कभी भी जंग का मैदान बन सकता है दक्षिण चीन सागर
डॉ.बचन सिंह सिकरवार
दक्षिण चीन सागर के स्वामित्व को लेकर पूर्वी एशिया में निकट भविष्य में कभी भी भयंकर युद्ध छिड़ सकता है। ऐसी आशंका का कारण चीन की आगामी एक जनवरी से नए नियम लागू कर विश्व के नौवहन की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण इस जलमार्ग से दूसरे मुल्कों की जहाजों के प्रवेश पर रोक लगाने की घोषणा है। इसे लेकर हिन्द महासागर -प्रशान्त महासागर के भारत समेत दुनिया के दूसरे मुल्क बेहद चिन्तित और परेशान हैं, क्यों कि ऐसा करके चीन इस पूरे इलाके का आर्थिक, व्यावसायिक और सामरिक लाभ उठाना चाहता है। आसियान के महासचिव सूरिन पितसुवान का कहना है कि चीन की इस घोषणा के बेहद गम्भीर परिणाम सामने आएँगे। चीन की यह प्रतिक्रिया कम्बोडिया में आयोजित ‘पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन' के समापन के तुरन्त बाद आयी है जिसमें अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हुए थे। इस अवसर पर जापा, फिलीपीन्स, वियतनाम ने विवादित समुद्री जल पर चीन के एक एकतरफा दावों पर कठोर आपत्ति व्यक्त की थी। सम्मेलन में भारत और अमरीका ने दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के कानूनों का अनुपालन की बात कही थी।
वैसे चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना स्वामित्व होने का दावा जरूर करता है लेकिन इस क्षेत्र के दूसरे पड़ोसी देश भी इस पर अपना बराबर का दावा पेश करते आये हैं। अब चीन इस विवादित सागर में अपनी नौसेना के आधुनिकरण में लगा है। इसके साथ ही वह इस क्षेत्र में लगातार अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है। यहाँ चीनी नौसेना की बढ़ती ताकत को लेकर इस सागर से जुड़े मुल्कों के साथ-साथ भारत भी चिन्तित है। गत ३ दिसम्बर को नौसेना प्रमुख एडमिरल डी.के.जोशी ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में भारत अपने हितों की रक्षा करेगा, फिर चाहें इसका मतलब सेना भेजना ही क्यों न हो? इस विवादित क्षेत्र में तेल एवं गैस की खोज और जहाजों की बेरोकटोक आवाजाही भारत की प्राथमिक चिन्ता है।
हाल में १७ दिसम्बर को जापान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शिन जो अबे ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में स्थित विवादित ‘सेनकाकू द्वीपों' को लेकर इन द्वीपों के सम्बन्ध में चीन से किसी तरह के समझौते की गुंजाइश नहीं है। यह द्वीप जापान के प्राकृतिक क्षेत्र है। अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार सेनकाकू द्वीप पर जापान का नियंत्रण है। इस द्वीप को चीन ‘दियाओउ' कहता है। उधर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा,’’ हम इस बात को लेकर बहुत चिन्तित हैं।''
जहाँ तक भारत का प्रश्न है उसकी कम्पनी ‘तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग'(ओ.एन.जी.सी.) विदेश वियतनाम के दक्षिण तट पर तेल और गैस भण्डारों की खोज में लगी है इसे लेकर चीन कई बार भारत को अपनी नाराजगी जाता चुका है। अच्छी बात यह है कि भारत अभी तक उसकी इन धमकियों की अनदेखी करते हुए अपने काम में जुटा हुआ है। इस मुद्दे पर चीन और भारत के बीच अभी कूटनीतिक जंग बनी हुई है।
चीन खनिज तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भण्डार वाले दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, किन्तु उसके पड़ोसी मुल्क वियतनाम, फिलीपीन्स, मलेशिया, सिंगापुर भी इसे अपना बताते आये हैं। दक्षिण चीन सागर पर उत्पन्न विवाद को समझने के लिए इसकी और पड़ोसी देशों की भौगोलिक स्थिति तथा उसके नौवहन और सामरिक दृष्टि से महत्त्व का ज्ञान आवश्यक है।
वस्तुतः दक्षिण चीन सागर चीन के दक्षिण में स्थित सीमान्त सागर है। यह प्रशान्त महासागर का एक भाग है जो सिंगापुर और मलक्का खाड़ी से लेकर ताइवान की खाड़ी तक लगभग ३५,००,००० वर्ग किलोमीटर में क्षे+त्र में फैला हुआ है। यह चीन और ताइवान के दक्षिण ,इसके पश्चिम में फिलीपीन्स, उत्तर में मलेशिया का सबाह और सारावाक द्वीप तथा ब्रुनेई, इण्डोनेशिया, उत्तर-पूर्व में मलेशिया का मलय प्रायद्वीप, सिंगापुर और पूर्व में वियतनाम है। यह पाँच महासागरों के बाद विश्व के सबसे बड़े जल क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र से होकर ही विश्व का एक तिहाई नौवहन होता है। इस क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भण्डार होने की सम्भावना जतायी जा रही है। इस सागर में बहुत छोटे-छोटे द्वीप हैं, जिन्हें संयुक्त रूप से ‘द्वीप समूह' कहा जाता है। सागर और उसके इन द्वीपों पर जो इसके तट से लगते हैं। इन पर विभिन्न देशों की संयुक्त दावेदारी है। ये दावेदारियाँ इन देशों द्वारा इस सागर और इन द्वीपों के लिए प्रयुक्त होने वाले नामों में भी दिखायी देती हैं। इस पूरे दक्षिण चीन सागर पर चीन (‘पीपुल्स रिपब्लिकस ऑफ चाइना' संक्षेप में ‘पी.आर.सी.)और ताइवान (‘द रिपब्लिक ऑफ चाइना' संक्षेप में ‘आर.ओ.सी.) अपने-अपने स्वामित्व का दावा कर रहे हैं। इन दोनों का दावा नौ बिन्दुओं वाली पंक्ति(नाइन डोटेट लाइन)के अन्दर के समुद्री जल क्षेत्र पर है जबकि इसी क्षेत्र में स्थित देश इण्डोनेशिया, ताइवान, चीन एनइ जल क्षेत्र के साथ-साथ नतूना द्वीप पर अपना दावा जाता रहे हैं। इधर फिलीपीन्स, चीन, ताइवान ‘स्कारबोरोग शोल द्वीप' को लेकर झगड़ रहे हैं उधर स्प्रैटिली द्वीपों के पश्चिमी समुद्री जल क्षेत्र लेकर वियतनाम ,चीन और ताइवान के बीच तनातनी चल रही है। परासैल द्वीपों पर चीन, ताइवान ,वियतनाम अपने होने का दावा कर रहे हैं। थाइलैण्ड की खाड़ी के इलाके पर मलेशिया, कम्बोडिया, थाइलैण्ड, वियतनाम के बीच विवाद बना हुआ है। सिंगापुर और मलेशिया के बीच ‘जोहोरा जलडमरू' तथा ‘सिंगापुर जलडमरू' को लेकर झगड़ रहे हैं। ऐसे ही पाँच सेनकाकू द्वीपों को लेकर चीन और जापान के बीच कभी भी जंग छिड़ने की आशंका बनी हुई है। इन्हें ताइवान भी अपना बताता है। इस तरह दक्षिण चीन सागर और उसके द्वीपों के किसी एक या अनेक द्वीपों के स्वामित्व को लेकर चीन, ताइवान, थाइलैण्ड, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनोई, फिलीपीन्स के मध्य विवाद बना हुआ है।
,इसी २७नवम्बर को दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों के समीप समुद्री अधिकारों को लेकर चीन चीन सरकार द्वारा जारी की एकतरफा घोषणा पर विचार करना जरूरी है। उसने आसियान देशों ,विशेष रूप से वियतनाम तथा फिलीपीन्स की आपत्तियों की उपेक्षा और अनदेखी करते हुए यह घोषणा की है कि चीन का विवादित द्वीपों पर अधिकार है। इस कारण इन द्वीपों की समुद्री सीमा में जहाजों के नौवहन के नियमन पर उसका नियंत्रण रहेगा।
यद्यपि भारत का चीन से दक्षिण चीन सागर पर स्वामित्व को लेकर कोई विवाद नहीं है, तथापि वहाँ भारत के व्यावसायिक हित अवश्य हैं। इसके अलावा भारत समेत अमरीका और दुनिया के सभी देश यह जरूर चाहते हैं कि समुद्री क्षेत्र में सभी मुल्क के जहाजों के निर्बाध आवागमन में बाधा नहीं आनी चाहिए। भारतीय जहाजों की दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में आवाजाही बहुत अधिक नहीं है, लेकिन ओ.एन.जी.सी. के तेल ब्लाक जैसे मामलों में भारतीय हित जरूर जुड़ा है। इसे देखते हुए अगर जरूरत पड़ी तो भारत को वहाँ जाने का तैयार रहना होगा। इस मामले में एडमिरल डी.के.जोशी का कहना था कि इसके लिए भारत सरकार की स्वीकृति आवश्यक होगी। ‘दक्षिण चीन सागर' में चीन के मौजूद जहाजों और गच्च्ती नौकाओं का भारतीय नौसेना कैसे सामना करेगी? इस प्रश्न के उत्तर में एडमिरल श्री जोशी ने कहा,’’ हमारी प्रतिक्रिया नियमों के अनुसार होगी। जहाँ कहीं भी आत्मरक्षा के अधिकार की जरूरत पड़ती है तो हमारे पास कुछ विकल्प होते हैं।'' चीन द्वारा एयरक्राफ्ट कैरियर को निशाना बनाने वाली डोंग फेंग श्रेणी की मिसाइलें विकसित करने पर जोशी का जवाब था कि हम ऐसी ही क्षमता या प्रतिरोधी ताकत हासिल करने पर विचार कर रहे हैं। भारत और चीन के पड़ोसियों के लिए सबसे बड़ी चिन्ता साम्यवादी देश की मीडिया में आयीं हालियाँ खबरें हैं। मीडिया के अनुसार एक जनवरी से लागू नए नियमों के अन्तर्गत चीनी प्रान्त हैनान की पुलिस को देश के समुद्री क्षेत्र में प्रवेश करने वाले विदेशी जहाजों पर नियंत्रण और कब्जे का अधिकार मिल जाएगा। गत सितम्बर माह में जापान द्वारा विवादित पाँच सेनकाकू द्वीप में से तीन द्वीपों को जापान के ही कुरिहारा परिवार से २.६१ करोड़ डॉलर में खरीद लिए थे। इन्हें चीन में ‘दिवाओयू'कहा जाता है। इन लेकर उस समय युद्ध सरीखा माहौल बना गया था। तब चीन इन द्वीपों के आसपास दो जंगी जहाज तैनात करते हुए जापान से कहा था कि वह आग से खेलने की कोशिश न करे। इस पर अपनी सफाई देते हुए जापान कहा था कि उसने ये द्वीप शान्तिपूर्ण उद्देच्च्यों के लिए खरीदे हैं। वह चीन और जापान के रिश्तों पर असर होने नहीं देना चाहता। इन द्वीपों की खरीदफरोख्त को चीन ने अवैध बताते हुए भारी विरोध व्यक्त किया। चीन का कहना था कि इससे जापान के आक्रमण और चीनी क्षेत्र पर उसके कब्जे तथा दियाओयू द्वीपों और उसके लगे टापुओं पर चीन की सम्प्रभुता के ऐतिहासिक तथ्य कभी बदले नहीं जा सकते। जापान की इस एकतरफा कार्रवाई के होने वाले गम्भीर परिणामों के लिए वह जिम्मेदार होगा। पूर्व चीन सागर में स्थित इन विवादित द्वीपों पर ताइवान भी दावा करता है। ये द्वीप महत्त्वपूर्ण पोत परिवाहन मार्ग पर पड़ते हैं। उनके चारों ओर हाइड्रोकार्बन के विशाल भण्डार हैं।
इस सागर का ‘दक्षिण चीन सागर' नाम भी विदेशियों का दिया हुआ है। जहाँ आज चीन इस सागर के नाम के साथ अपने मुल्क का नाम जुड़ा होने की वजह से इस पर अपना दावा जता रहा है। वहीं चीन हिन्द महासागर के मामले में भारत की यह कह कर खिल्ली उड़ाता है कि केवल नाम जुड़ा होने भर से कोई महासागर उस मुल्क का नहीं हो जाता। अगर निकट भविष्य में दक्षिण चीन सागर और उसके द्वीपों के स्वामित्व को लेकर शान्तिपूर्ण तरीके से उचित निर्णय नहीं हुआ, तो उस दशा में यह क्षेत्र एक बड़े युद्ध के मैदान में बदल सकता है। उसकी आग की चपेट में भारत समेत दुनिया के दूसरे देश भी आये बिना नहीं रहेंगे।
डॉ.बचन सिंह सिकरवार
६३ब,गाँधी नगर, आगरा-२८२००३
मोबाइल नम्बर-९४११६८४०५४
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