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खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध क्यों?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार अपने देश में छह दशक से अधिक स्वतंत्रता के बाद भी हम लोगों में   गुलामी और आजादी में भेद करना नहीं आया। अगर ऐसा नहीं होता तो क्या हम अपनी सभी समस्याओं का हल विदेशों , विदेशी ऋण , विदेशी धन , बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में तलाश कर रहे होते ? प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार की हालत भी कुछ ऐसी है। हालाँकि इसके लिए वे ही नहीं , तथाकथित राष्ट्रवादियों की मानसिकता भी उनसे कतई भिन्न नहीं है। संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन ( संप्रग) सरकार के मंत्रिमण्डल   ने मल्टी ब्राण्ड रिटेल ' क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश को मंजूरी देने में जल्दबाजी में फैसला ऐसे समय लिया , जब संसद का सत्र शुरू होने जा रहा था। उसके इस आचरण से लगता है कि वह किसी तरह के खास दबाव में थी , वरन जिस   केन्द्र सरकार ने   न कभी देश की जनता के दुःख-दर्दों की चिन्ता की और न उसकी भावनाओं की। यहाँ तक कि उसने   अपने वादों को   कभी   नहीं निभाया।   उसने यह कदम उठाने में उतावली आखिर क्यों दिखायी ? कमोबेश यही हालत उसकी पूर्ववर्ती राष...

माननीयों की लूट पर चुप्पी कैसी?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार उत्तर प्रदेश में चन्द्रदेव राम यादव काबीना मंत्री और स्कूल के प्रधानाध्यापक एक साथ रहते हुए दोनों पदों का वेतन-भत्ता बराबर लेते रहे हैं। ऐसे ही   विभिन्न गम्भीर अपराधों में जेलों में सजा काट रहे कई राजनीति दलों के सात विधायकों का   निर्वाचन और चिकित्सा भत्ता के नाम पर हर माह ५० , ००० हजार रुपए सार्वजनिक कोष से वसूलना ; यह दर्शाता कि वर्तमान कानून का ये कथित जनसेवक   किसी तरह दुरुपयोग कर रहे हैं। क्या उनका यह एक आर्थिक अपराध और अनैतिक कृत्य नहीं है ? आश्चर्य की बात यह है कि इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के नेतागण चुप्पी साधे हुए हैं , जो साधारण-सी बातों पर   सरकारी की भूल-चूकों पर   धरती आसमान उठा लेते हैं। कोई इन विधायकों से यह नहीं पूछता कि वे जिस निर्वाचन क्षेत्र और चिकित्सा भत्तों को   ले रहे हैं वे जेल में रहते अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों की खबर - सुध कब लेने जाते हैं जिसका वे अपना मेहनताना ले रहे हैं ? इसी तरह कोई उनसे यह भी पूछने की जहमत नही उठा रहा है कि जेल में रहते वे अपना इलाज कहाँ...

पाकिस्तान की दहशतगर्दी के खिलाफ यह कैसी जंग?

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डॉक्टर बचन सिंह सिकरवार            पाकिस्तान सरकार के आतंकवाद के खिलाफ तथाकथित जंग के लड़ते अचानक स्वात घाटी में तालिबानों के संगठन ‘ तहरीक - ए-निफाज-ए-शरीया-ए-मुहम्मदी '( इस्लामी कानून लागू करने की मुहिम-टी.एन.एस.एम.)के सरगना सूफी मुहम्मद साथ समझौता   किये जाने से दुनिया के उन लोगों को जरूर हैरानी होगी , जो उससे अमरीका के निरन्तर दबाव के चलते अपने मुल्क के मजहबी दहशतगर्दों के सफाये की उम्मीद लगाये हुए थे। यह समझौता पाकिस्तान में तालिबान के बढ़ते असर को ही दर्शाता है।   पाकिस्तान की सेना ने अपनी मुहिम छोड़ यहाँ युद्धविराम भी घोषित कर दिया है। यह समझौता   ऐसे वक्त हुआ है , जब अमरीका राष्ट्रपति के विशेष दूत रिचर्ड होलब्रुक उपमहाद्वीप की यात्राा पर थे और पाकिस्तान सरकार पर ‘ तालिबान ' और ‘ अलकायदा ' के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के लिए   दबाव डाला जा रहा था। लेकिन आतंक के खिलाफ अमरीका की ‘ वैश्विक युद्ध ' का सबसे बड़ा और अहम मददगार पाकिस्तान ने दहशतगर्दों से ही हाथ मिला लिया है। इससे पाकिस्तानी सरकार की कमजोरी ...

ऐसे नहीं बुझेगी पश्चिमेशिया की आग

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- डॉ.बचनसिंह सिकरवार गाजा पट्टी पर इजरायल के ताजा हमले में ६६० से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इसमें हर रोज होने वाली जनहानि तथा घायलों की संख्या के समाचारों से सारी दुनिया चिन्तित और परेशान है लेकिन इनमें से कोई भी पक्ष हमलावर कार्रवाई   रोकने को तैयार नहीं है। गत २७ दिसम्बर को गाजा पट्टी पर इजरायल ने हमला फलस्तीनी आतंकवादी संगठन ‘ हमास ' की हमलावर कार्रवाई के प्रत्युत्तर में किया है जिसका वर्त्तमान में फलस्तीन पर शासन है। इस हमले से पश्चिमेशिया की शान्ति भंग करने के लिए केवल इजरायल को   दोषी नहीं माना   जाना चाहिए , क्योंकि पिछले जून में मिस्र की मध्यस्थता में इजरायल तथा हमास के संघर्ष विराम कराया था। अब उसने ही उसे तोड़ा है। वैसे पश्चिमेशिया की इस अशान्ति या खूनखराबे के लिए अकेले इजरायल को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इसका कारण यह है कि इस्लामिक मुल्कों के साथ-साथ कट्टरपंथी इस्लामिक उग्रपंथी भी इजरायल के   वजूद को अब तक मंजूर करने को तैयार नहीं हैं और वे इसे हर हाल में नेस्तनाबूद करने पर उतारू हैं। ये मुल्क हैं- ईरान , सीरिया , सऊदी अरब , लेबनान , सीरिया ...

कौन वापस करेगा अब यमुना की पावनता को ?

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डॉ.बचनसिंह सिकरवार   हिमालय के अंचल में स्थित यमुनोत्री से निकली भगवान सूर्य ( रवि) की बेटी और   यम(काल) की बहन यमुना आदि काल से इस धरा के लोगों को हर तरह से तारती आयी है। अब उन्हीं के वंशजों के स्वार्थपूर्ण कार्यकलापों ने इस मोक्षदायनी की न केवल पावनता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है , बल्कि इतना विषाक्त कर दिया है कि वे लाख चाहने पर    इसके जल का आचमन तो दूर , इसमें   नहाने का साहस भी नहीं कर पा रहे हैं।   वस्तुतः हिमालय की चोटियों से निकल कर रवि सुता यमुना देश के कई राज्यों की सीमाओं में बहती हुई अन्ततः इलाहाबाद(प्रयाग) में संगम पर गंगा में विलीन हो जाती है। अब यमुना के प्रदूषण का खतरा अपने उद्गम स्थल यमुनोत्री पर भी उत्पन्न हो गया है जहाँ   मानवीय गतिविधियों के बढ़ने तथा उनके   हस्तक्षेप से यमुना की पवित्राता और अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह   लगने प्रारम्भ हो गये हैं। अमरीका की ‘ नेशनल एयरोनोटिक स्पेस एजेन्सी ' ( नासा) की एक रपट के अनुसार   वैश्विक उष्णता ( ग्लोबल वार्मिंग) के कारण गढ़वाल हिमालय के समस्त ‘ हिमखण्ड ' या ‘ हिम नदी ' ( ...