग कमोबेश रूप में  समरस होकर साथ-साथ सदियों से  रहते-जीते आये हैं। इनमंे वैष्णव, शैव, शाक्त, नाथ सम्प्रदाय, सनातनी, आर्य समाजी,राधा स्वामी,कबीरपन्थी,रैदासी आदि हिन्दुओं के सम्प्रदायों ही नहीं,मुसलमानों के सभी 72फिरकों के साथ ईसाइयों के कैथोलिक,प्रोटेस्टेण्ट,मैथोडिस्ट आदि के सभी फिरके सिर्फ भारत में ही मिलते हैं। ऐसा विविधतापूर्ण देश किसी भी भाजपा/काँग्रेस या फिर वामपन्थियों के कारण नहीं, बहुसंख्यक हिन्दुओं की बदौलत है, जबतक इस देश में हिन्दू बहुसंख्यक है,तब तक भाजपा क्या, दुनिया की कोई भी ताकत हिन्दुस्तान को हिन्दू पाकिस्तान नहीं बना पाएँगी।      
 वैसे हकीकत यह है कि अपने देश के अधिकतर राजनीतिक दलों को शशि थरूर की तरह ही सत्ता पाने तथा उसमें बने रहने को  हिन्दू पाकिस्तान में तब्दील होने का खतरा तो नजर आ रहा है,लेकिन इनमें किसी को हिन्दुस्तान को कुछ और बनने से कोई ऐतराज/परहेज/संकोच नहीं है। यही कारण काँग्रेस, वाम पन्थियों, सपा, बसपा, तृणमूल काँग्रेस, समेत कथित सेक्युलर पार्टियों को जम्मू-कश्मीर में कश्मीर घाटी से इस्लामिक कट्टरपन्थियों द्वारा बन्दूक के जोर पर लाखों कश्मीरी पण्डितों को निकाले जाने या फिर वहाँ आये दिन पाकिस्तान और इस्लामिक आतंकवादी संगठन आई.एस.के झण्डे लहराते हुए हिन्दुस्तान मुर्दाबाद,पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाए जाने , या फिर प्रलोभन और भ्रमित कर लोगों का मतान्तरण कराके अधिकांश पूर्वाेत्तर राज्यों को ईसाई बहुल बना लिए जाने से कोई आपत्ति नहीं है। इन्हें उड़ीसा, झारखण्ड,छत्तीसगढ़ समेत देशभर के आदिवासी/जनजातियों के लोगों को ईसाई मिशनरियों द्वारा मतान्तरण कराने पर कोई परेशानी नहीं है,इन्हें अभी भी कुछ सिखों के खालिस्तान के नारे लगाने पर भी आपत्ति नहीं ,पर उन्हें बहुसंख्यक हिन्दुओं को जागरूक और संगठित  बनाये जाने पर देश में हिन्दू आतंकवाद दिखायी देने लगता है। इन राजनीतिक दलों को पश्चिम बंगाल,पश्चिमी उत्तर प्रदेश या फिर बिहार समेत कई राज्यों के अनेक जिलों में हिन्दुओं के एक समुदाय से विशेष के भय से अपने घर छोड़कर अन्य जगह बसने से भी कुछ गलत दिखाई नहीं देता। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा पर रोक लगाये जाने पर भी आपत्ति नहीं हैं। इन्हें तो भारत तेरे टुकड़े होंगे, कश्मीर माँगे आजादी, मणिपुर माँगे आजादी,लड़कर लेंगे आजादी जैसे नारे लगाने वाले सेक्युलर दिखाई देते हैं। इन्हें तो समुदाय विशेष के आतंकवादी भी फरिश्ते नजर आते हैं। ऐसे सत्ता लोभियों से देश की स्वतंत्रता, एकता, अखण्डता को बराबर खतरा बना हुआ है, जो हिन्दुस्तान को हिन्दू पाकिस्तान नहीं, कुछ बनाने में जुटे हैं।  
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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