अब जवाब क्यों नहीं देते?
डॉ.बचन सिंह सिकरवार '' भारत में ज्यादातर सेक्यूलर लोग हिन्दू विरोधी और मुस्लिम समर्थक हैं। वे हिन्दू कट्टरपन्थियों के कामों का तो विरोध करते हैं , लेकिन मुसलमान कट्टरपन्थियों का बचाव करते हैं '', यह बयान किसी कट्टरपन्थी हिन्दू संगठन या भाजपा के नेता का नहीं , बल्कि पड़ोसी देश बांग्लादेश की चर्चित साहित्यकार तस्लीमा नसरीन का है जो खुद हममजहबी कट्टरपन्थियों से अपनी जान को खतरा देखते हुए अपना मुल्क छोड़ने को मजबूर हुई हैं। उनका यह बयान भारत में असहिद्गणुता और साम्प्रदायिकता के बढ़ने का हौव्वा खड़ा कर साहित्य अकादमी तथा कला-संस्कृति से सम्बन्धित संस्थाओं के पुरस्कार वापस करने में होड़ ले रहे उन कोई तीन दर्जन से अधिक साहित्यकारों तथा कलाकारों को आईना दिखाने वाला है। इसके साथ देश के वर्तमान हालात में पूर्णतः सामयिक और प्रसांगिक भी है। खुद पर गुजारे वाक्यातों का हवाला देकर उन्होंने ऐसे कथित पंथनिरपेक्ष और संवेदनशील साहित्यकारों को बेनकाब भी किया है। वैसे भी इतना कटु सत्य और बेबाक बोलने का सत्साहस अब तक अपने देश के साहित्यकारों में से किसी ने नहीं ...