अब योगी आदित्यनाथ का विरोध क्यों ?
डॉ बचन सिंह सिकरवार

यह तब जब योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की शपथ लेते हुए, 'सबका साथ, सबका विकास' की बात कही है। फिर भी उनके मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही प्रदेश के कई जिलों में अल्पसंखयक समुदाय के युवाओं ने सोशल मीडिया पर उन पर अभद्र टिप्पणियाँ कर अपनी भड़ास निकाली,
यह अलग बात है कि इसके लिए अब उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ रही है। ऐसे लोग अब तक बेखौफ होकर हिन्दुओं को गरियाते,
उनके देवी-देवताओं का मजाक बनाते, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जहर उगलते आए थे। उस समय जब कभी किसी ने उनका जवाब देने का दुस्साहस किया, उसे पिटाई से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका)
के तहत जेल जाना पड़ा। तब उनका साथ भाजपा, रा.स्व.सं., हिन्दू महासभा समेत किसी ने नहीं दिया। इनमें से कुछ अब भी जेल में सजा काट रहे हैं। सपा सरकार में कोई त्योहार/उत्सव/आयोजन/यात्रा साम्प्रदायिक तनाव/विवाद/हिंसा के बगैर सम्पन्न नहीं हुआ। भाजपा समेत सभी राजनीतिक दल वोट बैंक राजनीति के कारण चुप्पी साधे रहे। वस्तुतः उत्तर प्रदेश में विभिन्न जातियों और मजहबों के टकराव के जरिए अपनी राजनीति करते आए ज्यादातर नेताओं ने सत्ता पाने का आसान रास्ता बना लिया है। ऐसे ही नेता बगैर लागलपेट के देद्गा और समाज हित में खरी-खरी बात करने और अपने कह पर चलने वाले महन्त योगी आदित्यनाथ को कट्टर हिन्दू और घोर मुस्लिम विरोधी बताते आए हैं, सच्चाई इससे कोसों दूर है। गोरक्षपीठ अब से नहीं सदियों से यह ध्येय वाक्य अंकित है,''हिन्दू ध्यावे देहुरा, मुसलमान मसीत, जोगी ध्यावे परम पद, जहाँ देहुरा न मसीत।''
(योगी मन्दिर - मस्जिद का ध्यान नहीं करता, वह परम पद का ध्यान करता है, सह परम पद क्या है, कहाँ है ? यह परम पद तुम्हारे भीतर है।)
फिर योगी जी ने सांसद रहते हुए सपा शासन के जुल्म सहे हैं, जब वह तीसरी बार भारी बहुमत से सांसद चुने गए थे। उस समय अपनी व्यथा को लेकर उनका लोकसभा में 12मार्च,
2007 को रोते हुए दिया बयान विचारणीय है जब उन्हें गोरखपुर नेपाल सीमा पर आइ.एस.आइ.की गतिविधियों और भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाने पर तत्कालीन सपा सरकार ने जेल में डाल दिया था। वह कोई दूसरों की तरह राजनीति में अपना घर भरने को नहीं आए हैं। वह उनकी तरह केवल बयानवीर नहीं है, बल्कि अपने कहे पर अमल भी करते रहे हैं। अब तक सपा सरकार में कानून को ठेंगा दिखा रहे, हर जाति समुदाय के लोग अब बेहद निराश परेशान हैं, क्योंकि उन्हें भ्रमित या प्रलोभन में फँसाना सम्भव नहीं है। योगी जी का अपना आभा मण्डल है जिसके कारण उन्हें पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश देने की आवद्गयकता नहीं है ये लोग स्वयं ही उचित कदम उठाने को उद्यत होंगे। यही कारण है कि उनके सत्ता सम्हालने से पहले ही अवैध पशु वधशालाओं पर ताले लगने शुरु हो गए। अधिकारियों और कर्मचारियों में उनका अज्ञात भय व्याप्त है जो किसी आम भाजपाई के मुख्यमंत्री बनने से सम्भव नहीं था। इसकी वजह है कि देद्गा के किसी दूसरे भाजपा द्याासित राज्य में भी काँग्रेसी सरकार से इतर शासन नहीं है। वैसे खनन माफिया और दूसरे अवैध धन्धे करने वाले भी दूसरा काम धन्धा ढूँढ़ने या दूसरे राज्य को पलायन पर विचार कर रहे हैं।
योगी आदित्य नाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी और विपक्षी दलों के जातिवादी नेता बहुत आतंकित हैं, उन्हें अपनी राजनीति खत्म होती नजर आ रही है, क्योंकि वह उन्हीं की जातियों के वोट लेकर पूर्वांचल में कमल खिलाने में कामयाब जो हुए है। ऐसे में उन्हीं की पार्टी के नेता बहुत मायूस है जो अपनी जातियों की नेतागिरी के चलते मुख्यमंत्री बनाने के सपने देख रहे थे, वहीं विपक्षी दलों के नेता अपने बयानों से यह जता रहे हैं कि उनके मुख्यमंत्री बनाने इस राज्य में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने के साथ साथ यह हर तरह से बर्बाद हो जाएगा। उनमें इस राज्य का शासन चलाने की क्षमता नहीं है। ऐसे में इतने बड़े और अनेक समस्याओं से ग्रस्त प्रदेश का मुखिया बनाया जाना सचमुच आशचर्यजनक है। फिर जो पार्टी चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें स्टार प्रचारक बनाने में भी संकोच करती हो, उससे इस घोर जातिवादी और साम्प्रदायिक राजनीति से घिरे राज्य को सुधारने का दायित्व सौंपे जाने की उम्मीद करना ही फिजूल था। इसके सिवाय इस राज्य के भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों ने यह मान लिया था कि अब इस राज्य में सत्ता की बागडोर सिर्फ और सिर्फ पिछड़ा या दलित वर्ग से सम्बन्धित नेता ही सम्हालेगा और इनके अलावा किसी वर्ग के व्यक्ति की कोई गुजांइद्गा नहीं है। इस विचार को पुष्ट करने में भाजपा के पिछड़े वर्ग के नेता भी शामिल रहे हैं। इतना ही नहीं, इस पार्टी की कथनी और करनी में बहुत ज्यादा मेल नहीं है। वह हिन्दुत्व समेत अन्य अनेक मुददे उठाती तो रही है, पर अमल के मामले में उसका रिकॉर्ड बहुत खराब है। यह पार्टी देश के दूसरे राजनीतिक दलों से सबसे अलग होने का दावा बहुत बढ़-चढ़ कर करती आयी है, किन्तु नीति-सिद्धान्त आचरण में सत्ता में आने और बने रहने के लिए वह सब कुछ करती आयी है, जिसके लिए दूसरी सियासी पार्टियों पर यह आरोप लगाती आयी है। अब योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे अधिक प्रसन्नता भाजपा के उन समर्थकों को हुई है, जो इस पार्टी के काँग्रेस की कार्बन कापी बनने से दुःखी है। लेकिन किसी और विकल्प के अभाव में भाजपा को अपना मत देते आए हैं। योगी जी ने पाँच बार सांसद हुए अपने क्षेत्र में जिस लगन और बिना भेदभाव के जिस तरह कार्य किये हैं, उससे उनकी समाज में जो विश्वसनीयता है वैसी दूसरों के लिए दुर्लभ है। ये हिन्दू समाज में व्याप्त जातिगत विषमताओं को दूर करने के लिए सतत् प्रयासरत रहे, उसकी बदौलत वह अपने क्षेत्र में हिन्दू समाज को संगठित करने में सफल रहे हैं। अपनी गोरक्षा पीठ के माध्यम से भी योगी जी कोई चालीस शिक्षण संस्थाओं और चिकित्सालय का सफल संचालन करते आए हैं उससे उनकी प्रबन्ध क्षमता ही प्रदर्शित होती है। अब तक कार्य करने की शैली, निर्भीक होकर सच बोलने और निर्णय लेने की क्षमता जानते है। इस कारण उनकी योगी जी से बहुत अपेक्षाएँ भी है। अन्तः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बधाई के पात्र है जिन्होंने तमाम शंका आशंकाओं के बाद भी योगी आदित्यनाथ को इस राज्य की बागडोर सौंपी, जिससे होकर केन्द्र की सत्ता का मार्ग प्रशस्त होता है।
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