और कितनों को बेनकाब करेगा ‘मुझे भी‘(मी टू) ?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार वर्तमान में देश मंे ‘मैं भी‘(मी टू)मंच के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत यौन शोषण से पीड़ित महिलाओं द्वारा अपनी व्यथा-कथा बयान करने की जैसी लोमहर्षक, निर्लज्ज, घिन्नौनी घटनाएँ हर रोज समाचार पत्र, ट.ीवी. चैनलों पर प्रकाशित, प्रसारित, प्रचारित हो रही हैं, उन्हें पढ़-सुन, देखकर यह हैरानी हो रही है कि जब इतनी मशहूर और सशक्त हस्तियाँ अपने साथ हुए दुर्व्यवहार, यौन शोषण के विरुद्ध अपना मुँह बन्द करने को विवश थीं, तो उन आम महिलाओं को क्या कुछ नहीं सहना-झेलना पड़ता होगा, जो अपना तथा अपने परिजनों को दो वक्त की रोटी कमाने को नौकरी करने और उसे हर हाल में बचाने को मजबूर हैं। वैसे जहाँ तक भी फिल्मी तथा ग्लैमर की दुनिया और अन्य क्षेत्रों में अभिनेत्रियों तथा दूसरी महिलाओं के यौन शोषण की बात है तो इन क्षेत्रों में यौन शोषण के मामले नये नहीं हैं। फिर भी कथित कैरियर संवारने या जीविका कमाने के लिए युवतियाँ फिल्मों टेलीविजन, पत्रकारिता, राजनीति में काम करने को प्रतिस्पर्द्धा करती आयी हैं। इनमें से कुछ को अपनी सुख-सुविधाओं, अधिकाधिक धन,उच...