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नवंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

और कितनों को बेनकाब करेगा ‘मुझे भी‘(मी टू) ?

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 डॉ.बचन सिंह सिकरवार     वर्तमान में देश मंे ‘मैं भी‘(मी टू)मंच के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत यौन शोषण से पीड़ित महिलाओं द्वारा अपनी व्यथा-कथा बयान  करने की जैसी लोमहर्षक, निर्लज्ज, घिन्नौनी घटनाएँ हर रोज समाचार पत्र, ट.ीवी. चैनलों पर प्रकाशित, प्रसारित, प्रचारित हो रही हैं, उन्हें पढ़-सुन, देखकर यह हैरानी हो रही है कि जब इतनी मशहूर और सशक्त हस्तियाँ अपने साथ हुए दुर्व्यवहार, यौन शोषण के विरुद्ध अपना मुँह बन्द करने को विवश थीं, तो उन आम महिलाओं को क्या कुछ नहीं सहना-झेलना पड़ता होगा, जो अपना तथा अपने परिजनों को दो वक्त की रोटी कमाने को नौकरी करने और उसे हर हाल में बचाने को मजबूर हैं। वैसे जहाँ तक भी फिल्मी तथा ग्लैमर की दुनिया और अन्य क्षेत्रों में अभिनेत्रियों तथा दूसरी महिलाओं के यौन शोषण की बात है तो इन क्षेत्रों में यौन शोषण के मामले नये नहीं हैं। फिर  भी कथित कैरियर संवारने या जीविका कमाने के लिए युवतियाँ फिल्मों टेलीविजन, पत्रकारिता, राजनीति में काम करने को प्रतिस्पर्द्धा करती आयी हैं। इनमें से  कुछ को अपनी सुख-सुविधाओं, अधिकाधिक धन,उच...

घुसपैठ करने से ऐसे बाज नहीं आएगा चीन

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार  चीन के दो हैलीकॉप्टरों  के गत 27 सितम्बर माह में वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर लद्दाख के ट्रिंग हाइट्स  में घुसपैठ करने का समाचार अब प्रसारित किया गया है।  चीन की इस हरकत पर  शायद ही किसी भारतीय को हैरानी हुई होगी, क्यों कि ये चीनी सैनिक, हैलीकॉप्टर/विमान भारत की सीमा में बार-बार घुसपैठ  भूलवश या अनजाने में नहीं करते, बल्कि अपनी सीमा विस्तारक/भूमि हड़प नीति के तहत करते आए हैं। लद्दाख का टिंªग हाइट्स क्षेत्र सामरिक दृष्टि अत्यन्त महŸवपूर्ण है। इस इलाके के दौलतबेग ओल्डी एयरफील्ड है जिसमें चीनी सैनिक बार-बार घुसपैठ करते आये हैं। यह सही है कि चीन सैनिक या हैलीकॉप्टर वहाँ रुकते नहीं हैं या फिर भारतीय सैनिकों के प्रतिरोध के बाद वापस अपनी सीमा में चले जाते हैं, किन्तु भारत को यह भी सोचना होगा कि चीन कोई भी कदम बिना किसी मकसद के नहीं उठाता। उसके पीछे चीन के तरह-तरह के इरादे होते हैं। फिर भी हर बार की तरह ही भारत का उसकी घुसपैठ पर शान्त बने रहने या सामान्य विरोध करना समझ में नहीं आता है? केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में...

प्रतिमाओं को लेकर फिर राजनीति

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 फीट की विश्व की सबसे ऊँची और भव्य प्रतिमा (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) बनवाकर उसकी स्थापना करने पर काँग्रेस समेत विपक्ष यह सवाल कर रहा है कि उसने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की इतनी विशाल प्रतिमा क्यों नहीं बनवायी ? ऐसा करके  भाजपा के सरदार पटेल जैसे स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों तथा नायकों की विरासत को ‘हाइजैक‘ करने का, जो आरोप वह लगा रहा है, उसमें कुछ सब कुछ गलत नहीं है उसमें बहुत कुछ सच्चाई भी है। वैसे सरदार पटेल की प्रतिमा के बहाने अब अचानक  काँग्रेस समेत देश की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के दिलों में अचानक महात्मा गाँधी के लिए हमदर्दी उठना फिजूल नहीं है। इनमें सबसे ज्यादा तकलीफ काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से लेकर उनके कई छोटे-बड़े नेताओं को भी है। इनके इस असली दर्द की वजह इससे आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा की चुनावी बढ़त के रूप में देखना है। वैसे यह सच है कि सरदार पटेल का देश की आजादी की लड़ाई और उसके स्वतंत्र होने के बाद साढ़े पाँच सौ से अधिक राज्यों को भारतीय संघ में सम्मिलित कर...

किस काम का है ऐसा विकास ?

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                          डॉ.बचन सिंह सिकरवार  इस बार दीपावली के अवसर पर देश की राजधानी दिल्ली समेत कई दूसरे नगरों में जानलेवा स्तर तक पहुँचे वायु प्रदूषण ने एक बार फिर ऐसे कथित अन्धाधुन्ध विकास पर विचार करने को विवश कर दिया है जो अब मनुष्य की मौत का कारण बन रहा है। अगर इस धरती पर मनुष्य ही नहीं रहेगा तो वह ऐसा विकास किस के लिए कर रहा है? इस ज्वलन्त प्रश्न पर विचार करना अब आवश्यक ही नहीं, अपरिहार्य बन गया है। दीपावली के दूसरे दिन दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित नगर तो कोलकाता दूसरे एवं पाकिस्तान का लाहौर तीसरे तथा बांग्लादेश की राजधानी ढाका चौथे स्थान पर रही है। दिल्ली में वायु प्रदूषण को दीपावली पर लोगों द्वारा की गई आतिशबाजी ने और बढ़ा दिया, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने आतिशबाजी का समय निर्धारित किया था, ताकि लोग कम से कम आतिशबाजी करें, लेकिन उसके निर्देशों का उल्लंघन किया गया, जिसके कारण पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों के खिलाफ चालान भी किये हैं। इससे पहले भवन निर्माण तथा पुराने वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर रोक ल...

फिर बेनकाब हुई कश्मीर की सियासत

                          डॉ.बचन सिंह सिकरवार जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा विधानसभा के भंग किये जाने के निर्णय  और भाजपा नेता राम माधव के पाकिस्तान के इशारे पर परस्पर घोर विरोधी राजनीतिक पार्टियों के मिलकर राज्य में महागठबन्धन सरकार के गठन के आरोप के प्रत्युत्तर में पूर्व मुख्यमंत्री द्वय महबूबा मुफ्ती तथा उमर अब्दुल्ला का राज्यपाल पर केन्द्र सरकार के कहने पर चलने के आरोप के साथ-साथ राम माधव को अपना आरोप को साबित करने की चुनौती या माफी माँगने को भी कह रहे हैं, सम्भव है कि इन दोनों के सभी के ये आरोप सच हांे, लेकिन राज्य में भाजपा समर्थित सरकार के गठित होता  देख  चिर राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता /मतभेद /कटुता/बैर-भाव /दुश्मनी को भुलाकर एकाएक एकजुट होने को भी कोई साफ-सुथरी राजनीति नहीं कहा जा सकता, जिसकी अब ये सभी दुहाई दे रहे हैं। जब भाजपा ने अपनी धुर विरोधी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पी.डी.पी.) की असलियत जानते हुए भी राज्य में साझा सरकार बनायी थी, तब काँग्रेस समेत नेशनल कॉन्फ्रेंस(ने.कॉ.)न...

फिर बेनकाब हुई कश्मीर की सियासत

  डॉ.बचन सिंह सिकरवार जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा विधानसभा के भंग किये जाने के निर्णय  और भाजपा नेता राम माधव के पाकिस्तान के इशारे पर परस्पर घोर विरोधी राजनीतिक पार्टियों के मिलकर राज्य में महागठबन्धन सरकार के गठन के आरोप के प्रत्युत्तर में पूर्व मुख्यमंत्री द्वय महबूबा मुफ्ती तथा उमर अब्दुल्ला का राज्यपाल पर केन्द्र सरकार के कहने पर चलने के आरोप के साथ-साथ राम माधव को अपना आरोप को साबित करने की चुनौती या माफी माँगने को भी कह रहे हैं, सम्भव है कि इन दोनों के सभी के ये आरोप सच हांे, लेकिन राज्य में भाजपा समर्थित सरकार के गठित होता  देख  चिर राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता /मतभेद /कटुता/बैर-भाव /दुश्मनी को भुलाकर एकाएक एकजुट होने को भी कोई साफ-सुथरी राजनीति नहीं कहा जा सकता, जिसकी अब ये सभी दुहाई दे रहे हैं। जब भाजपा ने अपनी धुर विरोधी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पी.डी.पी.) की असलियत जानते हुए भी राज्य में साझा सरकार बनायी थी, तब काँग्रेस समेत नेशनल कॉन्फ्रेंस(ने.कॉ.)ने उसकी यह कह कर कटु आलोचना की थी कि सत्ता के लिए भाजपा ने  अपने सिद्धान्तों से सम...