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और कितनों को बेनकाब करेगा ‘मुझे भी‘(मी टू) ?

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 डॉ.बचन सिंह सिकरवार     वर्तमान में देश मंे ‘मैं भी‘(मी टू)मंच के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत यौन शोषण से पीड़ित महिलाओं द्वारा अपनी व्यथा-कथा बयान  करने की जैसी लोमहर्षक, निर्लज्ज, घिन्नौनी घटनाएँ हर रोज समाचार पत्र, ट.ीवी. चैनलों पर प्रकाशित, प्रसारित, प्रचारित हो रही हैं, उन्हें पढ़-सुन, देखकर यह हैरानी हो रही है कि जब इतनी मशहूर और सशक्त हस्तियाँ अपने साथ हुए दुर्व्यवहार, यौन शोषण के विरुद्ध अपना मुँह बन्द करने को विवश थीं, तो उन आम महिलाओं को क्या कुछ नहीं सहना-झेलना पड़ता होगा, जो अपना तथा अपने परिजनों को दो वक्त की रोटी कमाने को नौकरी करने और उसे हर हाल में बचाने को मजबूर हैं। वैसे जहाँ तक भी फिल्मी तथा ग्लैमर की दुनिया और अन्य क्षेत्रों में अभिनेत्रियों तथा दूसरी महिलाओं के यौन शोषण की बात है तो इन क्षेत्रों में यौन शोषण के मामले नये नहीं हैं। फिर  भी कथित कैरियर संवारने या जीविका कमाने के लिए युवतियाँ फिल्मों टेलीविजन, पत्रकारिता, राजनीति में काम करने को प्रतिस्पर्द्धा करती आयी हैं। इनमें से  कुछ को अपनी सुख-सुविधाओं, अधिकाधिक धन,उच...

घुसपैठ करने से ऐसे बाज नहीं आएगा चीन

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार  चीन के दो हैलीकॉप्टरों  के गत 27 सितम्बर माह में वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर लद्दाख के ट्रिंग हाइट्स  में घुसपैठ करने का समाचार अब प्रसारित किया गया है।  चीन की इस हरकत पर  शायद ही किसी भारतीय को हैरानी हुई होगी, क्यों कि ये चीनी सैनिक, हैलीकॉप्टर/विमान भारत की सीमा में बार-बार घुसपैठ  भूलवश या अनजाने में नहीं करते, बल्कि अपनी सीमा विस्तारक/भूमि हड़प नीति के तहत करते आए हैं। लद्दाख का टिंªग हाइट्स क्षेत्र सामरिक दृष्टि अत्यन्त महŸवपूर्ण है। इस इलाके के दौलतबेग ओल्डी एयरफील्ड है जिसमें चीनी सैनिक बार-बार घुसपैठ करते आये हैं। यह सही है कि चीन सैनिक या हैलीकॉप्टर वहाँ रुकते नहीं हैं या फिर भारतीय सैनिकों के प्रतिरोध के बाद वापस अपनी सीमा में चले जाते हैं, किन्तु भारत को यह भी सोचना होगा कि चीन कोई भी कदम बिना किसी मकसद के नहीं उठाता। उसके पीछे चीन के तरह-तरह के इरादे होते हैं। फिर भी हर बार की तरह ही भारत का उसकी घुसपैठ पर शान्त बने रहने या सामान्य विरोध करना समझ में नहीं आता है? केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में...

प्रतिमाओं को लेकर फिर राजनीति

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 फीट की विश्व की सबसे ऊँची और भव्य प्रतिमा (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) बनवाकर उसकी स्थापना करने पर काँग्रेस समेत विपक्ष यह सवाल कर रहा है कि उसने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की इतनी विशाल प्रतिमा क्यों नहीं बनवायी ? ऐसा करके  भाजपा के सरदार पटेल जैसे स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों तथा नायकों की विरासत को ‘हाइजैक‘ करने का, जो आरोप वह लगा रहा है, उसमें कुछ सब कुछ गलत नहीं है उसमें बहुत कुछ सच्चाई भी है। वैसे सरदार पटेल की प्रतिमा के बहाने अब अचानक  काँग्रेस समेत देश की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के दिलों में अचानक महात्मा गाँधी के लिए हमदर्दी उठना फिजूल नहीं है। इनमें सबसे ज्यादा तकलीफ काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से लेकर उनके कई छोटे-बड़े नेताओं को भी है। इनके इस असली दर्द की वजह इससे आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा की चुनावी बढ़त के रूप में देखना है। वैसे यह सच है कि सरदार पटेल का देश की आजादी की लड़ाई और उसके स्वतंत्र होने के बाद साढ़े पाँच सौ से अधिक राज्यों को भारतीय संघ में सम्मिलित कर...

किस काम का है ऐसा विकास ?

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                          डॉ.बचन सिंह सिकरवार  इस बार दीपावली के अवसर पर देश की राजधानी दिल्ली समेत कई दूसरे नगरों में जानलेवा स्तर तक पहुँचे वायु प्रदूषण ने एक बार फिर ऐसे कथित अन्धाधुन्ध विकास पर विचार करने को विवश कर दिया है जो अब मनुष्य की मौत का कारण बन रहा है। अगर इस धरती पर मनुष्य ही नहीं रहेगा तो वह ऐसा विकास किस के लिए कर रहा है? इस ज्वलन्त प्रश्न पर विचार करना अब आवश्यक ही नहीं, अपरिहार्य बन गया है। दीपावली के दूसरे दिन दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित नगर तो कोलकाता दूसरे एवं पाकिस्तान का लाहौर तीसरे तथा बांग्लादेश की राजधानी ढाका चौथे स्थान पर रही है। दिल्ली में वायु प्रदूषण को दीपावली पर लोगों द्वारा की गई आतिशबाजी ने और बढ़ा दिया, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने आतिशबाजी का समय निर्धारित किया था, ताकि लोग कम से कम आतिशबाजी करें, लेकिन उसके निर्देशों का उल्लंघन किया गया, जिसके कारण पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों के खिलाफ चालान भी किये हैं। इससे पहले भवन निर्माण तथा पुराने वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर रोक ल...

फिर बेनकाब हुई कश्मीर की सियासत

                          डॉ.बचन सिंह सिकरवार जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा विधानसभा के भंग किये जाने के निर्णय  और भाजपा नेता राम माधव के पाकिस्तान के इशारे पर परस्पर घोर विरोधी राजनीतिक पार्टियों के मिलकर राज्य में महागठबन्धन सरकार के गठन के आरोप के प्रत्युत्तर में पूर्व मुख्यमंत्री द्वय महबूबा मुफ्ती तथा उमर अब्दुल्ला का राज्यपाल पर केन्द्र सरकार के कहने पर चलने के आरोप के साथ-साथ राम माधव को अपना आरोप को साबित करने की चुनौती या माफी माँगने को भी कह रहे हैं, सम्भव है कि इन दोनों के सभी के ये आरोप सच हांे, लेकिन राज्य में भाजपा समर्थित सरकार के गठित होता  देख  चिर राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता /मतभेद /कटुता/बैर-भाव /दुश्मनी को भुलाकर एकाएक एकजुट होने को भी कोई साफ-सुथरी राजनीति नहीं कहा जा सकता, जिसकी अब ये सभी दुहाई दे रहे हैं। जब भाजपा ने अपनी धुर विरोधी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पी.डी.पी.) की असलियत जानते हुए भी राज्य में साझा सरकार बनायी थी, तब काँग्रेस समेत नेशनल कॉन्फ्रेंस(ने.कॉ.)न...

फिर बेनकाब हुई कश्मीर की सियासत

  डॉ.बचन सिंह सिकरवार जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा विधानसभा के भंग किये जाने के निर्णय  और भाजपा नेता राम माधव के पाकिस्तान के इशारे पर परस्पर घोर विरोधी राजनीतिक पार्टियों के मिलकर राज्य में महागठबन्धन सरकार के गठन के आरोप के प्रत्युत्तर में पूर्व मुख्यमंत्री द्वय महबूबा मुफ्ती तथा उमर अब्दुल्ला का राज्यपाल पर केन्द्र सरकार के कहने पर चलने के आरोप के साथ-साथ राम माधव को अपना आरोप को साबित करने की चुनौती या माफी माँगने को भी कह रहे हैं, सम्भव है कि इन दोनों के सभी के ये आरोप सच हांे, लेकिन राज्य में भाजपा समर्थित सरकार के गठित होता  देख  चिर राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता /मतभेद /कटुता/बैर-भाव /दुश्मनी को भुलाकर एकाएक एकजुट होने को भी कोई साफ-सुथरी राजनीति नहीं कहा जा सकता, जिसकी अब ये सभी दुहाई दे रहे हैं। जब भाजपा ने अपनी धुर विरोधी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पी.डी.पी.) की असलियत जानते हुए भी राज्य में साझा सरकार बनायी थी, तब काँग्रेस समेत नेशनल कॉन्फ्रेंस(ने.कॉ.)ने उसकी यह कह कर कटु आलोचना की थी कि सत्ता के लिए भाजपा ने  अपने सिद्धान्तों से सम...

कश्मीर की हकीकत पर खामोश क्यों?

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                           डॉ.बचन सिंह सिकरवार           गत दिनों जम्मू-कश्मीर में ईद-उल-जुहा (बकरीद) पर इस्लाम के नाम आतंकवादियों द्वारा न केवल तीन निहत्थे पुलिस कर्मियों तथा भाजपा नेता की निर्ममता से गोलियों बरसा कर हत्याएँ और अधिकतर मस्जिदों में मुल्ला, मौलवियों, इमामों द्वारा अनुच्छेद 35 ए को लेकर नमाजियों को भड़काने वाली तकरीरें ,पाकिस्तान तथा आतंकवादी संगठन आई.एस. के झण्डे लहराने के साथ भारत विरोधी नारे लगाते हुए सैन्य एवं सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी, श्रीनगर के मुख्य चौराहे पर पाकिस्तानी झण्डा फहराना तथा भारत विरोधी नारे लगाये जाने की घटनाएँ कश्मीर घाटी की भयावहता को दर्शाती है, जहाँ इस्लामिक कट्टरपन्थी मजहब की आड़ में हर उस शख्स का खून बहा रहे है जो उनके इस सूबे में ‘दारूल इस्लाम‘ कायम करने के मंसूबे /मकसद में रुकावट बन रहा है। उनकी असहिष्णुता का आलम यह है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.फारूक अब्दुल्ला के साथ हद दर्जे की बदसलूकी की,उनके साथ धक्का-मुक्की,उनके...

क्या यही है सामाजिक समरसता,न्याय, समता?

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       डॉ.बचन सिंह सिकरवार  गत दिनों केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगी दलों द्वारा संसद में अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निरोधक) संशोधन अधिनियम‘ पारित कर  दिखा दिया कि वोट बैंक/तुष्टिकरण की राजनीति में वह भी देश के काँग्रेस समेत दूसरे राजनीतिक दलों से किसी भी माने में भिन्न नहीं है। यही कारण है कि छोटे-छोटे मसलों  पर संसद न चलने वाले ये सभी राजनीतिक दल उक्त अधिनियम को पारित कराते समय उसके साथ खड़े थे,क्यों कि इन सभी को भारतीय नागरिक के उस अधिकार की कतई चिन्ता नहीं,जो उसे भारतीय  संविधान के अनुच्छेद 21 में मिला है। इन्होंने देश के सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय की अनदेखी करने से भी गुरेज नहीं किया, जिसमें उसने इस अधिनियम के दुरुपयोग के कारण  किसी भी भारतीय नागरिक के साथ होने वाले अन्याय का निवारण किया था। अब भाजपा समेत देश के सभी राजनीतिक दलों का यह कृत्य क्या इस अधिनियम के माध्यम से होने वाले भेदभाव को विधिक वैधता प्रदान कराने जैसा नहीं है? क्या यह अधिनियम भारतीय नागरिक की स्वतंत्रता को बन्धक नहीं बनाता? क्या यह विभेदकारी क...

फिर विभीषणों/जयचन्दों की तरफदारी

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      डॉ.बचन सिंह  सिकरवार हाल में महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था)परमवीर सिंह ने भीमा कोरेगाँव मामले में  हिंसा फैलाने, नक्सलियों से सम्पर्क रखने के मामले में छह राज्यों से गिरफ्तार पाँचों माओवादी(नक्सलवादियों)  देश-विदेश से  धन जुटा करके रूस तथा चीन से हथियार खरीद कर घातक हथियार खरीदने, निर्वाचित सरकारों को गिराने के साथ-साथ  राजीव गाँधी की तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या करने का षड्यंत्र रच रहे थे, जो अपने राष्ट्र/राज्य से युद्ध छेड़ने जैसा सरासर राष्ट्रद्रोही कृत्य है। इतना ही नहीं, ये लोग कश्मीर  के इस्लामिक जेहादियों, अलगावदियों समेत देश के दूसरे हिस्से में समाज और देश विरोधी संगठनों के मददगार बने हुए थे। ये लोग कश्मीर समेत देश में चल रहे विभिन्न आन्दोलन में घुसपैठ कर लोगों को अपने देश के खिलाफ लड़ने और हिंसा को भड़काते आए हैं।  फिर भी इस मामले में पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार इन पाँचों माओवादियों को देश के विभिन्न नगरों के अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यरत कुछ कथित बुद्धिजीवी, मानवाधिकार कार्यकर्ता, ...

महबूबा-फारूक की धमकी पर यह कैसी खामोशी?

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                    डॉ.बचन सिंह  सिकरवार वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में संविधान के अनुच्छेद 35ए को निरस्त कराने को लेकर कुछ याचिकाएँ विचाराधीन हैं जिन पर  निर्णय आना अभी शेष है लेकिन इससे पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने धमकी  देतेे हुए कहा है कि यदि अनुच्छेद 35 ए को हटाया गया तो जम्मू-कश्मीर से भारत का कोई रिश्ता नहीं रहेगा यानी वह उससे अलग हो जाएगा। अब ऐसा ही रुख दिखाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सांसद डॉ.फारूक अब्दुल्ला ने चेतावनी दी है कि यदि केन्द्र सरकार ने अनुच्छेद 35ए तथा 370पर अपना रवैया स्पष्ट करें,अन्यथा  उनकी पार्टी ने केवल स्थानीय निकाय तथा पंचायत चुनाव का नहीं,संसदीय और विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेगी।उन्होंने यह भी कहा कि हमारे लिए हमारी रियासत और लोगों का विशेष दर्जा ही अहम है,  लेकिन हमेशा की तरह एक वर्ग विशेष के एक मुश्त वोटों के तलबगार देशभर की सभी सियासी पार्टियाँ और उनके रहनुमा खामोश हैं जबकि यह सवाल मुल्क की अखण्डता से जुड़ा है। इस मुद्दे पर भाजपा...