खुदा करे यह सिलसिला बना रहे



- डॉ. बचन सिंह सिकरवार
हाल में भ्रष्टाचार करने ,अनुचित और अवैध हथकण्डे अपनाने तथा विभिन्न प्रकार की अनियमितताएँ बरतने के आरोपों में दण्डित होकर कुछ राजनेताओं तथा नौकरशाहों के जेल जाने के साथ अपनी सांसदी गंवाने से देश की राजनीति तथा नौकरशाही के एकदम पाक-साफ हो जाने की उम्मीद भले  ही किसी को हो, लेकिन यह भरोसा जरूर पैदा हुआ है कि अब ये नेतागण और नौकरशाह विभिन्न योजनाओं-परियोजनाओं का धन लूटने, दूसरी सार्वजनिक सुविधाओं को हड़पने तथा नाना प्रकार के कुकर्म करने से पहले एक बार जरूर सोचेंगे। उन्हें यह डर भी  अवच्च्य सतता रहेगा कि वे कानून के हाथों से एक लम्बे समय तक बचते भले ही रहें ,पर देर सबेर एक एक दिन उसके हाथ उनकी गर्दन पहुँचेंगे जरूर। अब जनप्रतिनिधित्व कानून की आड़ में उनके लिए कानून को ठेंगा दिखाना आसान नहीं रह गया है।हाल के इन अदालती फैसलों की इतनी कामयाबी क्या कम है+? निच्च्चय ही इन सब के जेल जाने से भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में चले रहे विभिन्न जनान्दोलनों को भी बल मिलेगा। साथ ही देश की राजनीति की मौजूदा गन्दगी की सफाई का अब जो सिलसिला भी चल पड़ा ,लोगों में इसके आगे भी जारी रहने की उम्मीद बँधी है।
अब मेडिकल सीट घोटाले में ४साल की सजा पाये राज्य सभा के सदस्य और पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य काजी रच्चीद मसूद अपनी सांसदी गंवाने वाले देश के पहले सांसद बन गये हैं। उनके बाद देश के चर्चित पच्चुचारा घोटाले में क्रमच्चः और साल की सजा पाये राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथ बिहार के सारण से सांसद लालू प्रसाद यादव तथा इसी राज्य के जनता दल यूनाइटेड(जदयू) के जाहनाबाद से सांसद जगदीश शर्मा को भी अपनी सांसदी गंवानी पड़ी है। इस कारण राज्यसभा की एक और लोकसभा के दो स्थान रिक्त होने के बाद इनके नए सिरे से चुनाव कराने को लोकसभा के महासचिव बालशेखर द्वारा चुनाव आयोग को सूचना दे दी गयी है। दरअसल, दागी जनप्रतिनिधियों की सदस्यता के सम्बन्ध में उशतम न्यायालय के इसी जुलाई कें निर्णय के कारण इन सभी को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है। उशतम न्यायालय ने इस सम्बन्ध में अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा था कि सजा सुनाये जाने सांसद और विधायक की सदस्यता चली जाएगी। इस निर्णय के क्रियान्वयन को लेकर  प्रारम्भिक भ्रम के बाद अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि सजा सुनाए जाने के दिन से ही लोकसभा सचिवालय को जनप्रतिनिधि को आयोग घोषित कर स्थान रिक्त होने की अधिसूचना जारी कर देनी चाहिए। इन नेताओं के जेल जाने और सांसदी गंवाने की घटना देश के इतिहास में अभूतपूर्व  तथा बेहतर लोकतंत्र की दिशा में शुभ संकेत है लेकिन कानून के लम्बे हाथ होने के बाद भी इतने गम्भीर अपराधों के दोषियों का एक लम्बे समय के बाद सजा पाना। फिर इन्हें सजा, इनकी सांसदी तथा विधायकी बचाने के लिए कानून बनाने  वालों द्वारा संविधान से  खिलवाड़ करते हुए उशतम न्यायालय के निर्णय के विफल करने को देश के लगभग सभी राजनीतिक दलों के सांसदों द्वारा संसद में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संच्चोधन विधेयक पारित किया गया। इसके बाद केन्द्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाना क्षोभजनक तथा कानून के शासन पर सवालिया निशाना लगाता। इस अध्यादेश को लेकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के विपरीत रूख को देख भाजपा समेत काँग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी भी इसके मुखर विरोध पर उतर आये। अन्ततः केन्द्र सरकार को उक्त दोनों मुद्दों पर अपने निर्णय को बदलने को मजबूर होना पड़ा।
वैसे भी भ्रष्टाचार  और दूसरे कदाचारों के मामले में ज्यादातर राजनीतिक दलों के सदस्यों का रवैया एक जैसा है। यही कारण है कि ये अपने खिलाफ बनने वाले किसी कानून बनने को लेकर सारे मतभेद भुलाकर एकजुट हो जाते हैं। जहाँ तक सांसदी गंवाने का सवाल है तो अपने देश में इन राजनेताओं से पहले भी कुछ सांसद लोकसभा में सवाल पूछने के बदले धन  लेने तथा सांसद निधि के दुरुपयोग के मामलों में भी अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं, किन्तु इन मामलों का दायरा छोटा होने के कारण ये कम ही पकड़ में पाते हैं।
यूँ तो अपने देश में घोटालों की एक लम्बी फेहरिस्त हैं लेकिन इनमें सजा इन्हें अन्जाम देने वाले कुछ राजनेता और नौकरशाह को ही मिल पायी है। इसके कारण राजनेताओं ,नौकरशाहोंंंंंंंंंंंंंं , पूँजीपतियों ,ठेकेदारों ,दलालों को कानून कोई डर नहीं है जो सार्वजानिक धन को दोनों हाथों से लूटने में लगे हैं। फिलहाल घोटालेबाजों और उनमें मिली सजा की चर्चा की शुरुआत इसी ३०सितम्बर को सी.बी.आइ.की विशेष अदालत द्वारा सैकड़ों के करोड़ रुपए के चारा घोटाले में कोई सत्तरह साल बाद राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, केन्द्रीय रेलमंत्री /सांसद लालूप्रसाद यादव को ५साल , इसी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र तथा जदयू के सांसद जगदीश शर्मा को ४साल के कारावास समेत ४५ दूसरे पूर्व और वर्तमान सरकारी अधिकारियों के साथ  दोषी ठहराने और सजा दिये जाने से करते हैं। इसके तुरन्त बाद सी.बी.आई की  विशेष अदालत ने ही  १अक्टूबर को मेडिकल में अवैध तरीके दाखिले कराने पर पूरे २३ साल बाद पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य काजी रच्चीद मसूद तथा दो पूर्व आइ.ए.एस.अधिकारियों को ४-४साल की सजा सुनायी है
इनसे पहले सन्‌ १९९९से २०००में हरियाणा की मुख्यमंत्री रहते ओमप्रकाश चौटाला ने लगभग तीन हजार जूनियर बेसिक च्चिक्षकों की भर्ती में भ्रष्टचार करने के दोषी पाए गए। इस मामले में जनवरी, २०१३ में बड़े बेटे  अजय चौटाला के साथ उन्हें १०साल के कठोर कारावास की सजा सुनायी जा चुकी है। इनसे पूर्व भाजपा के  पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण तथाकथित हथियार विक्रेता से हथियारों के सौदे में एक लाख रुपए की रिच्च्वत लेने पर के मामले में २८ अप्रैल,२०१२में चार साल की सजा सुनायी  गयी थी भाजपा के ही कर्नाटक के विधायक विधायक वाई संपांगी को सन्‌ २००९ में पाँच लाख रुपए की रिच्च्वत लेने के एक मामले में साढ़े तीन साल के कठोर कारावास की सजा हुई।  इनके पहले १९सितम्बर ,२०११को पी.वी.नरसिंह राव के मन्त्रिमण्डल के दूरसंचारमंत्री  रहे सुखराम को दूरसंचार घोटाले में  केबिल काटै्रक्ट केस में तीन लाख रुपए  रिच्च्वत लेने का दोषी पाये पाँच साल की सजा सुनायी गयी। इससे पहले सन्‌ २००९में  भ्रष्टाचार के ही दो अन्य मामलों में भी उन्हें सजा सुनायी जा चुकी है। सन्‌ २००६ में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष च्चिबू सोरेन को १९९४ में अपने पूर्व सचिव शच्चिकान्त झा के अपहरण और  हत्या के मामले में आजीवन कारवास की सजा सुनायी गयी। वह उस समय केन्द्रीय कोयला मंत्री थे। देश का यह पहला ऐसा मामला था जब किसी केन्द्रीय मंत्री को हत्या के मामले में  दोषी पाया गया। उन्हें पत्र से इस्तीफा देना पड़ा। हालाँकि बाद में दिल्ली उश न्यायालय ने वह इस मामले में बरी हो गए।  सन्‌ १९८२ में ३०करोड रुपए के सीमेण्ट घोटाले में बाम्बे हाईकार्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ए.आर.अन्तुले दोषी ठहराया, परिणामतः उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा।  पाँच साल की सजा कटने  दिल्ली के तन्दूर के काण्ड से कुख्यात दिल्ली युवक काँग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुच्चील शर्मा ने अपनी प्रेमिका नैना साहनी की जुलाई १९९५ में गोलीमार कर हत्या करने के बाद अपने होटल के तन्दूर में जलाया था, जिसमें उन्हें मौत की सजा मिली थी जिससे अब आजन्म कारावास में बदल दिया गया है। हरियाणा के गृहराज्यमंत्री गोपाल काण्डा  अपनी एयर होस्टेसे का यौन शोषण और आत्महत्या कराने के मामले में जेल में हैं। राजस्थान के मंत्री परसराम मदेरणा नर्स भंवरी बाई के साथ अपने अवैध के कारण हत्या  के आरोप में जेल में हैं। उ.प्र.के अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के आरोप में जेल में हैं। हाल के वर्षों में कुछ चर्चित घोटालाओं में कई नेता आरोपी हैं। ये मामले विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन हैं। सन्‌ २०१० के २जी स्पेक्ट्रम घोटालों में दूरसंचार मंत्रालय में नियमों का उल्लंघन करते हुए १.२३१ लाइसेन्स रेवाड़ियों की तरह  ऐसी कम्पनियों को दे दिये ,जिनमें  से कई के पास तो इस क्षेत्र का अनुभव नहीं था। इससे सरकारी राजस्व का १.७६लाख करोड़ का रुपए की क्षति हुई। प्रमुख आरोपी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.करूणानिधि की सांसद बेटी कनी मोरी और उनके भतीज केन्द्रीय संचार मंत्री रहे ए. राजा ,केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री  ए.राजा   को जेल जाना पड़ा पड़ा। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। सन्‌ २०१० में दिल्ली में हुए राष्ट्रमण्डल खेलों की तैयारियों में तमाम अनियमितताओं  पायी गयीं। स्टेडियम निर्माण में विलम्ब से लेकर कई कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप सरकारी एजेन्सियों  ने लगाए। आयोजन समिति  के अध्यक्ष और काँग्रेसी नेता  सुरेश कलमाड़ी  गिरफ्तार भी हुए। ३०नवम्बर ,२००९ को झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को गिरफ्तार किया गया। उन पर सन्‌ २००६से २००८ के अपने कार्यकाल में  अनुचित तरीके से खनन के ठेके देने का आरोप है। अब उन्हें करीब साढ़े तीन जेल में सजा काटने के बाद कुछ समय पहले जमानत पर रिहा हुए हैं। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की सरकार के माध्यमिक च्चिक्षामंत्री रहे रंगनाथ मिश्र  लेकफैड घोटाले' , परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाह पर एनएचआरएम' घोटालों , बीकापुर के विधायक मित्रसेन यादव ३६ मामले हैं इनमें १४हत्याओं के हैं। इसी तरह माफिया डॉन ब्रजेश सिंह के भतीजे तथा संकलडीह से निर्दलीय विधायक सुच्चील सिंह पर २० मामले इनमें १२हत्या के हैैं। मऊ से कोमी एकता दल के  विधायक मुख्तार अन्सारी पर हत्या के आठ  सहित १५ मामले लम्बित हैं। कर्नाटक के भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री बी.एस.येदुरप्पा, आन्ध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी खनन घोटाले में जेल जा चुके हैं। अयोध्या के विवादित मामले में भाजपा नेता कल्याण सिंह , उमा भारती , मुरली मनोहर  जोच्ची के विरुद्ध वाद लम्बित हैं। वैसे देश में  वर्तमान ४८३५ जनप्रतिनिधियों में से १४४८ के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज हैं तथा १५वीं लोकसभा में ही १६२ सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। ये जनप्रतिनिधि सभी राजनीतिक दलों के हैं
वस्तुतः अब इन अदालती फैसलों के बाद अपने देश में लगभग सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपराधियों के राजनीतिकरण' और राजनीति के अपराधीकरण' के खेले जा रहे खेल पर कुछ कुछ  रोक जरूर लगेगी, जो अपने राजनीतिक फायदों के लिए अपराधियों की केवल सहयोग-सहायता लेते थे ,बल्कि उन्हें अपनी पार्टी का प्रत्याच्ची बनाने से भी  गुरेज नहीं है। इसी तरह सार्वजनिक धन की लूट की लालसा में राजनीति को सेवा के बजाय अपना पेशा बनाने वालों तथा चुनावों में अन्धाधुन्ध खर्च कर हर हाल में चुनाव जीतने की प्रवृत्ति पर भी रोक लगेगी। इसलिए अब देश और लोकतंत्र के हित में हमारी खुदा से यही इल्तजा है कि भ्रष्ट राजनेताओं का जेल जाने का यह सिलसिला यूँ ही  बना रहे है।
सम्पर्क- डॉ.बचन सिंह सिकरवार  ६३ब ,गाँधी नगर ,आगरा-२८२००३

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