कश्मीर की हकीकत पर खामोश क्यों?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार गत दिनों जम्मू-कश्मीर में ईद-उल-जुहा (बकरीद) पर इस्लाम के नाम आतंकवादियों द्वारा न केवल तीन निहत्थे पुलिस कर्मियों तथा भाजपा नेता की निर्ममता से गोलियों बरसा कर हत्याएँ और अधिकतर मस्जिदों में मुल्ला, मौलवियों, इमामों द्वारा अनुच्छेद 35 ए को लेकर नमाजियों को भड़काने वाली तकरीरें ,पाकिस्तान तथा आतंकवादी संगठन आई.एस. के झण्डे लहराने के साथ भारत विरोधी नारे लगाते हुए सैन्य एवं सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी, श्रीनगर के मुख्य चौराहे पर पाकिस्तानी झण्डा फहराना तथा भारत विरोधी नारे लगाये जाने की घटनाएँ कश्मीर घाटी की भयावहता को दर्शाती है, जहाँ इस्लामिक कट्टरपन्थी मजहब की आड़ में हर उस शख्स का खून बहा रहे है जो उनके इस सूबे में ‘दारूल इस्लाम‘ कायम करने के मंसूबे /मकसद में रुकावट बन रहा है। उनकी असहिष्णुता का आलम यह है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.फारूक अब्दुल्ला के साथ हद दर्जे की बदसलूकी की,उनके साथ धक्का-मुक्की,उनके...