भ्रष्टाचार की कोई कौम नहीं होती
डॉ.बचन सिंह सिकरवार
पिछले दिनों ‘जयपुर साहित्य सम्मेलन'(जे.एल.एफ.) में समाजशास्त्राी आशीष नन्दी के इस कथन से कि ज्यादातर भ्रष्ट लोग पिछड़ी और दलित जातियों से आते हैं और अब जनजातियों से भी आने लगे हैं'। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ’’वहाँ भ्रष्टाचार सबसे कम इसलिए है, क्योंकि वहाँ पिछले १०० साल में दलित और पिछड़ों को सत्ता के नजदीक आने का मौका ही नहीं मिला है।'' उनके इस बयान पर राजनीति दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। इसके साथ ही विभिन्न टी.वी.चैनलों के एंकरों ने उनकी बिरादरी के नेताओं को बुला-बुला कर और समाचार पत्रों ने उनके बयानों का छाप कर देश में बवण्डर खड़ा कर दिया। राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पटना आदि में एससी- एसटी एक्ट के अन्तर्गत मामले दर्ज करा दिये गए। बाद में उन्होंने अपने कहे पर खेद जताया और यहाँ तक सफाई दी कि इनके भ्रष्टाचार से सामाजिक बराबरी बढ़ रही है। बाद में आशीष नन्दी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर जैसे-तैसे मुकदमों से अपना पिण्ड छुड़ाया।
हालाँकि इन पंक्तियों के लेखक को अशीष नन्दी के पूरे वक्तव्य को सुनने और न उनके कथित शोध पत्र को पढ़ने का मौका ही मिला है। इसका उसे अफसोस भी है। उसे भ्रष्टाचार की जरिए आर्थिक समता का उनका विचार भी नहीं जँचा। लेकिन वह इतना जरूर जानता है कि देश में भ्रष्टाचार को पुष्पित और पल्लवित करने में अगड़े-पिछड़े ,अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, आदिवासियों-वनवासियों ,सभी मजहब के लोगों का ही नहीं, महिलों का भी भरपूर योगदान रहा है, जिन्होंने इस देश के प्राकृतिक संसाधनों यथा जल, जंगल, जमीन, खदानों जनता की धन को लूटने में कोई कमी नहीं छोड़ी है।
अपने देश में भ्रष्टाचार का उद्भव और विकास का एक लम्बा इतिहास है। फिलहाल, हम देश के आजादी के बाद से इसकी शुरुआत मान कर चलते हैं, वही भी कम नहीं है। इनमें प्रमुख ‘जीप काण्ड' में तत्कालीन रक्षामंत्री वी.के.कृष्णामेनन पर जीप खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगा और फिर ‘मूदड़ा काण्ड' में तत्कालीन वित्तमंत्री पर। इसके बाद ‘नागरवाला प्रकरण' ,’बोफोर्स तोप काण्ड' ६४करोड़ रुपए की दलाली का आरोप तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी से जुड़े लोगों पर लगा। इसके पश्चात् यूरिया काण्ड, शेयर काण्ड, चीनी घोटाला हुए। भ्रष्टाचार के इन मामलों में से शायद ही कोइ अनुसूचित जाति का नेता या नौकरशाह रहा हो। राष्ट्रमण्डल खेल घोटाले में देश को ९०करोड़ का चूना लगा। इसके लिए जिम्मेदार सुरेश कलमाडी जेल जा चुके हैं। इसी मामले में शंगल समिति ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। कोयल ब्लाक आबण्टन घोटाले में भी कई मंत्रिायों का हाथ रहा है। अब अतिविशिष्ट व्यक्तियों के लिए हेलीकोप्टर खरीद के ३६००करोड़ के सौदे में ३६२ करोड़ दलाली के आरोप पूर्व वायुसेनाध्यक्ष एसपी त्यागी के रिश्तेदारों पर आरोप लग रहे हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री ललितनारायण मिश्र तथा बाद में उनके अनुज और मुख्यमंत्री जगननाथ मिश्र पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे। इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर का भी इनसे बुरा हाल रहा।उनके शासन के विरुद्ध जे.पी.आन्दोलन हुआ। बाद में ‘भूरा बाल साफ करो' दूसरे शब्दों में भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण,लाला(कायस्थ)को भ्रष्टाचार और शोषण के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए,’माय'यानी मुसलमान-यादव' गठजोड़ के सहारे मुख्यमंत्राी बने लालू प्रसाद यादव ने करोड़ रुपया का पशुओं का चारा डकार कर एक अनोखा कीर्तिमान बनाया और जेल काटी। ये ही लालू प्रसाद यादव कभी अब्दुल गफूर के भ्रष्ट शासन के खिलाफ आन्दोलन करते थे। पिछड़ों के मसीहा और धरती पुत्रा उ.प्र.के कई बार मुख्यमंत्राी रहे मुलायम सिंह यादव और दलित की बेटी उन्हीं की तरह मुख्यमंत्राी रहीं मायावती पर आय से अधिक सम्पत्ति के मामले न्यायालयों में विचाराधीन हैं। कुछ लोग उन्हें कुशल राजनेता कहते नहीं थकते ,लेकिन उनके मंत्रिामण्डल के कई सहयोगी विभिन्न घोटालों में जेल काट रहे हैं तो कुछ जेल जाने की राह में है।इनमें अगड़े-पिछड़े सभी वर्गों के हैं। ‘श्रम निर्माण संघ प्रा.लिमिटेड (लैकफेड) घोटाले में पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र और चन्द्रदेव राम यादव प्रमुख है। ‘राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन'(एनआरएचएम)घोटाले में दो प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों की हत्या हो चुकी है और कई अधिकारी इसकी चपेट में हैं। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्वमंत्राी रामअचल राजभर पर आय से अधिक सम्पति के मामले में लोकायुक्त शिकंजा कसा हुआ। मायावती सरकार के पशुपालन मंत्री अवधपाल सिंह यादव पर कई तरह के भ्रष्टाचार के मामलों के साथ उनपर तथा उनके दो भाइयों पर ग्राम सभा की जमीन कब्जे के आरोप लगे हैं।
म.प्र.के मुख्यमंत्राी अर्जुन सिंह पर ‘चुरहट लाटरी काण्ड',केन्द्रीय संचार मंत्री पण्डित सुखराम के करोड़ रुपए के बण्डल मिले ,जिनके बारे में वे कुछ भी न बता पाये कि इतने सारे रुपए कहाँ से आये? बाद में भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए। हाल में राष्ट्रमण्डल खेल घोटाले में सुरेश कलमाडी जेल में रह आये हैं।
तमिलनाडु में ब्राह्मणवाद विरोधी द्रविड से बने द्रविड मुनेत्रा कषघम (डीएमके) के मुख्यमंत्राी रहे एम.करुणानिधि और इसी के विभाजन से बनी ‘अन्ना द्रमुक मुनेत्रा कषघम(एडीएमके) की वर्तमान मुख्यमंत्राी जयललिता पर आय से अधिक सम्पत्ति बनाने के आरोप लगते रहे हैं। जयललिता तो करोड़ों रुपए के अनगित गहने ,साड़ियाँ ,चप्पलें इकट्ठी करने पर जग हँसाई भी झेल चुकी हैं। ‘टू-जी स्पेक्टे्रम घोटाले में केन्द्रीय संचार मंत्राी ए.राजा और उनकी चचेरी बहन और सांसद कनीमोरी में जेल रह आयी हैं जो द्रमुक प्रमुख एम.करुणानिधि के भतीजे और उनकी बेटी हैं। उनके क्लेगनार टी.वी.को रिश्वत में दी २००करोड़ की राशि जब्त की जा चुकी है। पिछड़े वर्ग के हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्राी ओमप्रकाश चौटाला और उनके विधायक बेटे अजय चौटाला वर्तमान में शिक्षक भर्ती घोटाले में तिहाड़ जेल में हैं।
बिहार से आदिवासी-वनवासी बहुल प्रदेश झारखण्ड इनके विकास नाम पर गठित कराया गया था, लेकिन इसके नेतागण अपने ही विकास में जुट गए। तभी तो झारखण्ड की माँग को लेकर बने ‘झारखण्ड मुक्ति मोर्चा' के ही नेता शिबू सोरन प्रधानमंत्राी पी.वी.नरसिंह राव को समर्थन के बदले रिश्वत में करोड़ रुपए लेने पर जेल काट चुके हैं। उनके बाद जनजाति के ही मुख्यमंत्राी मधु कोड़ा ने तो भ्रष्टाचार से धन कमाने के सारे रिकार्ड ही ध्वस्त कर दिये। उन्होंने जनता से लूटे धन को देश -विदेश में कहाँ-कहाँ जमा या लगा रखा है उसकी शायद ही उन्हें पूरी जानकारी हो। अरुणाचल के अनुसूचित जनजाति से सम्बन्धित मुख्यमंत्राी रहे गंगोग अपांग भ्रष्टाचार के आरोप में जेल काट रहे हैं।
देश व्यापी ‘हवाला काण्ड' में अनुचित रूप से चन्दा के रूप में मोटी रकम लेने में ज्यादातर राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता आरोपी रह चुके हैं। यह अलग बात है कि कानूनी दाँव पेच के कारण ये नेता जेल जाने बच गए थे। पार्टी विद डिफरेन्स दूसरे शब्दों में दूसरे से भिन्न ‘भारतीय जनता पार्टी' के अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण एक स्टिंग ऑपरेशन में सिर्फ एक लाख रुपए लेते हुए पकड़े गए और जेल गए। इसी आरोप में भाजपा के ही नेता दिलीप सिंह जूदेव भी पकड़े गए। हाल में भाजपा के कर्नाटक के मुख्यमंत्राी वी.एस.येदुरप्पा को खनन प्रकरण में अपने गद्दी गंवानी पड़ी है। इसी खनन घोटाले में आन्ध्र प्रदेश के नेता जनार्दन रेड्डी बन्धु फँसे हुए हैं। ‘तहलका काण्ड' में ही जया जेतली भी चक्कर आ गयी थीं। जनता के धन की लूट में बगैर किसी भेदभाव के नौकरशाह और दूसरे कर्मचारी लगे हुए हैं। उ.प्र.में आइएएस अधिकारी नीरा यादव,अखण्ड प्रताप सिंह काफी चर्चा में रहे हैं कुछ अब जेल जाने की तैयारी में हैं। म.प्र.के आइएएस जोशी दम्पती भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में है।इस राज्य में कई छोटे-बड़े अधिकारी और कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार के जरिए सम्पत्ति बनाने के रिकार्ड बनाये हैं।
विडम्बना यह है कि जहाँ पिछड़ी जातियों की दबंगई के कारण लोग इनके नेताओं के आचरण पर कुछ भी कहने से डरते हैं,वहीं अनुसूचित जाति या महिला होने पर वे उल्टे आरोप लगाने वालों को यह कहते हुए दोषी ठहराने से नहीं चूकते कि वे यह जाति विद्वेष या लिंग भेद की वजह से लगा रहे हैं। उन्हें उनकी प्र्रगति देखी नहीं जा रही हैं। जाति वोट बैंक कारण कोई राजनीतिक दल सही बात कहने को आगे नहीं आता है। वैसे इस इन पंक्तियों का लेखक की हैसियत आशीष नन्दी जैसे कथित ख्यति प्राप्त विद्वान को सीख देने की नहीं है। वैसे वह इतना तो जनता है कि भ्रष्टाचार कोई और नहीं सत्ता सिखाती हैं जाति नहीं। फिर लोकतंत्रा में नेता कोई स्थायी राजा तो होता नहीं,इसलिए सत्ता में आते ही वह अनिश्चित भविष्य को देखते हुए जल्दी-जल्दी बहुत कुछ लूट लेना चाहता है। इन नेताओं ,नौकरशाहों ,कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की मार सबसे ज्यादा गरीब तबके के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग और सभी वर्गों के गरीबों को ही झेलनी पड़ती है।
बहरहाल, आशीष नन्दी ने निश्चय ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जाति के लोगों पर भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार बता कर दुःसाहस दिखाया है। इसके लिए उनकी निन्दा-आलोचना की जाए या कुछ और कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
सम्पर्क- डॉ.बचन सिंह सिकरवार ६३ब,गाँधी नगर,आगरा-२८२००३ मो.न.९४११६८४०५४
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