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अप्रैल, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जिनके लिए है देश से बढ़कर सत्ता

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                   डॉ.बचन सिंह सिकरवार   गत दिनों काँग्रेस द्वारा सत्रहवीं लोकसभा का  चुनाव  जीतने के लिए अपने  घोषणा पत्र में   नौजवानों को नौकरी, किसानों को कर्ज से मुक्ति, हर गरीब परिवार को सुनिश्चित आमदनी ,महिलाओं को सुरक्षित वातावरण  और संस्थाओं को आजादी ,युवाओं को 22 लाख सरकारी नौकरियों के साथ 10 लाख रोजगार ,गरीबी परिवार के लिए सालाना 72हजार रुपए, किसानों की बेहतरी के लिए अलग किसान बजट, हर व्यक्ति को स्वास्थ्य की कानूनी गारण्टी जैसे तमाम लोक लुभावन वादे किये हैं,उनमें कुछ भी अनुचित नहीं है। देश में चुनावी कामयाबी के लिए हर सियासी पार्टी ऐसा पहले से भी करती आयी हैं, लेकिन चुनावी सफलता के लिए इससे पहले जम्मू-कश्मीर की तथाकथित मुख्यधारा के राजनीतिक दल ‘नेशनल कान्फ्रेंस(एन.सी.), ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी‘(पी.डी.पी.),‘पीपुल्स कान्फ्रेंस‘ आदि के अलावा अलगाववादियों के संगठन हुर्रियत कान्फ्रेंस और दूसरे आतंकवादी संगठन जो माँगें किया करते थे, उनसे भी आगे बढ़ कर अब काँग्रेस ने जम्मू-कश्मीर की जनत...

सोनिया गाँधी बताएँ अब अपनी देशभक्ति की परिभाषा

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                   डॉ.बचन सिंह सिकरवार  हाल में स्ंायुक्त प्रगतिशील गठबन्धन(यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कहा कि हमें आज ‘देशभक्ति’ की नयी परिभाषा सिखायी जा रही है। विविधता को अस्वीकार करने वालों को ‘देशभक्त ‘कहा बताया जा रहा है। जाति, धर्म और विचारधारा के आधार पर अपने ही नागरिकों के साथ भेदभाव किये जाने को सही ठहराए जाने के  जो अत्यन्त गम्भीर आरोप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा पर लगाए हैं क्या वे वास्तव में सच हैं ? उनके इन आरोपों की पड़ताल करना जरूरी है। सामान्यतः देशभक्त के माने अपने देश/मातृभूमि से प्रेम, श्रद्धा, अनुराग  करना/रखना है जिसे देश के चन्द जनों को छोड़ कर ज्यादातर लोग सदियों से मानते आए हैं, इनमें नरेन्द्र मोदी और भाजपाई भी सम्मिलित हैं। भारत के स्वतंत्र होने से पहले काँग्रेस भी इसी परिभाषा को मानती थी। उस समय वह न तो ‘भारत माता की जय’,‘वन्देमातरम‘् के नारे लगाने से परहेज करने वालों, राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को सम्मान न देने वालों की आज की तरह तरफदारी करती थी और न उसे धार्मिक/ अभिव्यक्ति स्वतंत्रत...

पाकिस्तान में कैसे रुकें हिन्दू युवतियों के अपहरण ?

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 डॉ.बचन सिंह सिकरवार  पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त से  एक 17 वर्षीय युवती का एक दबंग शख्स ने अपहरण कर उसका धर्म परिवर्तन कराके निकाह  किये जाने की फिर से खबर आने पर शायद ही किसी को हैरानी हुई होगी, क्यों कि वहाँ तो एक तरह से ऐसी घटनाएँ आए दिन की होकर कर जो रह गई हैं। ऐसा लगता है कि  इस मुल्क में सरकार से लेकर मजहबी रहनुमाओं, पुलिस, अदालतें भी तो एक ही मकसद लेकर चल रही हैं।इन सभी का एक ही मकसद है कि  किसी भी तरह से गैर मुसलमान को अपने ईमान पर लाना यानी उसे मुसलमान बनाना है,तभी अल्पसंख्यकों की समस्याओं पर पुलिस,प्रशासन,सरकार, नेता कोई भी ध्यान नहीं देता। एक तरह से इस्लामिक कट्टरपन्थियों को इन्हें निशाना बनाने की छूट दे रखी।इसी प्रवृत्ति के चलते पाकिस्तान में आतंकवाद के साथ-साथ अल्पसंख्यकों को सताना,जलील करना,जुल्म ढहना और जरूरत पर मार डालने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। हिन्दू किशोरियों-युवतियों का अपहरण कर उनका जबरदस्ती मजहब बदलवाकर निकाह कर लेना। फिर उन्हें तलाक देकर वेश्यावृत्ति के लिए बेच देना आम हो गया है। इसमें सरकार के सभी अंग मूक दर्शक की भूमिका निभ...

श्रीलंका के आतंकवादी हमले से सबक जरूरी

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              डॉ.बचन सिंह सिकरवार             पिछले दिनों श्रीलंका में ईसाइयों के पवित्र त्योहार ईस्टर पर तीन गिरजाघरों तथा इतने ही पाँच सितारा होटलों पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के जरिए कोई एक दशक से शान्त बने हुए इस द्वीप राष्ट्र को ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया समेत पूरी दुनिया को दहला दिया,जिनमें ढाई सौ से अधिक लोगों के मारे जाने के साथ-साथ कोई 500से ज्यादा घायल हुए हैं। इस वीभत्स नरसंहार को स्थानीय आतंकवादी संगठन ‘नेशनल तौहीद जमात’(एन.टी.जे.)के आत्मघाती हमलावरों ने अंजाम दिया,जो दुनिया के सबसे खंूखार इस्लामिक संगठन‘इस्लामिक स्टेट’से सम्बद्ध है, क्योंकि बाद में इसी आतंकवादी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी कबूल की है। इन आतंकवादियों द्वारा गिरजाघरों में ईसाई समुदाय और होटलों मंे ठहरे पश्चिम यूरोपीय नागरिकों को अपना निशाने बनाने की वजह कुछ समय पहले न्यूजीलैण्ड के क्राइस्ट चर्च  में जुमे को दो मस्जिदों में एक श्वेत चरमपंथी द्वारा अंधाधुंध गोलियों बरसा कर 49 मुस्लिमों की जान से मार डालने का ब...