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अरुन्धति जी, आपने इतिहास नहीं पढ़ा!

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                   डॉ.बचन सिंह सिकरवार इंग्लैण्ड के अँग्रेजी साहित्य के ‘ बुकर पुरस्कार ' विजेता तथाकथित सामाजिक कार्यकर्त्ता   और सुर्खियाँ में रहने की आदी अरुन्धति रॉय   ने गत २१ अक्टूबर को   ‘ कोलिशन ऑफ सिविल सोसाइटीज ' ( नागरिक सोसाइटीज के संयुक्त सम्मेलन)द्वारा नयी दिल्ली में आयोजित ‘ मुरझाया कश्मीरः आजादी या गुलामी'( विदर कश्मीरः फ्रीडम ऑर ऐनस्लेवमेण्ट) सेमीनार में अपनी आदत के मुताबिक यह कह कर हलचल मचा कि कश्मीर भारत का कभी अभिन्न अंग नहीं रहा , यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। इसे भारत सरकार ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया है कि ब्रिटिश शासन की समाप्ति के बाद भारत औपनिवेशिक ताकत बन गया है।      इस सेमीनार में कश्मीरी अलगाववादियों के साथ-साथ खालिस्तानी आन्दोलन की बचे-खुचे लोग , पूर्वोत्तर राज्यों के पृथकतावादी , माओवादी , नक्सलवादी आदि शामिल हुए थे , जिन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए भारत के संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की धज...

आगरा के अख़बार

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डॉक्टर बचन सिंह सिकरवार आ गरा सदियों से कवियों , साहित्यकारों , इतिहासकारों की कर्मस्थली तो रहा ही है , यहाँ की पत्रकारिता का इतिहास भी कोई पौने दो सौ साल पुराना और अत्यन्त समृद्ध रहा है। इस नगर से हर तरह के अनेक पत्र-पत्रिाकाएँ निकलती रहीं हैं। मुगल साम्राज्य के संस्थापक   जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर ने अपनी जीवनी ‘ तुजुके बाबरी ' में तत्कालीन घटनाओंं के साथ-साथ यहाँ के बारे में काफी लिखा है। उसके बाद कई इतिहासकारों ने आगरा की घटनाओं को अपनी   पुस्तकों में दर्ज किया है। वैसे भी मुगल शासन में राज्य की घटनाओं का ब्यौरा लिखे जाने के मुकम्मल इंतजाम थे। जहाँ तक जनता के लोगों द्वारा आगरा के समाचार पत्र-पत्रिकाएँ निकाले जाने का प्रश्न है तो अब तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार यहाँ से पहले पहल   सन्‌ १८३२ में फारसी भाषा में ‘ आगरा अखबार '   प्रकाशित हुआ , जिसके सम्पादक डॉक्टर जॉन एण्डसन थे। इन्हीं ने यही अखबार सन्‌ १८३३ में अँग्रेजी भाषा में भी निकाला। इसी वर्ष साण्डर्स ने अँग्रेजी में ‘ मफसलाईट अखबार ' प्रकाशित किया। सन्‌ १८३३   में ही फारसी में ही ‘ जुबाद्दत-ए-इबारत ' य...

अब इस्लामिक आतंकवाद से परेशान है चीन

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डॉ.बचनसिंह सिकरवार ची न के पाकिस्तान अधिकृत गुलाम कश्मीर की सीमा से लगे शिनजियांग प्रान्त में गत जुलार्ई माह में घटी दो हिंसक घटनाओं को लेकर अब वह अपने परम मित्र पाक से बेहद नाराज है। कुछ समय पहले ही चीन ने पाकिस्तान के एबटाबाद में आतंकवादी ‘ अलकायदा ' संगठन के सरगना ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमरीकी सैन्य कार्रवाई के समय इस महाशक्तिशाली देश के खफा होने की परवाह न करते हुए उसे चेतावनी भरे अन्दाज में कहा था कि भविष्य में पाक के विरुद्ध हुई किसी भी सैन्य कार्रवाई को वह अपने खिलाफ हमला समझेगा। इन हिसंक वारदातों में कोई २२ लोग मारे गए हैं। चीनी सेना शिनजियांग प्रान्त के पश्चिमी क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक   प्रदर्शनकारियों को गोली से उड़ा या घायल कर चुकी है। फिर इस इलाके में विद्रोह जारी है। चीन ने इन हमलों के लिए पाकिस्तान प्रशिक्षित ‘ ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेण्ट '-( ई.टी.आइ.एम.) को दोषी ठहराया है जिसका समर्थन यहाँ के प्रमुख समाचार पत्र ‘ चाइना डेली ' ने भी अपने सम्पादकीय में किया है। उसने स्पष्ट लिखा है कि इन आतंकवादियों ने शिनजियांग में हमले से पहले ई.टी.आइ.एम.क...