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मई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कब सम्मान करना सीखेंगे जनादेश

               डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में त्रिपुरा में हुए विधानसभा चुनाव गत पच्चीस सालों से सत्तारूढ़ वाममोर्चा सरकार की पराजय और फर्श से अर्श पर पहुँची  भाजपा अपनी इस अपार सफलता को पचा नहीं आ रही है। उसकी परिणति  भाजपा समर्थकों द्वारा साम्यवादी नेता ब्लादिमीर इलीइच उल्यानोव लेनिन की प्रतिमा को बंुलडोजर से गिराने के साथ वामपन्थी पार्टी के कार्यालयाों और  उसके समर्थकों के घरों पर हमलों के रूप में सामने आयी है।उसके बाद देश के अलग-अलग भागों में विभिन्न विचारधाराओं के महापुरुषों की मूर्तियों को तोड़े जाने का जो सिलसिला  शुरू हुआ है,वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। वैसे इससे स्पष्ट है कि इन प्रतिमाओं को किसी एक राजनीतिक दल या विचारधारा के लोगों ने नहीं तोड़ा है, बल्कि बदले  की कार्रवाई के तहत उन्होंने भी अपनी से भिन्न/विरोधी विचारधारा के महापुरुष की प्रतिमाओं को तोड़ने में संकोच नहीं दिखाया है। इन मूर्तियों को तोड़ने वालों के इस अनुचित कृत्य की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने निन्दा करते हुए ...

मूर्तियाँ से नहीं, कुनीतियों और कुशासन से लड़े

             डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद रूस के साम्यवादी नेता ब्लादिमीर इलीइच उल्यानोव लेनिन की मूर्ति को बुलडोजर की सहायता से तोड़े जाने पश्चात् देशभर में मूर्तियों के तोड़े जाने का जो सिलसिला चल पड़ा, जिसमें अलग-अलग विचारधाराओं के महापुरुषों की प्रतिमाओं को निशाना बनाया गया है। इससे स्पष्ट है कि इन प्रतिमाओं को किसी एक राजनीतिक दल या विचारधारा के लोगों ने नहीं तोड़ा है, बल्कि बदले  की कार्रवाई के तहत उन्होंने भी अपनी से भिन्न/विरोधी विचारधारा के महापुरुष की प्रतिमाओं को तोड़ने में संकोच नहीं दिखाया है। इन मूर्तियों को तोड़ने वालों के इस अनुचित कृत्य की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने निन्दा करते हुए ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अधिकारियों को कठोर जो आदेश दिये हैं, वह सर्वथा उचित और समसामयिक कदम है। इधर मूर्ति तोड़े जाने की घटनाओं को लेकर विपक्षी दलों ने संसद के दोनांे सदनों को नहीं चलने दिया। खेद की बात यह है कि मूतियों को तोड़ने के इस अनुचित और घृणित कृत्य में स...

कब बन्द करेंगे बाँटने की राजनीतिक?

                  डॉ.बचन सिंह सिकरवार                      हाल में कर्नाटक की काँग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमण्डल  की बैठक में लिंगायत और वीर शैव समुदाय को हिन्दू धर्म से अलग  धर्म की मान्यता देने का  निर्णय लेकर एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि राजनीतिक फायदे के लिए धर्म ,जाति, सम्प्रदाय, भाषा, क्षेत्रवाद आदि का सहारा लेने और लोगों को बाँटने में देश के दूसरे राजनीतिक दलों से वह किसी माने में पीछे नहीं, बल्कि आगे ही है। वह अक्सर अपने प्रबल प्रतिद्वन्द्वी भाजपा पर धर्म की राजनीति करने को आरोप लगाती रहती है, लेकिन अवसर मिलते ही काँग्रेस भी बाजी मारने में पीछे नहीं रहती। अपनी राजनीति के लिए धर्म, जातिवाद, सम्प्रदायवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद के इस्तेमाल से देश की एकता, अखण्डता, सामाजिक समरसता को कितनी क्षति पहुँ,चती है,उससे किसी भी राजनीतिक दल कोई मतलब नहीं है। पिछले लोकसभा के चुनाव से पहले केन्द्र में सत्तारूढ़ संप्रग सरकार ने जैन समुदाय को...

तब न्याय की गुहार गुहार किससे करेंगे?

                              डॉ.बचन सिंह सिकरवार   हाल में सर्वोच्च न्यायालय के  एक निर्णय के विरोध में ‘भारत बन्द‘ के दौरान अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वारा देश के कई राज्यों में जिस तरह बड़े पैमाने पर सुनियोजित और संगठित होकर उग्र हिंसक प्रदर्शन करते हुए अराजकता फैला कर बड़ी संख्या में निजी और सार्वजनिक सम्पति, वाहनों, दुकानों में तोड़फोड़ आगजनी, लूटपाट की, रेलों को रोका ,लाठी-डण्डे के जोर पर बाजार बन्द कराए,, पत्थरबाजी मारपीट,और गोलीबारी की है उसमें करोड़ों रुपए की सम्पत्ति नष्ट होने के साथ-साथ सैकड़ों आम नागरिक तथा पुलिसकर्मी घायल हुए है तथा 12लोगों की जानें गईं है। इनके सिवाय कुछ के प्राण एम्बुलेन्स रोके जाने से भी गए हैं। इनके इन कृत्यों को किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता, बल्कि भले ही उनकी ये माँगे कितनी ही महŸवपूर्ण और अपरिहार्य हों। अगर ऐसे ही शक्ति प्रदर्शन आगजनी, उपद्रवों, हिंसा से न्यायालय के निर्णय बदले जाने लगे, तो फिर कानून के शासन तथा न्यायालयों के कोई मा...

अमरीका के भरोसे खुशफहमी पालना फिजूल

        डॉ.बचन सिंह सिकरवार इस बार नये वर्ष के पहले दिन ही अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पाकिस्तान को धोखेबाज बताते हुए आतंकवाद को खत्म करने को दी जाने वाली जिस सैन्य सहायता को बन्द करने की घोषणा की, उससे भारत को बहुत अधिक उत्साहित होने और इसे अपनी जीत जताने की आवश्यकता नहीं है। कारण यह है कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह निर्णय पाकिस्तान के भारत के विरुद्ध उसके आतंकवादी अभियान चलाने की वजह से नहीं, वरन् पड़ोसी अफगानिस्तान में सक्रिय कई दहशतगर्द गिरोहों को अपने यहाँ पालने-पोसने और पनाह देने को लेकर दी गई, जहाँ वह उनके सफाये को लेकर बड़ी संख्या में सैनिक रखे हुए हैं। फिर अमरीका बगैर स्वार्थ के कभी किसी मुल्क की न आर्थिक मदद करता और न ही सैनिक सहायता ही देता है। अपने हितों को देखते हुए उसे  निर्णय बदलने में देर भी नहीं लगती। पाकिस्तान अब तक अमरीका की बदौलत भारत को हर तरह से हैरान-परेशान करता आया है। अमरीका ने सन् 1965 और सन् 1971 के युद्धों में न केवल पाकिस्तान की खुलकर मदद की, बल्कि उसके रुख के कारण भारत अपनी इन जीतों के बाद भी पाकिस्तान के चुंगल ...

भरमाने-भटकाने की घटिया राजनीति

 डॉ.बचन सिंह सिकरवार    वर्तमान में आगामी लोकसभा के चुनाव को देखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा दलित वोट बैंक को प्रभावित करने को सर्वोच्च न्यायालय के एक मामले में अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम-1989 के सन्दर्भ में दिये निर्णय को लेकर इस वर्ग को भड़काने/उकसाने को जिस तरह हर रोज जैसी बयानबाजी के साथ राजनीति की जा रही है, वह न केवल उनके हितैषी होने का दिखावा मात्र है, बल्कि दलित हितों के विरुद्ध भी है। उनकी यह ओछी राजनीति समाज के लिए विघटनकारी और देश के लिए विनाशकारी भी है। इनकी यह घटिया राजनीति न केवल संसद, विधानसभाओं को अपना  कार्य करने में बाधक बनी हुई है, वरन् न्यायपालिका के निर्णयोें पर सवाल उठा कर उसके प्रति अविश्वास भी पैदा कर रही है। ऐसे नेताओं के अनुचित रवैये की वजह से पहले अनुसूचित वर्ग के लोगों  द्वारा सर्वाेच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध 2 अप्रैल और फिर सवर्ण वर्ग  द्वारा ‘जातिगत आरक्षण हटाओं‘ की माँग को लेकर इसी 10अप्रैल को भारत बन्द किया जा चुका है, जिससे देश को आन्तरिक अशान्ति, अराजकता, आगजनी,  तोड़फोड़, जातिगत...

कब बदलेगा चिकित्सकों का यह रवैया?

                   डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान‘(एम्स)के राजेन्द्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केन्द्र (आरपीसी).के चीफ डॉक्टर के गत 26अप्रैल को मरीजों,तीमारदारों तथा नर्सिंग स्टॉफ के सामने एक रेजीडेट डॉक्टर को थप्पड़ मारने वाले डॉक्टर को निलम्बित किये जाने की माँग को लेकर यहाँ के कोई दो हजार रेजीडेण्ट डॉक्टरों द्वारा जो हड़ताल  की गई,वह दो दिन बाद एम्स प्रशासन के उस थप्पड़ मारने वाले डॉक्टर को पद से हटाये जाने के बाद अब समाप्त हो गई,किन्तु इस तरह की घटनाओं पर चिकित्सकों द्वारा हड़ताल कर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करना   अत्यन्त दुखद है। अपनी माँग मनवाने को लेकर इन डॉक्टरों की हठर्ध्मिता मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही थी। इस क्षुद्र से विवाद को लेकर चिकित्सकों द्वारा इतना बड़ा और मरीजों के लिए प्राणघातक कदम उठाना अमानवीय है इससे जहाँ मरीज असहनीय दर्द से कराह रहे  थी,वहीं कुछ गम्भीर मरीजों की जान पर बन आयी । इनकी इस हड़ताल के कारण एम्स में न तो आउटडोर में मरीज ...

कौन हैं ये जिन्ना के पक्षधर ?

          डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय(ए.एम.यू.)के छात्र संघ के कार्यालय में लगे पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के चित्र को हटाये जाने की माँग और उसे न हटाने की  हठ ,इसके पक्ष और विरोध में कुछ राजनेताओं और मजहबी नेताओं की बयानबाजी से उत्पन्न विवाद अत्यन्त दुखद तथा राष्ट्रीयता की भावना के सर्वथा विपरीत है। वैसे जिन्ना के फोटो को हटाने की माँग को लेकर ‘हिन्दू जागरण मंच‘ ने जिस प्रकार पथराव, गोलीबारी करते हुए उग्र प्रदर्शन किया गया है जिसमें नगर  पुलिस अधीक्षक, उपजिलाधिकारी समेत कई  दो दर्जन से अधिक छात्र घायल हुए हैं, उसे अनुचित, अनावश्यक, असामयिक ही माना जाएगा। इस विवाद के कारण ही पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का छात्र संघ का आजीवन सदस्य बनाने का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा।             वैसे ही जिन्ना के चित्र को लगाये रखने के पक्षधरों की मंशा, विचारों,उसे लगाये रखने के औचित्य को लेकर दिये जा रहे तर्कों से सहमत नहीं हुआ जा सकता। इस सच्चाई की अनदेखी और उपेक्षा नहीं की...