क्या सिर्फ मुसलमान ही असुरक्षित हैं?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
देश के लोगों को यह समझ नहीं रहा है कि आखिर  उपराष्ट्रपति हमीद अन्सारी ने अपने दूसरे कार्यकाल पूरा कर अपनी विदाई से महज एक दिन पहले ऐसा क्या देख लिया, जो उन्हें यह कहने को मजबूर होना पड़ा कि देश में मुसलमान  खुद को असुरक्षित अनुभव कर रहे हैं?
 अगर वाकई ऐसा है तो वह यह भी बतायें कि मौजूदा केन्द्र और राज्य सरकारों के शासन में कौन सुरक्षित  है? क्या हिन्दू समेत दूसरे मजहब को मानने वाले क्या अपने सुरक्षित अनुभव कर रहे हैं? क्या मौजूदा केन्द्र और राज्य सरकारों की नीतियों से किसान,श्रमिक,व्यापारी,आम आदमी त्रस्त्र और परेशान नहीं है?सालों साल से न्याय पाने की आस लगाये लोग भी निराश हैं,जिन्होंने काँग्रेस, सपा, बसपा आदि के भ्रष्ट, अन्यायी,तुष्टिकरण,अकुशल शासन से दुखी होकर नई व्यवस्था की उम्मीद में सत्ता बदली थी। अगर कोई खुश है तो भ्रष्ट नेता,नौकरशाह, सरकारी कर्मचारी, कुछ औद्योगिक घराने। कर्ज और भूख से हजारों की संख्या में किसान आत्म हत्या कर चुके हैं,लेकिन इन सरकारों को उनकी असल समस्याओं का पता नहीं। इसका श्री अन्सारी जी ने उल्लेख क्यों नहीं किया?
 लोगों को उनके इस बयान से यह अचम्भा हो रहा है कि उन्हें अपने इतने लम्बे कार्यकाल में ऐसा पहले कभी ऐसा अनुभव/बोध/इल्म क्यों नहीं हुआ? वे सालों साल इस्लामिक मुल्कों में राजनयिक का दायित्व निभाने से लेकर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ,अलीगढ़ विश्वविद्यालय से लेकर दो बार उपराष्ट्रपति पद पर भी आसीन रहे हैं,उस दौरान अपने मुल्क के विभिन्न राज्यों में साम्प्रदायिक दंगें हुए जिनमें बड़ी संख्या में हिन्दू और मुसलमान मारे तथा घायल हुए,पर कभी उन्होंने मुसलमानों के हिफाजत को लेकर अपनी फिक्र नहीं जतायी। ऐसे में लोगों को  सत्ता से विदाई पर उनका अपने हममजहबियों को  लेकर चिन्ता जताने पर हैरानी होना स्वाभाविक है। यही कारण है कि सिवाय इस्लामिक कट्टरपन्थियों और कथित सेक्यूलरों को छोड़कर ज्यादातर लोगों ने उनके कथन से असहमति ही नहीं, बल्कि निन्दा,नाराजगी जताने के साथ -साथ आलोचना भी की है। कुछ लोगों का विचार है कि यदि उन्हें राष्ट्रपति या कोई दूसरा पद दे दिया जाता,तो सम्भवतः उन्हें सबकुछ वैसा ही दिखायी देता,जैसा जिन्दगी भर देखते हुए सत्ता सुख भोगते आए हैं।
वैसे क्या श्री अन्सारी इस हकीकत से वाकिफ नहीं कि अपने मुल्क में ही नहीं, दुनियाभर के लोग आज किस मजहब के लोगों से सबसे ज्यादा खौफजदा है? वे कौन लोग हैं,जो दूसरे मजहब के लोगों को उनके त्योहार मनाने में तरह-तरह की बाधाएँ ही खड़ी नहीं करते,वरन् उनकी जान लेने से भी नहीं चूकते, लेकिन अपने मजहब से जुड़ी किसी भी परम्परा में बाधा आने पर कुछ भी कर गुजरने पर उतारू हो जाते हैं। इस साल भी जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के समय आधा दर्जन श्रद्धालुओं को मार डाला। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार किस मजहब के त्योहार मनाने पर रोक लगाती हैं? वहाँ किस मजहब के लोगों को किस मजहब के लोग सता रहे हैं? देश में ऐसे किस मजहब के लोग हैं ,जो पाकिस्तान की जीत पर जश्न तथा हिन्दुस्तान की पर मातम मनाते हैं? जम्मू-कश्मीर में किस मजहब के लोगों के कारण कश्मीर पण्डित कोई ढाई दशक से खानाबदोश सरीखी जिन्दगी बसर करने को मजबूर बने हुए हैं?लेकिन श्री अंसारी समेत उनके हममजहबी और सेक्यूलर नेताओं ने उन्हें लेकर अपनी चिन्ता नहीं जतायी। वे किस मजहब के लोग थे जिन्होंने म्यानमार में रोग्या मुस्लिमों के उत्पीड़न का बदला लेने को मुम्बई के आजाद मैदान में तिरंगा का अपमान करते हुए दहशतगर्दी की और पूर्वोत्तर के युवाओं को दक्षिण भारत के राज्यों से अपना काम-धन्धा छोड़ कर अपने घरों को जाने को मजबूर होना पड़ा। वे कौन से मजहब के लोग है जो रेलगाड़ियों ,बस,सार्वजानिक स्थानों पर बम फोड़ते रहते हैं। वे कौन से मजहब के लोगों है जो अपने मजहब की दुहाई देकर भारत माता की जय बोलने से लेकर राष्ट्रगीत गाने से इन्कार करते हैं, लेकिन उनमें से कुछ पाकिस्तान जिन्दाबाद,हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे समेत पाकिस्तानी और खूंखार इस्लामिक दहशतगर्दों के संगठनआई.एस.का झण्डे फहराने में फक्र महसूस करते हैं। ये लोग बेखौफ होकर सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकते है,पर उन पर किसी तरह की जवाबी कार्रवाई में जुल्म नजर आने लगता है।  श्री अन्सारी बतायेंगे ऐसी आजादी दुनिया के किसी मुल्क में उनके हममजहबियों को हासिल है? यह सच है कि  कुछ अतिउत्साही कथित गौ रक्षकों को छोड़ दें,जिन्होंने  गोहत्या करने या शक में  कुछ मुसलमानों की जान ली है,जिसका शायद ही किसी हिन्दू ने सही ठहराया हो,पर क्या यह भी सच नहीं है कि कई गौ हत्यारों, या गौ तस्करों ने  गौ रक्षा करने पर कुछ  पुलिसकर्मियों समेत हिन्दुओं को बेरहमी से मारा है। तमाम बन्दिशों के बाद गौ हत्याओं का सिलासिला जारी बना हुआ है। वैसे श्री अन्सारी ने अपनी सियासत का दायरा बढ़ाने को दलित और ईसाइयों के असुरक्षित होने की बात भी कही है। इनके साथ  मौजूदा शासन में ऐसा कुछ नहीं हुआ है जो ये डरे हुए हो। वैसे दलितों की भीमसेना से अपनी राजनीतिक पैठ बनाने को जो कहर बरपाया था,उसे सभी जानते है।
   इनके अलावा अपने देश में लाल गलियारा वाले नौ-दस राज्यों के लोग नक्सलवादियों की हिंसा से भयग्रस्त हैं। केरल में वामपन्थी सरकार के रहते उसके कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, भाजपा, काँग्रेस, मुस्लिम लीग से जुड़े लोगों की जान ले रहे हैं, पर श्री अंसारी जैसे सेक्यूलरों की जुबान बन्द है। पश्चिमी  .प्र.के कई जिलों में हिन्दू किस मजहब के लोगों से पलायन को विवश है, यह श्री अंसारी जी नहीं जानते हों,ऐसा हो नहीं सकता। त्रिपुरा, असम समेत पूर्वात्तर राज्य के बाशिन्दें वापसी विवादों के कारण एक-दूसरे से डरे हुए हैं।
 
          ऐसे में उपराष्ट्रपति अन्सारी के विदाई समारोह में उनके इस आरोप का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपरोक्ष रूप में दिया यह  प्रत्युत्तर उचित प्रतीत होता है। जिसमें उन्होंने कहा  कि आपका अधिकतर समय पश्चिम एशिया केन्द्रित रहा। इस कारण एक ही प्रकार के वातावरण, विचारधारा तथा लोगों से जुड़े रहे। फिर सेवानिवृत्ति के बाद भी .एम.यू.तथा अल्पसंख्यक आयोग में रहे। आपका ज्यादातर कार्य एक दायरे तक सीमित रहा, लेकिन पिछले दस साल में आपने अलग तरह की जिम्मेदारी का निर्वहन किया। इस दौरान कई बार आपके मन में संघर्ष की स्थिति आयी होगी। अब आपको इस उधेड़बुन का सामना नहीं करना पड़ेगा। अब आप आजाद महसूस करेंगे। आपको अपनी विचारधारा के अनुसार कार्य करने ,सोचने तथा बोलने की आजादी होगी। उनका आशय है कि अब वे अपने हममजहबियों की सेवा करने को आजाद हैं।
वस्तुतः श्री अन्सारी समेत इस्लामिक कट्टरपन्थियों के इस कथन में इस माने में सच्चाई है कि उनके हममजहबी खुद को महफूज नहीं समझ रहे हैं? इसकी वजह है कि अब केन्द्र और ज्यादातर राज्यों में अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण की नीति पर चलने वाली सियासी पार्टियाँ सत्ता से बाहर हैं। केन्द्र की राजग सरकार और राज्यों की भाजपा सरकार तटस्थ होकर काम कर रही हैं। इधर देश के सर्वोच्च न्यायालय सहित विभिन्न न्यायालयों में तीन तलाक समेत संविधान के अनुच्छेद 35 और 370 पर दायर याचिकाओं पर सरकारें उनकी मदद नहीं कर रही हैं। इण्टरनेट पर देश विरोधी,प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री विरोधी, फिर धर्म विरोधी टिप्पणियाँ करने पर सरकार कार्रवाई करने लगी है।  इससे उनका कट्टरपन्थी मजहबी संस्थाओं, अपनी बेजा हरकतों और तरह-तरह की मनमानी करने कर दूसरे धर्म के लोगों को सता पाने  और जम्मू-कश्मीर में उनके एकछत्र राज को खतरा पैदा हो गया। इस दौरान हुर्रियत के अलगाववादी नेताओं को विदेशों से मिलने वाले धन की जाँच,उनके द्वारा पत्थरबाजों को उकसाने और धन देने का खुलासा और गिरफ्तारी से उनके कश्मीर की तथाकथित आजादी की मुहिम को भारी धक्का लगा है। साथ ही सुरक्षा बलों के हाथों बड़ी संख्या में आतंकवादियों के मारे जाने से ये लोग बहुत हताश-निराश हैं। इन्हें जम्मू-कश्मीर में अब दारुल इस्लाम की हुकूमत कायम होने का ख्वाब टूटता नजर आने लगा। देश में भी इण्डियन मुजाहिदीन, सिम्मी,आई.एस.के सदस्यों को ढूँढ़ कर मारा जा रहा है। हिन्दुस्तान की फौज पाकिस्तान के आका चीन से भीड़ती दिखायी दे रही है।ऐसे में श्री अन्सारी और उन जैसी विचारों वालों को हममजहबियों को असुरक्षित महसूस होना बेजा नहीं है।

 सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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