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जुलाई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऐसे हुआ था आपात काल का प्रतिकार

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           डॉ.बचन सिंह सिकरवार   पच्चीस जून,सन्1975 आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी की ने कहने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा ‘उ.प्र.राज्य बनाम राजनारायण में उनका चुनाव रद्द किये जाने पर अपनी सत्ता बचाने  को विवादस्पद आपात काल लागू कर दिया।इसके माध्यम से लोकतंत्र पर तानाशाही को लादा गया। इसके साथ ही प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबन्ध, राजनीति गतिविधियाँ पर रोक,नागरिक के मूल अधिकारों को निलम्बित किया गया,वरन् उन्हें जीवन के अधिका से वंचित किया,राजनीति विरोधियों की गिरफ्तरियाँ करने का पुलिस-प्रशासन का दमन चक्र शुरू हो गया।जेलों उन्हें तरह-तरह की यातनाएँ दी गईं और इनके परिजनों तथा मित्रों को भी प्रताड़ित किया गया। यूँ तो इस काले कानून का उग्र और व्यापक स्तर पर विरोध पूरे देश में हुआ था, किन्तु इसके विरुद्ध उत्तर प्रदेश के लोगों ने जिस बड़े पैमाने पर कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त की,उसकी उम्मीद इस अन्यायपूर्ण और दमनकारी कानून को लागू कराने वालों ने कभी नहीं की ...

विभेदकारी, निर्दयी, और राष्ट्र विरोधी राजनीति

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 डॉ.बचन सिंह सिकरवार  हाल में चर्चा में आए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय तथा जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में दलित/पिछड़ों को आरक्षण न दिये जाने का मामला, श्रीनगर में शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में राष्ट्रगान के समय बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के जानबूझकर बैठे रहकर अनादर करने, मन्दसौर में बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार और वीभत्स तरीके से घायल किये जाने,केरल में वामपन्थी छात्र संगठन के पदाधिकारी की  एक पीआईएफ संगठन द्वारा नृशंस हत्या, कश्मीर घाटी में पुलिस के जवान जावेद अहमद डार को अगवा कर हत्या किये जाने की घटना,जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय की उच्च स्तरीय जाँच कमेटी द्वारा  उमर खालिद, कन्हैया कुमार,उनके साथियों पर देश विरोधी नारे लगाने के आरोपों को सही ठहराने तथा उन्हें दी गई  सजा को बरकरार रखने जैसी घटनाओं पर देश के विभिन्न राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के रवैये ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी जिन कथित नीतियों तथा सिद्धान्तों का अक्सर बखान करते/दुहाई देते रहते हैं उससे उनका सिर्फ लोगों को भरमाकर वोट हड़पने भर का नाता/वास्ता ...

साक्षात नर्क और भ्रष्टाचार के अड्डे हैं जेलें

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में बागपत की जिला जेल में पूर्वांचल के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी उर्फ प्रेमप्रकाश सिंह को दुर्दान्त अपराधी सुनील राठी द्वारा गोलियों की बौझार कर  मार डालने की घटना ने देश की जेलों की उस  हकीकत को उजागर कर दिया है जिसे जानकर भी शासन-सत्ता में बैठे सभी लोग अनजान होने का ढोंग करते आए हैं। इस हत्याकाण्ड से स्पष्ट है कि राज्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की सरकार के दौर में भी अपराधियों, जेल अधिकारियों-जेल कर्मियों, पुलिसकर्मियों का गठजोड़ यथावत बना हुआ है। इसकी बदौलत जेलों में जेलअधिकारियों का नहीं, अपराधियों के सरगनाओं  का राज चलता आया है। बागपत जेल में पिस्तौल समेत बड़ी संख्या में कारतूसों का पहुँचना उसकी निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल देता है। बागपत में जो कुछ हुआ,वह बगैर जेलकर्मियों की मदद के सम्भव नहीं था जिसके लिए कोई और नहीं,वरन् जेलों में व्याप्त अपरिमित भ्रष्टाचार जिम्मेदार है।इसके लिए आजादी के बाद सत्ता में आने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों की सरकारें बराबर की दोषी हैं। भ्रष्टाचार के चलते जहाँ जेलें दुर्दान्त और धनी अपराधियों के ...

भारत कभी नहीं बनेगा, हिन्दू पाकिस्तान

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डॉ.बचन सिंह सिकरवार हाल में काँग्रेस ने अपने सांसद शशि थरूर के उस बयान से भले ही स्वयं का अलग कर लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा सन् 2019 के आम चुनाव में फिर से जीत कर केन्द्र की सत्ता में आती है तो यह देश ‘हिन्दू पाकिस्तान‘ बन जाएगा। लेखक,चिन्तक और विचारक के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले शशि थरूर का यह बयान क्षोभजनक और उनकी बौद्धिक दिवालियेपन का परिचायक भी है,क्यों कि लेखक का पहला कर्Ÿाव्य अपने पाठकों को सन्मार्ग दिखाना है न कि अपने किसी स्वार्थ और राजनीति के लिए भ्रमित या असत्य कथन करना। उन्होंने यह कैसे मान लिया कि यह देश भाजपा या किसी दूसरे कथित कट्टरपन्थी संगठन/राजनीतिक दल के कारण  ‘हिन्दू पाकिस्तान‘ बन जाएगा यानी इस देश के सारे  हिन्दू अपने मूल स्वभाव, प्रकृति, संस्कार, चरित्र, परम्परा का परित्याग कर अपने धर्म से अलग मजहब मानने वालों के प्रति असहिष्णु हो जाएँगे, जैसा कि पाकिस्तान हैं। उस मुल्क से उनकी तुलना बेमानी है जहाँ अल्पसंख्यकों के साथ जैसा सलूक बहुसंख्यक मुसलमानों और वहाँ की सरकार द्वारा किया जाता है उसकी अपने देश में कल्पना भी नहीं की ज...