आगरा के अख़बार
डॉक्टर बचन सिंह सिकरवार
आगरा सदियों से कवियों, साहित्यकारों, इतिहासकारों की कर्मस्थली तो रहा ही है ,यहाँ की पत्रकारिता का इतिहास भी कोई पौने दो सौ साल पुराना और अत्यन्त समृद्ध रहा है। इस नगर से हर तरह के अनेक पत्र-पत्रिाकाएँ निकलती रहीं हैं। मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर ने अपनी जीवनी ‘तुजुके बाबरी' में तत्कालीन घटनाओंं के साथ-साथ यहाँ के बारे में काफी लिखा है। उसके बाद कई इतिहासकारों ने आगरा की घटनाओं को अपनी पुस्तकों में दर्ज किया है। वैसे भी मुगल शासन में राज्य की घटनाओं का ब्यौरा लिखे जाने के मुकम्मल इंतजाम थे। जहाँ तक जनता के लोगों द्वारा आगरा के समाचार पत्र-पत्रिकाएँ निकाले जाने का प्रश्न है तो अब तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार यहाँ से पहले पहल सन् १८३२ में फारसी भाषा में ‘आगरा अखबार' प्रकाशित हुआ, जिसके सम्पादक डॉक्टर जॉन एण्डसन थे। इन्हीं ने यही अखबार सन् १८३३ में अँग्रेजी भाषा में भी निकाला। इसी वर्ष साण्डर्स ने अँग्रेजी में ‘ मफसलाईट अखबार' प्रकाशित किया। सन् १८३३ में ही फारसी में ही ‘जुबाद्दत-ए-इबारत' या ‘जब्तदुल अखबार' निकाला गया,जिसके मुंशी वाजिद अली खाँ सम्पादक थे। फिर १८३७ में उर्दू में सी.सी. फनैन के सम्पादकत्व में ‘सदरूल अखबार' प्रकाशित हुआ। इसके बाद सन १८३८ में ग्रीनवे एण्ड कम्पनी ने अँग्रेजी में ‘आगरा जर्नल' निकाला। फिर सन् १८३९ में मासन ने अँग्रेजी में ‘आगरा मैसेंजर' प्रकाशित हुआ। इसी वर्ष एक जातीय पत्र ‘कायस्थ उपकारक'(मासिक) प्रकाशित होने का उल्लेख मिलता है। फिर सन् १८४६में आगरा कॉलेज के मिस्टर फिक ने ‘सदर उल अखबार' (मासिक) निकाला। लेकिन उसमें कुछ ऐसी सामग्री छप गई ,जिससे अँग्रेज शासक उससे नाराज हो गए। इस कारण मिस्टर फिक को सम्पादक पद से इस्तीफा देना पड़ा। सन् १८४७ में मौलवी कमरूद्दीन ने उर्दू में ‘असदूल अखबार' तथा शेख खादिम अली ने उर्दू में ‘ मतलुअल अखबार' निकाला। फिर सन् १८४९ में उर्दू में मोतीलाल और मिस्टर फैलन ने ‘ अखबारूलहकायक', हकीम जवाहरलाल ने ‘नुजहूतूल अरवाह' और अखबारूलनवाह',’मतबाउल अखबार' प्रकाशित हुए। इसी दौरान सिकन्दरा में क्रिश्चयन मिशन प्रेस की स्थापना हुई। यहाँ से अनेक पत्रिाकाएँ प्रकाशित हुईं। इनमें अँग्रेजी का ‘मोफुस्सिलिते अखबार' मासिक का प्रकाशन उल्लेखनीय है, जिसके सम्पादक पैटर्सन सेण्डर्स थे। बाद में यही अखबार लाहौर से ‘सिविल एण्ड मिलिट्री गजट' के नाम से प्रकाशित हुआ। तत्पश्चात सन् १८५० में अँग्रेजी में ‘लेडीज मिसलेनी' निकला।
फिर आगरा से ही सन् १८५२ में ‘बुद्धि प्रकाश 'हिन्दी भाषा में साप्ताहिक पत्र निकला। यह अखबार मुंशी सदासुख लाल के सम्पादकत्व में निकाला। यह पत्र पत्रकारिता साथ-साथ भाषा तथा शैली की दृष्टि से भी विशिष्ट था। यह पत्र अत्यन्त लोकप्रिय भी हुआ। इस पत्र में इतिहास, भूगोल, गणित ,शिक्षा आदि विषयों पर रोचक लेख होते थे। इसकी भाषा की प्रशंसा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने भी की है इस पत्र की २०० प्रतियाँ सरकार खरीद लेती थी।
सन् १८५२ में उर्दू में ईश्वरी प्रसाद ने ‘गवर्नमेण्ट गजट' में प्रकाशित किया ,जो १८५९ में इलाहाबाद स्थानान्तरित हो गया। सन् १८५२ में ही उर्दू में ‘कुतुबुल अखबार' तथा सम्पादक सदासुखलाल ने ‘नूरूल अखबार' निकाला । इसकी प्रतियाँ सरकार क्रय करती थी। फिर सन् १८५३ में अमजद अली ने उर्दू में ‘जुबेदतुल अखबार' प्रकाशित किया। इसी बीच सन् १८५५ में राजा लक्ष्मण सिंह ‘प्रजा हितैषी' हिन्दी पाक्षिक पत्र भी निकाला। यह पत्र सन् १८५७ में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बन्द हो गया और १८६१ में पुनः प्रकाशित होने लगा। राजा साहब के योग्य निर्देशन और संरक्षण में इस पत्र की भाषा में बहुत सुधार हुआ। सन् १८५५ में ही ‘सर्वहितकारक' हिन्दी-उर्दू मासिक निकला, जिसके सम्पादक शिवनारायण थे। सन् १८५६ में उर्दू में ‘तफीहीउल नाजरीन' सम्पादक मिर्जा अली हुसैन,’सफीर आगरा ' सम्पादक नवल किशोर, ‘मुआल्लिमुल इमला'(सरकारी पत्रिका), सैय्यद हसन अली ने ‘मुअदानिल क्वालीन' , लाला मुकन्दलाल या शिव नारायण ने ‘मुफीद-उल- खलाइक' निकाले। इस पत्र के दो भाग कर दिये गए। उर्दू का नाम तो ‘मुफीद-उल-खलाइक'ही रहा और हिन्दी का ‘सर्वोपकारक'रख गया। बाद में १८६५ में यह पत्र स्वतंत्र हो गया। सन् १८५७ में हिन्दी में ‘सदाचार मार्तण्ड' प्रकाशित हुआ। बताया जाता है कि सन् १८६१ में आगरा से आठ पत्र प्रकाशित हुआ करते थे। ये थे-’नूर-उल-अखबार',’बुद्धि प्रकाश' , ‘मुफीद-उल-अखलाख' ,हिन्दी-उर्दू में शिवनारायण के सम्पादकत्व में ‘भगवान-ए-हिन्दू', ‘अखबार-ए-हैदरी' ,’अखबार-ए-हुसैन' ,’मिर्जा अली हुसैन हैदरी तथा सैय्यद अली के सम्पादकत्व में निकले। सन् १८६१ में सिकन्दरा से ‘ज्ञान दीपक' निकला।
सन् १८६२ में यहाँ से गणेशी लाल के सम्पादकत्व में ‘सूरज प्रकाश' निकला,जिसका उर्दू भाग ‘आफताबे -आलमताव' हुआ करता था। १८६१ में ‘ज्ञान प्रकाश' प्रकाशित हुआ,जो परम्परावादी धार्मिक पत्र था।१८६२ में ‘ज्ञानदीप' हिन्दी एक पत्र प्रकाशित हुए। इसके अलावा ठाकुर हरनाथ सिंह ने एक जातीय पत्र ‘क्षत्रिय हितोपदेशक' भी निकला। आगरा से सन् १८६३ में ‘महिला' मासिक में निकला। ईसाई धर्मप्रचारकों ने अपने धर्म प्रचार में पत्रकारिता और भारतीय भाषाओं की सहायता ली। आगरा में इन्होंने सिकन्दरा से १जनवरी, १८६३ को हिन्दी में ‘लोकमत' मासिक पत्र निकाला, इसमें अधिकतर बाइबिल का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित होता था। सन्१८६४ में ‘भारत खण्डामृत' मासिक अध्यापक पण्डित वंशीधर ने निकाला।
यहाँ से सन् १८६७ में ‘धर्म प्रकाश' हिन्दी-संस्कृत में पत्र निकला ,इसे सनातन धर्मसभा निकालती थी। इसके साथ ही १८६७ में ‘सर्वजनोपकारक हिन्दी पत्र प्रकाशित हुआ, जिसके सम्पादक पण्डित पूर्णचन्द्र थे। सन् १८६७ में ‘सनाढ्योपरोपकारक' का प्रकाशन शुरू हुआ। ‘सज्जन विनोद'(१८६८) प्रकाशित हुए। सन् १८६९ में हिन्दी में तीन पत्र ‘जगत् समाचार', ‘जगदानन्द' सम्पादक-ठाकुर सिंह और हिन्दी-उर्दू में ‘पाप मोचन'(सम्पादक कृष्ण चन्द ) निकले। ‘जगत् समाचार' हर सोमवार दारुल-उल-उलूम प्रेस में छपता था। फिर जाटव राम ने ‘बाल गोविन्द'(१८७१) निकला।
सन् १८७२ में रायबहादुर सालिगराम ने ‘प्रेम पत्र'पाक्षिक पत्र निकला ,जिसके सम्पादक प्रख्यात विद्वान पण्डित रूद्र दत्त थे। फिर ‘मर्यादा परिपाटी' मासिक(१८७३) ,सद्धभामिमृत' जो वार्षिकी(१८७५) में निकले। आगरा से ‘एजूकेशनल गजट' उर्दू-हिन्दी में युसूफअली और अमीरउद्दीन के सम्पादकत्व में प्रकाशित हुआ,जिसकी हिन्दी में केवल ५० प्रतियाँ छपती थीं और वार्षिक मूल्य ६ रुपए था।
तत्पश्चात सन् १८८० में उर्दू में ‘नसीम -ए-आगरा' ,’तेरहवीं सदी',’हयात-ए-जवादगी',हिन्दी में त्रैमासिक ‘भारतीय विलास'(१८८१) तथा अँग्रेजी में’ देहली गजट' निकले थे। इनमें से कुछ अखबारों का प्रकाशन विभिन्न कारणों से बन्द हो गया ,जो कुछ समय बाद में पुनःनिकले। सन् १८८८ में ‘खत्री हितकारी',१८८९ में नारायण प्रसाद ने ‘कायस्थ उपकारक ' पत्र प्रकाशित किया, जो चित्रगुप्त प्रेस में छपता था। यहाँ से ही १८८९ में लाला किशनलाल ‘अग्रवाल उपकारक' मासिक तथा बाबू कन्हैयालाल सिंह ने ‘जाट समाचार' (विद्या विकास प्रेस) से निकाले। (१८८९), ‘अद्भुत शतक' मासिक (१८८९), 'परोपकारी' मासिक (१८९०),’ सत्य धर्ममित्र ' मासिक (१८९०),’ प्रिय हितकारक'(१८९०),‘प्रेम पत्र राधास्वामी '(१८९३), ‘सज्जन विनोद' मासिक सम्पादक - पं.कृष्ण लाल शर्मा ( १८९४), ‘चतुर्वेदी' मासिक १८९४ ,’कायस्थ हितकारी ' १८९५,में प्रकाशित हुए।
इसी दौरान अँग्रेजी साप्ताहिक पत्र ‘द पीपुल्स हैराल्ड' प्रकाशित हुआ। सन् १८९८ में कुँवर हनुमन्त सिंह रघुवंशी हिन्दी में जातीय ‘राजपूत' पाक्षिक निकाला, जो कुछ समय तक साप्ताहिक और बाद में मासिक हो गया। इसके सम्पादक कुँवर हनुमन्त सिंह रघुवंशी के निधन के बाद उनके बेटे शक्ति सिंह रघुवंशी सम्पादक बने। उनके स्वर्गवासी होने पर राजेन्द्र रघुवंशी सम्पादक रहे। यह पत्र १९५० तक निकला प्रकाशित होता रहा। यद्यपि ‘राजपूत ' जातीय पत्र था, तथापि उसमें सभी विषयों पर लेख ,अग्रलेख, टिप्पणियाँ प्रकाशित होती रहती थीं। इस कारण यह अन्य जातियों के लोगों में काफी लोकप्रिय था। उस समय ‘राजपूत' की १८०० से अधिक प्रतियाँ छपा करती थीं।
सन् १९०० के करीब आर्य समाज का पत्र ‘आर्य मित्र' साप्ताहिक आगरा से प्रकाशित होने लगा, जो पहले किसी और जगह से निकला करता था। इस पत्र के प्रकाशन से आगरा जनपद की पत्रकारिता में एक नये उत्साह का संचार हुआ। इसके सम्पादक श्री रूद्र दत्त और श्री लक्ष्मी शंकर बाजपेयी रहे। तत्कालीन ‘आर्य मित्र' में प्रकाशित लेखों का चयन बड़ी सर्तकता से किया जाता था। बाद में आर्य प्रतिनिधि सभा लखनऊ इसे प्रकाशित करने लगी। इस पत्र का १२-१३ साल तक आगरा में प्रख्यात कवि पण्डित हरिशंकर शर्मा ने सम्पादन किया। शर्मा जी के प्रमुख सहयोगी आचार्य क्षेम चन्द्र ‘सुमन' थे। ‘आर्य मित्र' के सम्पादन कार्य में श्री बनारसी दास चतुर्वेदी ,डॉ.सत्येन्द्र आदि का भी काफी योगदान रहा।
सन् १९०५ में आगरा में लोकप्रिय उर्दू पत्र ‘आगरा अखबार' और ‘नसीम-ए-आगरा के साथ-साथ ‘सूरमा-ए-रोजगार', ‘मुफईद-ए-आम' ,’पॉकिट अखबार' , ‘अल अजीज' प्रकाशित हुआ करते थे। ये सभी अखबार साप्ताहिक थे और उनमें शहर और आसपास के समाचार छपा करते थे।
इस बीच पत्रकारिता में एक महत्त्वपूर्ण बात यह दिखायी दी कि धार्मिक व जातीय पत्र बड़ी संख्या में पढ़े जाते थे। ये पत्र थे ‘हमदर्द-ए-इस्लाम' (उर्दू) जो मुसलमानों में ,’आर्य मित्र'हिन्दुओं में, ‘राजपूत' ठाकुरों में, ’कायस्थ हितकारी (उर्दू) कायस्थों में, सनाढ्य महामण्डल द्वारा प्रकाशित’सनाढ्योपकारक'(हीरालाल प्रकाशन) तथा ‘सारस्वत समाचार' सनाढ्य और सारस्वत ब्राह्मणों में बेहद लोकप्रिय थे।
सन् १९०८ में कुँवर हनुमन्त सिंह रघुवंशी ने ही ‘स्वदेश बांधव' नाम से एक मासिक पत्र निकाला। इसमें साहित्यिक ,सामाजिक, राजनैतिक विषयों पर लेख, टिप्पणियाँ, अनुवाद आदि छपा करते थे। उस पत्र का अखिल भारतीय स्वरूप था। इसमें देश के प्रसिद्ध लेखकों की रचनाएँ छपा करती थीं। यह पत्र सन् १९२२ तक प्रकाशित होता रहा।
सन् १९०४ में कुँवर हनुमन्त सिंह रघुवंशी ने ‘कृषि जमींदार हितकारी' मासिक पत्र प्रकाशित किया। इसमें कृषि सम्बन्धी लेख, नवीनतम कृषि अनुसन्धान, उर्वरकों और उन्नत बीजों की जानकारी ,नये कृषि उपकरणों के उपयोग के बारे में सामग्री छपा करती थीं। इस पत्र का मुख्य उद्देश्य खेती की उन्नति था। पत्र के कुछ अंक ही निकल पाये। बाद में इसका प्रकाशन बन्द हो गया।
उन दिनों आगरा में ही उर्दू में ‘आर्य मुसाफिर' नामक पत्र निकला। पण्डित भोजदत्त उसके सम्पादक थे। उस समय महापण्डित राहुल सांकृत्यायन आगरा में ही पढ़ते थे। वे अपने मूल नाम केदार पाण्डे के नाम से ‘आर्य मुसाफिर' में लेख लिखा करते थे।
सन् १९१० से १९३० के मध्य आगरा में हिन्दी समाचार पत्रों की बाढ़-सी आ गयी।सन् १८१५ में जीवाराम पालीवाल ने ‘पालीवाल ब्रह्मोदय' निकाला। सन् १९१६ में ‘शिक्षा पत्रिाका', श्याम सुन्दर गुप्त के सम्पादकत्व में ‘माथुर वैश्य हितकारी ' पत्रिका, सन् १८१८ में पदम सिंह जैन के सम्पादकत्व में ‘जैन पथ प्रदर्शक' का प्रकाशन हुआ। सन् १९२१ में श्री गोपेश्वर मेहरा और श्री हजारी लाल जैन द्वारा सम्पादित पत्र ‘पंच' निकला।सन् १९२२ में प्रसिद्ध क्रान्तिकारी
राधा मोहन गोकुल जी ने यहाँ से दैनिक ‘नवयुग' प्रकाशित किया। यह अत्यन्त उग्र विचारों का पत्र था।
फिर १९२५ में कानपुर से आकर श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल ने आगरा में हिन्दी साप्ताहिक ‘सैनिक' का प्रकाशन किया। प्रवेशांक अग्रलेख का शीर्षक था- ‘सैनिक लड़ाई के मैदान' । ‘सैनिक' के सम्पादक श्रीकृष्णदत्त पालीवाल कट्टर राष्ट्रवादी और प्रखर विचार वाले नेता थे। यही कारण है कि यह पत्र राष्ट्रीय आन्दोलन में राष्ट्रवादी विचारों का वाहक बनकर लोगों के सामने आया। उसकी सामग्री ने जनजीवन को आन्दोलित किया। यह पत्र कई श्रेष्ठ पत्रकारों की पाठशाला भी रहा, जिनमें श्री हीरानन्द सच्चिदानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय', श्रीराम शर्मा, परिपूर्णानन्द वर्मा, महेन्द्र जी, गणपति चन्द केला, कालीचरन पाण्डेय,जीवाराम पालीवाल , उल्फत सिंह चौहान ‘निर्भय' ,देवेन्द्र शर्मा ,शान्ति प्रसाद पाठक, ओम प्रकाश लवानिया, सुरेन्द्र भारद्वाज, ज्योति स्वरूप सिंह ,गोपाल नारायन शिरोमणि, विद्याशंकर शर्मा, प्रणवीर चौहान ,रमेश वर्मा, परमेश्वरी लाल, सूर्य वर्मा, सुभाषी जी, रामदयाल गुप्ता, रमाशंकर शर्मा आदि प्रमुख हैं। साप्ताहिक ‘सैनिक' ही बाद में दैनिक पत्र के रूप में निकला। सन् १९२५ में ‘श्वेताम्बर जैन' साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन शुरू हुआ।
सन् १९३० में आगरा की हिन्दी पत्रकारिता में साहित्यिक पत्र-पत्रिाकाओं का प्रकाशन आरम्भ हुआ। पण्डित हरिशंकर शर्मा के सम्पादन में साप्ताहिक ‘प्रभाकर' निकला। इसमें हास्य-व्यंग्य के लेखों के साथ-साथ कई दूसरे विषयों पर सामग्री छपा करती थी। श्री शर्मा को साप्ताहिक ‘प्रभाकर' तथा मासिक ‘निराला' से काफी ख्याति मिली। सन् १९३४ में श्री महेन्द्र जी जैन हस्तलिखित पर ‘सिंहनाद' और ‘आगरा पंच' निकला। ‘आगरा पंच' काफी लोकप्रिय साबित हुआ। नगर और जनपद के समाचारों का जितना अच्छा प्रस्तुतीकरण इस पत्र में होता था उतना किसी दूसरे पत्र में नहीं हो पाता था।
सन् १९३७ में अँग्रेजी साप्ताहिक ‘सिटीजन' श्री टॉमस स्मिथ तथा मिर्जा हबीब ने निकला,जो छिल्ली ईंट मार्ग स्थित कोरोनेशन प्रेस में छपता था। उसके बाद सन् १९३८ महेन्द्र जी ने हिन्दी में आलोचनात्मक पत्र ‘साहित्य सन्देश' प्रकाशित किया, जो साहित्य के क्षेत्र में अत्यन्त उत्कृष्ट समझा जाता था। सन् १९२८ में ही हास्य पत्रिाका ‘नोक झोंक' का प्रकाशन हुआ। इसके श्री केदारनाथ भट्ट और श्री राम प्रकाश पण्डित सम्पादक रहे। फिर सन् १९३९ में मासिक ‘मराल' और मासिक ‘साधना' निकले। पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य ने ‘अखण्ड ज्योति' का प्रकाशन आरम्भ किया।सन् १९३९ में ‘सैनिक' दैनिक के रूप में निकलना शुरू हुआ, जो इस क्षेत्र में प्रथम दैनिक समाचार पत्र था। सन् १९३९ में आगरा में ‘पालीवाल संदेश' का प्रकाशन हुआ।इसी वर्र्ष रोशन लाल गुप्त करुणेश ने साप्ताहिक ‘आशा' का प्रकाशन प्रारम्भ किया।
तत्पश्चात सन् १९४० में श्री गणपति चन्द केला ने दैनिक ‘उजाला' निकाला। इस बीच श्री कालीचरण पाण्डेय ने ‘दैनिक सन्देश' का प्रकाशन किया। प्रसार के मामले में यह ‘सैनिक' के बाद दूसरा पत्र था। ‘दैनिक संदेश' में प्रसिद्ध साहित्यकार रांघेय राघव ,राजेन्द्र रघुवंशी ,श्रीमती सवित्री नागर अवैतनिक सहयोग दिया करते थे,क्यों कि इसकी नीति थोड़ी प्रगतिशील और साम्यवादी विचारधारा से परिपूर्ण हुआ करती थी। डॉक्टर कुलदीप भी काफी समय तक इससे जुड़े रहे। कवि श्री मलखान सिंह सिसौदिया की कविता छापने के कारण यह पत्र सरकारी कोप का शिकार हो गया और उसने इसका प्रकाशन बन्द करा दिया। इस दौरान ही जमुना किनारा स्थित शंकर प्रेस में ‘दैनिक ताजातार' भी छपा करता था। सन् १९४५ में बसन्त पंचमी को पण्डित हरिशंकर शर्मा के सम्पादकत्व में ‘कर्मयोग' निकला।
सन् १९४७ में साप्ताहिक ‘निराला' प्रकाशित हुआ , इस पत्र के सम्पादक मण्डल में श्री बनारसी दास चतुर्वेदी ,पण्डित श्रीराम शर्मा , श्री केदारनाथ भट्ट ,पण्डित हरिशंकर शर्मा थे। सन् १९४७ में इसे मासिक पत्र का रूप दिया गया। मासिक ‘निराला' बेहद लोकप्रिय सिद्ध हुआ। इसमें प्रकाशित लेख, तीखी टिप्पणियाँ, ‘चाय चक्रम' शीर्षक से व्यंग्यपूर्ण सामाजिक चर्चा लोग चाव से पढ़ते थे। पत्र की लोकप्रियता का पता इस बात से लगता है कि अनेक विद्वान सम्पादकों द्वारा सम्पादित पत्रों में उसके लेख उद्धृत किये गए।
सन् १९४१ से १९४६ तक श्री टॉमस स्मिथ ने अँग्रेजी मासिक ‘द ग्लोब' प्रकाशित किया। १८ अप्रैल ,१९४८ में डोरीलाल अग्रवाल ने अपने कई सहयोगियों के साथ दैनिक ‘अमर उजाला' का प्रकाशन आरम्भ किया। इसी वर्ष सितम्बर माह में डॉक्टर कुलदीप के सम्पादन में मासिक ‘पराग' निकला। इसके बाद सन् १९४९ में शैलिन दत्त ने अँग्रेजी साप्ताहिक ‘आगरा टाइम्स' प्रकाशित किया, जिसे बाद में पाक्षिक रूप में श्री बी.बी.माथुर, श्री टॉमस स्मिथ, श्री ओ.पी.शर्मा ने निकला।
सन् १९५१ में मदिया कटरा से अँग्रेजी पत्र ‘सिटीजन' का प्रकाशन आरम्भ हुआ। इसके सम्पादक श्री विश्वनाथ गोयल थे। इन्हीं के यहाँ से जो पहले साप्ताहिक, बाद में दैनिक ‘मतवाला' सांध्य संस्करण निकला , जिसके सम्पादक प्रणवीर चौहान थे। इसी वर्ष श्री प्रेमदत्त पालीवाल ने ‘युवक' मासिक निकाला। इसके सम्पादक शुरू में प्रेमदत्त पालीवाल और डॉ.कुलदीप रहे। इसके बाद वर्षों तक प्रणवीर चौहान ने इसका सम्पादन किया। सन् १९५२ में श्री गुलाम रसूल ने उर्दू में ‘अहसास' नामक पत्र निकाला। इसी वर्ष ग्वालियर मध्य प्रदेश से प्रकाशित दैनिक ‘नव प्रभात' का आगरा में प्रकाशन शुरू हुआ, जिसके सम्पादक देवी प्रसाद शर्मा’दिव्य' थे। इसके प्रमुख सहयोगी सुभाषी जी तथा आनन्द शर्मा थे।
सन् १९५६ में विनोद पुस्तक मन्दिर आगरा ने डॉक्टर राम विलास शर्मा द्वारा सम्पादित साहित्यिक पत्रिाका ‘समालोचक' निकाली। सन् १९५६ में ‘भूचाल' और ‘भूकम्प' नाम से दो साप्ताहिक निकलने शुरू हुए। उसके बाद सन् १९५७ में ‘न्यू विस्फोटक' साप्ताहिक निकला। सन् १९५९ में में ‘नवलोक टाइम्स' सम्पादक श्री फूल सिंह शर्मा ‘नीरव', ’देहाती' सम्पादक सियाराम फौजदार, ‘युग का चमत्कार' सम्पादक जगदीश युवक, ’देशरत्न' सम्पादक हरिशंकर वार्ष्णेय, ‘खेल समाचार' ‘श्वेताम्बर जैन' नामक पत्र प्रकाशित होने लगे।
इसी वर्ष श्रीचन्द गुप्ता द्वारा ‘गुलदस्ता' प्रकाशित हुआ, जो दो साल बाद बन्द हो गया। सन् १९६० में विज्ञान की मासिक पत्रिाका ‘विज्ञान लोक' का प्रकाशन आगरा से हुआ, जिसके सम्पादक श्री शंकर मेहरा थे। यह पत्रिाका विज्ञान के विद्यार्थियों और अध्यापकों में काफी लोकप्रिय हुई। इसी प्रकाशन ने कहानी मासिक ‘नीहारिका' निकाली। यह पत्रिाका भी बड़ी संख्या में देश भर में पढ़ी जाने लगी। वर्त्तमान में ये दोनों पत्रिाकाएँ नहीं निकल रही हैं।
१८ अक्टूबर ,१९६८ में श्री राम भरोसी लाल राठौर द्वारा सम्पादित दैनिक ‘आज की आवाज' निकला। यह अखबार कुछ ही दिनों में काफी लोकप्रिय हो गया। लेकिन आर्थिक कारणों से जल्दी हो ही बन्द हो गया। इसी साल काली चरन शर्मा ने सांध्य दैनिक ‘ताज टाइम्स' का प्रकाशन शुरू किया।
सनसनी खेज अखबार दैनिक ‘आज का हंगामा' गौरीशंकर अग्रवाल ने निकाला ,यह भी अपनी खबरों की वजह से हमेशा ही विवादास्पद बना रहा । आगरा में कुछ ही दिनों बाद इटावा से छपने वाले दैनिक ‘देशधर्म' ने अपना आगरा संस्करण शुरू किया। श्री श्याम माहेश्वरी ने १९७३ में फिर १९७८ में ‘लोकमार्ग' निकाला ,लेकिन आर्थिक दिक्कतों से प्रकाशन बन्द करना पड़ा। सन् १९७४ में पाक्षिक’सिनेमिका' का प्रकाशन शुरू हुआ। सन् १९७५ में साप्ताहिक ‘पे्रस भारती' निकला।
सन् १९७७ में महेन्द्र जैन के सम्पादन में ‘प्रतियोगिता दर्पण'मासिक तथा ओम प्रकाश मेहरोत्रा ,मधुमोद के.रायजादा के सम्पादन में ‘देशमंच '(साप्ताहिक)का छपना शुरू हुआ। सन् १९७८ में स्वामी रवीन्द्र भारती ने सा.’रजनीश प्रेम'का प्रकाशन शुरू किया। अक्टूबर,१९७८को रामसिंह द्वारा राजेन्द्र फौजदार के सम्पादकत्व में ‘जाट समाज' मासिक का न्यू आगरा से प्रकाशन प्रारम्भ किया। सन् १९७८ में ग्वालियर ,मध्यप्रदेश के दैनिक ‘स्वदेश' का कुछ पृष्ठ आगरा से प्रकाशित होने लगे। इस दौरान वाराणसी के दैनिक ‘आज' समाचार पत्र का आगरा में कार्यालय स्थापित हुआ। इस बीच साप्ताहिक ‘जनमंच' ,’खोज' ‘पेडलर टाइम्स' ,साप्ताहिक समीक्षा भारती ' आदि अनेक पत्र भी निकले। सन् १९८१ में सांध्य दैनिक ‘विकासशील भारत' का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। इसी वर्ष अलीगढ़ से प्रकाशित दैनिक ‘जनता युग' का आगरा संस्करण भी निकलने लगा। सन् १९८५ में ‘प्रतियोगिता विकास' का प्रकाशन हुआ। नवम्बर,१९८६ में कानपुर से प्रकाशित ‘दैनिक जागरण' का आगरा संस्करण छपने लगा। इसके बाद जनवरी,१९८७ में दैनिक ‘आज' भी यहाँ प्रकाशित होने लगा। इस बीच ‘आगरा साप्ताहिक' का प्रकाशन भी हुआ ,जिसके सम्पादक कविवर राजेश दीक्षित ,डॉ.कुलदीप ,डॉ.प्रणवीर चौहान रहे। सन् १९९० में स्वामी रवीन्द्र भारती के सम्पादन में दैनिक ‘ताज गौरव' का प्रकाशन शुरू किया। ३० अक्टूबर ,१९९० को अनिल गर्ग ने कर विषयक पाक्षिक पत्र ‘करयोजना' का प्रकाशन प्रारम्भ किया। सन् १९९१ में दैनिक ‘कुमुद टाइम्स' निकला। १८ फरवरी, १९९२ में शुजात उल्लाह खान के सम्पादन में साप्ताहिक पत्र ‘एहराम टाइम्स' निकला ,बाद में फरहत खान ‘डिसूजा' इसके सम्पादक बने। २२ फरवरी,१९९२ को अनिल अग्रवाल के सम्पादन में दैनिक ‘दाता सन्देश' छपने लगा। सन् १९९४ में साप्ताहिक रोजगार संग्रह' का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। फरवरी,१९९५ से रेखा सिंह सिकरवार के सम्पादकत्व में गाँधी नगर से साप्ताहिक ‘अनुगूँज' तथा पाक्षिक ‘राष्ट्रवन्दना' का प्रकाशन आरम्भ हुआ। अक्टूबर,१९९५ में मासिक ‘क्रिश्चयन ऐरा' का छपना शुरू हुआ। सन् १९९७ में मुकेश जैन द्वारा ब्रज खण्डेलवाल के सम्पादन में अँग्रेजी साप्ताहिक ‘न्यूज प्रेस' का प्रकशन किया। सन् २००० में साप्ताहिक ‘अभिमत एशिया' तथा मासिक ‘अग्र पताका' का प्रकाशन शुरू हुआ। ८ दिसम्बर,२००३ में सतीश यादव के सम्पादन में साप्ताहिक ‘ताज सत्ता' का प्रकाशन अहीरपाड़ा से शुरू हुआ। २००६ मोहर सिंह धाकड़ ने दैनिक’ विमलधारा' निकाला। ११ जुलाई ,२००६ से दिल्ली से प्रकाशित दैनिक ‘हिन्दुस्तान' ने अपना आगरा संस्करण प्रकाशित करना आरम्भ किया। २३ मार्च,२००७ को अजय अग्रवाल ने दोपहर को प्रकाशित होने वाले ‘डीएलए' दैनिक के प्रकाशन की शुरुआत की।
९ अगस्त,२००७ से अजय अग्रवाल ने ही अँग्रेजी भाषा में ‘डीएलए ए.एम.'दैनिक पत्र निकाला। १२ जुलाई, २००७ को दैनिक ‘हिन्दुस्तान' का आगरा संस्करण जो अभी तक गुड़गाँव में छपता था वह आगरा में ही छपने लगा। २३ सितम्बर,२००७ को दैनिक ‘आकिंचन भारत' का प्रकाशन शुरू हुआ। २६ नवम्बर ,२००७ को जागरण पत्र समूह ने आगरा में अपने लघु आकार के प्रातःकालीन हिंग्रेजी समाचार पत्र ‘आई नेक्स्ट' के स्थानीय संस्करण का प्रकाशन शुरू किया। ३० नवम्बर,२००७ दैनिक अमर उजाला को प्रकाशित करने वाले ‘अमर उजाला पब्लिकेशन्स' ने आगरा में हिंग्रेजी में अपना प्रातःकालीन लघु आकार का हिंग्रेजी समाचार पत्र’अमर उजाला काम्पेक्ट' का छपना शुरू किया। १४ सितम्बर,२००८ को साप्ताहिक पत्र ‘जगता शहर' का प्रकाशन का शुरू हुआ।इसी वर्ष दैनिक ‘अग्रभारत', मासिक ‘आर.एस.न्यूज' तथा साप्ताहिक’ न्याय दृष्टि' भी निकला। सन् २००९ में सुरेशचन्द्र गर्ग ने दैनिक ‘सच का उजाला' छपना प्रारम्भ किया। २५जून ,२०११ को दिल्ली के दैनिक ‘अमर भारती' ने आगरा में अपने संस्करण का लोकापर्ण किया। आगरा की पत्रकारिता को इस मुकाम तक पहुँचाने में अनेक पत्रकारों का योग रहा है। इनमें से कई पत्रकारों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने में सफल रहे हैं।
६३ब,गाँधी नगर,आगरा।
सन्दर्भ-
१.पत्रकारिता सन्दर्भ ज्ञानकोश -याकूब अली,
पृष्ठ-७३,७४,९०,९१,९२,९३,९५,९६,१०४,१०५
२.पत्रकारिता सिद्धान्त-डॉ.रमेश चन्द्र त्रिपाठी पृष्ठ ४९,५०,५१
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