घुसपैठ करने से ऐसे बाज नहीं आएगा चीन
चीन के दो हैलीकॉप्टरों के गत 27 सितम्बर माह में वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर लद्दाख के ट्रिंग हाइट्स में घुसपैठ करने का समाचार अब प्रसारित किया गया है। चीन की इस हरकत पर शायद ही किसी भारतीय को हैरानी हुई होगी, क्यों कि ये चीनी सैनिक, हैलीकॉप्टर/विमान भारत की सीमा में बार-बार घुसपैठ भूलवश या अनजाने में नहीं करते, बल्कि अपनी सीमा विस्तारक/भूमि हड़प नीति के तहत करते आए हैं। लद्दाख का टिंªग हाइट्स क्षेत्र सामरिक दृष्टि अत्यन्त महŸवपूर्ण है। इस इलाके के दौलतबेग ओल्डी एयरफील्ड है जिसमें चीनी सैनिक बार-बार घुसपैठ करते आये हैं। यह सही है कि चीन सैनिक या हैलीकॉप्टर वहाँ रुकते नहीं हैं या फिर भारतीय सैनिकों के प्रतिरोध के बाद वापस अपनी सीमा में चले जाते हैं, किन्तु भारत को यह भी सोचना होगा कि चीन कोई भी कदम बिना किसी मकसद के नहीं उठाता। उसके पीछे चीन के तरह-तरह के इरादे होते हैं। फिर भी हर बार की तरह ही भारत का उसकी घुसपैठ पर शान्त बने रहने या सामान्य विरोध करना समझ में नहीं आता है? केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कथित राष्ट्रवादी भाजपा की सरकार के सत्ता सम्हालने के बाद यह आशा बँधी थी कि अब न तो चीन भारतीय सीमा में घुसने की हिमाकत करेगा, न पाकिस्तान उसकी ओर आँख उठाने का दुस्साहस ही दिखायेगा, लेकिन उनके शासन के कोई साढ़े चार साल में इन दोनों की हरकतों में कोई कमी नहीं आयी है। क्या भारत को पता नहीं कि क्षेत्रफल की दृष्टि से दुनिया का तीसरा देश होने के बावजूद चीन डैªगन की भूमि कब्जाने की भूख का कोई ओर-छोर नहीं है, वह असीमित/अपरिमित है। वह भूमि के साथ-साथ दुनिया के सभी मुल्कों को हर क्षेत्र में पछाड़ना चाहता है। चीन की ऐसी बेजा हरकतों को नजरान्दाज करने से ही उसके हौसले बढ़ रहे हैं जिन्हें समय से रोकना बहुत जरूरी है। इसके लिए भारत को चीन की भाषा-शैली, रीति-नीति, अन्दाज में जवाब देना होगा। चीनी सैनिकों के तौर-तरीके अपनाते हुए भारत को भी अपने सैनिक उसकी सीमा में भेजने होंगे, वह अपने सैनिकों की घुसपैठ के बाद जैसे बहाने बनाता/गढ़ता आया है,वैसे ही भारत को बनाने होंगे। भारत चीन के सम्बन्ध में ‘कोल्ड पीस पॉलिसी‘( निष्क्रिय रह कर शान्ति बनाये रखने)की नीति अपनाता है जो उसके अत्यन्त घातक सिद्ध होगी,क्यों कि चीन भारतीय भूमि पर दावे पर दावे कर टुकड़े -टुकड़े में उसकी भूमि हड़पता जाएगा। दूसरे शब्दों में वह दीमक की भाँति भारत की भूमि चट करता जा रहा है।
चीन की नीति है कि जो उसके कब्जे में हैं,वह तो उसकी अपनी है,जो दूसरे के पास है उसे किसी तरह विवादित बनाकर अपना दाव मजबूत करते जाना। इसलिए चीन के हर कदम पर सख्त नजर रखते हुए,उसका कड़ा जवाब देने का तैयार रहना होगा। चीन भारत के जम्मू-कश्मीर के लद्दाख इलाके के आक्सईचिन का कई हजार वर्ग किलो मीटर क्षेत्र पर सन् 1962की लड़ाई में कब्जा कर चुका है,इसे वापस लेना भारत एकतरह से भूल-सा गया है। चीन एक ओर तो शिनझियांग से पाकिस्तान के ग्वादर बन्दरगाह तक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा‘(सीपीइसी) बना कर भारत को घेर रहा है, तो दूसरी ओर नेपाल, श्रीलंका, मालद्वीप, पाकिस्तान को अपने पक्ष में कर उसके खिलाफ खड़ा करने में जुटा है। चीन ने श्रीलंका,मालद्वीप,पाकिस्तान को अपने कर्ज के जाल में फँसा लिया है,नेपाल को भी फँसाने की फिराक में है। वर्तमान में वह भारत को ‘परमाणु आपूर्ति समूह‘(एनएसजी) का सदस्य बनने देने में बाधक बना हुआ है।साथ ही वह पाकिस्तान आतंकवादी संगठन ‘जैश-ए-मुहम्मद‘के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र संघ में ‘वैश्विक आतंकवादी‘ घोषित नहीं होने दे रहा है,जिस पर भारत में जम्मू-कश्मीर के उड़ी स्थित सैन्य अड्डे पर 2016में आतंकवादी हमला किया था जिसमें 17जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा उसका देश के अन्य स्थानों पर कई हमलों को अंजाम देने में हाथ रहा है। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर बाँध बनाकर भारत के मुश्किलें पैदा कर रहा है,जो उसके पूर्वोत्तर राज्य की जीवन रेखा है। इन बाँधों से ब्रह्मपुत्र के 200अरब क्यूबिक मीटर जल का बहाव कम हो जाएगा। चीन ‘वन बेल्ट वन रोड परियोजना‘ के माध्यम से पूरे विश्व पर अपना आर्थिक साम्राज्य ही नहीं,सैन्य दबदबा कायम करना चाहता है,किन्तु भारत न केवल उसकी इस परियोजना से बाहर है,वरन् सीपीइसी योजना के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरने के कारण खुलकर विरोध कर रहा है।
चीन की नीति है कि जो उसके कब्जे में हैं,वह तो उसकी अपनी है,जो दूसरे के पास है उसे किसी तरह विवादित बनाकर अपना दाव मजबूत करते जाना। इसलिए चीन के हर कदम पर सख्त नजर रखते हुए,उसका कड़ा जवाब देने का तैयार रहना होगा। चीन भारत के जम्मू-कश्मीर के लद्दाख इलाके के आक्सईचिन का कई हजार वर्ग किलो मीटर क्षेत्र पर सन् 1962की लड़ाई में कब्जा कर चुका है,इसे वापस लेना भारत एकतरह से भूल-सा गया है। चीन एक ओर तो शिनझियांग से पाकिस्तान के ग्वादर बन्दरगाह तक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा‘(सीपीइसी) बना कर भारत को घेर रहा है, तो दूसरी ओर नेपाल, श्रीलंका, मालद्वीप, पाकिस्तान को अपने पक्ष में कर उसके खिलाफ खड़ा करने में जुटा है। चीन ने श्रीलंका,मालद्वीप,पाकिस्तान को अपने कर्ज के जाल में फँसा लिया है,नेपाल को भी फँसाने की फिराक में है। वर्तमान में वह भारत को ‘परमाणु आपूर्ति समूह‘(एनएसजी) का सदस्य बनने देने में बाधक बना हुआ है।साथ ही वह पाकिस्तान आतंकवादी संगठन ‘जैश-ए-मुहम्मद‘के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र संघ में ‘वैश्विक आतंकवादी‘ घोषित नहीं होने दे रहा है,जिस पर भारत में जम्मू-कश्मीर के उड़ी स्थित सैन्य अड्डे पर 2016में आतंकवादी हमला किया था जिसमें 17जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा उसका देश के अन्य स्थानों पर कई हमलों को अंजाम देने में हाथ रहा है। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर बाँध बनाकर भारत के मुश्किलें पैदा कर रहा है,जो उसके पूर्वोत्तर राज्य की जीवन रेखा है। इन बाँधों से ब्रह्मपुत्र के 200अरब क्यूबिक मीटर जल का बहाव कम हो जाएगा। चीन ‘वन बेल्ट वन रोड परियोजना‘ के माध्यम से पूरे विश्व पर अपना आर्थिक साम्राज्य ही नहीं,सैन्य दबदबा कायम करना चाहता है,किन्तु भारत न केवल उसकी इस परियोजना से बाहर है,वरन् सीपीइसी योजना के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरने के कारण खुलकर विरोध कर रहा है।
वैसे भी चीन की ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी‘(पीएलए) के सैनिक ऐसे करने में भारत समेत अपने किसी भी पड़ोसी देश की भावनाओं के आहत/सम्बन्धों पर विपरीत प्रभाव पड़ने/खराब होने की कतई परवाह नहीं करते। चीन की इस अनीति से भारत ही नहंीं, भूटान, वियतनाम, जापान, थाइलैण्ड, इण्डोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, ताइवान आदि परेशान हैं, क्योंकि वह समूचे दक्षिण चीन सागर पर अपना स्वामित्व जता रहा है। उसकी इस विस्तारवादी नीति पर ये सभी देश लगाम कसना चाहते हैं। चीन हिन्द महासागर में अपने सैन्य अड्डे बनाकर न केवल भारत की सुरक्षा व्यवस्था को खतरा पैदा कर रहा है,बल्कि इस महासागर पर भी अपना दबदबा कायम करना चाहता है। यहाँ तक कि बारम्बार अपने को दुनिया का दादा साबित करने वाला अमेरिका भी दक्षिण चीन सागर में उसकी मनमानी पर अंकुश लगाने में नाकाम होता नजर आ रहा है। जहाँ तक चीनी सैनिकों की वास्तविक नियंत्रण रेखा और अन्तर्राष्ट्रीय रेखा पार कर भारतीय सीमा में घुसपैठ की बात है तो उसने सालों साल से यह सिलसिला बना रखा है।
चीन सैनिक इसी साल 6, 14 और 15 अगस्त माह में उत्तराखण्ड के चमोली जिले में सीमा के चार किलो मीटर अन्दर बाड़ाहोती स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस(आइटीबीपी)की चौकी के पास अन्दर तक घुस आए थे,वहाँ जवानों के कड़े प्रतिरोध के पश्चात् वापस लौट गए थे। भारत-चीन सीमा पर बाड़ाहोती उन तीन चौकियों में से एक है जहाँ भारत- तिब्बत सीमा पुलिस के जवान बगैर हथियारों के गश्त करते हैं। इस बीच बाड़ाहोती की रिमखिम चौकी के पास कुछ चीनी सैनिक और चीन नागरिक देखे गए थे।
अगस्त में चीनी सैनिकों की लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ को नाकाम करने की खबर को चीन के ऑन लाइन मीडिया ने हाथों हाथ लिया। यह समाचार चीन के अँग्रेजी अखबार ‘ग्लोब टाइम्स‘ में प्रकाशित हुआ। 15भारतीय मीडिया रिपोर्टस के अनुसार भारत के कब्जे वाले कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच पत्थरबाजी हुई। अन्त में भारतीय सेना से बिना किसी शर्त पीछे हटाने की चीन की माँग को दुहराने के साथ बीजिंग की चेतावनी भी दुहराई गई कि चीन अपने जायज अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए हर सम्भव उपाय करेगा। इससे पहले जुलाई माह में इसी प्रान्त के बाड़ाहोती इलाके में चीन के सैनिक नियंत्रण रेखा पर कर घुसे थे। अब से कोई 20 दिन पहले अरुणाचल की दिवांग घाटी में चीनी सैनिकों के शिविर लगाने के समाचार आए, किन्तु चीन इससे इन्कार करता है। इससे पहले जून ,सन् 2016 में भूटान की सीमा पर स्थित डोकलाम पर विवाद होने पर 72 दिनों तक भारतीय सेना चीनी सैनिकों से आमने- सामने डट़ी रही थी। चीन भूटान के सामरिक महŸव के इस 300वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा करना चाहता है, जो क्षेत्र चीन की चुम्बी घाटी तथा सिक्किम के नाथु ला दर्रे के पास है।इसे ट्राइजंक्शन (तिराहा)कहा जाता है। यह डैगर यानी खंजर के आकार है। यहाँ से भारत के चिकिन नेक यानी सिलीगुड़ी गलियारा निकलता है। यहाँ सड़क बनाकर वह सिलिगड़ी का शेष भारत से मार्ग अवरूद्ध करना चाहता है।अब भारत सरकार के अनुसार उसने इस विवाद को सुलझा लिया है,पर जमीनी हकीकत कुछ और ही दिखायी देती है। सन् 2016के अक्टूबर तथा नवम्बर माह में एक-एक बार चीनी हैलीकॉप्टर भारतीय सीमा में घुस आए थे। इण्डिया टुडे के रिपोर्ट के अनुसार डोकलाम विवाद के बाद चीन 73बार सीमा उल्लंघन कर चुका है। चीनी सैनिकों ने जहाँ सन् 2016 में 270 बार सीमा उल्लंघन किया,वहीं सन् 2017 में 400बार किया है।इससे पहले सन् 2015 में 250 बार घुसपैठ की थी। केन्द्रीयगृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 30 सितम्बर, 2017 में बाड़ाहोती में आइटीबीपी की 2 बीएओपी रिमखिम तथा लपथल चौकियों का दौरा किया, उसके पश्चात् 11 अक्टूबर को दो चीनी एमआई-17 हैलीकॉप्टर तंुजुन ला के रास्ते 4.5किलो मीटर घुस आये थे।
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