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भेदभाव से जन्मा एक नया अफ्रीकी देश अजावद

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार पश्चिम अफ्रीकी देश ‘ माली गणराज्य ' में गत दिनों उत्तरी भाग में तुआरेग नस्ल के आतंकवादियों की जातीय हिंसा को रोक पाने में सरकार की शिथिलता और विफलता से   हुआ सैन्य विद्रोह   मुल्क के विभाजन में तब्दील हो गया। इस सैन्य विद्रोह का फायदा उठाकर तुआरेग नस्ल के लोगों के लड़ाकों ने अपने साथ भेदभाव की आड़ लेकर ‘ अजावद ' नाम से स्वतंत्र नये मुल्क का ऐलान कर दिया है। अब उसे दुनिया विशेष रूप पड़ोसी अफ्रीकी देशों द्वारा मान्यता दिये जाने की दरकार है इसके बिना उनके घोषित द्वारा इस नवोदित स्वतंत्र ‘ अजावद ' नामक   मुल्क का दुनिया की राजनीति में कोई वजूद नहीं है। गत २१मार्च को माली के उत्तरी इलाके में लम्बे समय से चली आ रही तुआरेग आतंकवादियों की जातीय हिंसा रोक पाने में उदासीनता बरतने से उत्पन्न असन्तोष और आक्रोश से विद्रोही बने सैनिकों ने गुरुवार , २२मार्च   को सरकार को अपदस्थ कर राष्ट्रपति आवास पर कब्जा कर लिया , लेकिन राष्ट्रपति अमादोउ तोउमानी तुरे के अज्ञात स्थान पर चले जाने से वह उनके हाथ नहीं आये। हालाँकि अप्रैल माह मे...

कभी तो रंग लाएगी तिब्बतियों की आजादी की यह तड़प?

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                                    डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में नयी दिल्ली में आयोजित पाँच देशों के ‘ ब्रिक्स ' ( ब्राजील , रूस , भारत , चीन , द.अफ्रीका) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने आने वाले चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ के आगमन के विरोध में तिब्बतियों के विभिन्न संगठनों ने हर बार की तरह पुरजोर विरोध किया , जिसमें गत २६ मार्च को ‘ यूथ तिब्बतियन काँग्रेस ' के सदस्य जामयांग येशी ने दोपहर १२.२० बजे अपने ऊपर तेल उड़ेल कर आग लगा ली , जिनकी बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी , निश्चय ही अपनी माँग और   विरोध के इस तरीके को शायद ही कोई सही मानेगा। लेकिन हकीकत यह है कि फिर एक अत्यन्त शक्तिशाली विरोधी/शत्रु से मुकाबला करें तो कैसे ?   वैसे तिब्बत की आजादी को लेकर दिल्ली में आत्मदाह की यह तीसरी घटना है। इससे पहले सन्‌ १९९४ में एक युवक ने भी आत्मदाह किया था। अपने देश क...