भगवा से आजादी के माने

डॉ.बचन सिंह सिकरवार गत दिनों अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय(ए.एम.यू.)में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के चित्र को हटाये जाने की माँग के विरोध में बाब-ए-सैयद दरवाजे पर धरने पर बैठे हजारों की संख्या में यहाँ के छात्र-छात्राओं तथा दूसरे मुस्लिमों ने दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय(जे.एन.यू.)की तर्ज पर आर.एस.एस., भाजपा, मोदी और योगी से चाहिए आजादी के लगाये गए नारों को तो एक बार राजनीतिक विरोध के रूप में सही मान भी लें, किन्तु ‘भगवा से चाहिए आजादी‘ और ‘भारत से लेकर रहेंगे‘ जैसे जो नारे लगाये गए ,उनका कोई औचित्य समझ नहीं आता। आखिर ‘भगवा‘ और ‘भारत‘ से आजादी के उनके माने क्या हैं? ‘भगवा‘ रंग किसी राजनीति दल के झण्डे का रंग भर नहीं है,वरन् ज्ञान, त्याग, बलिदान, शुद्धता, सेवा और शौर्य का प्रतीक है। इसीलिए देश के नीति नियन्ताओं ने इसे भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में सबसे ऊपर रखा है। आदिकाल से ‘भगवा‘ रंग इस देश में बसने वालों की धार्मिक, आध्यात्मिक ,सांस्कृतिक पहचान रहा है। यह भारतीय संस्कृति का शाश्वत सर्वमान्य प्रतीक है। यह सूर्योदय ,सूर्यास्...